Gama Pehalwan: ऐसा भारतीय पहलवान, जिसने नहीं हारी एक भी कुश्ती, जब भी ताकत की बात होती है लोग लेते हैं इनका नाम, जानें लंदन चैंपियनशिप में क्यों नहीं मिली थी एंट्री

Gama Pehalwan Birthday: गामा पहलवान ने अपने समय में लगभग हर पहलवान को धूल चटाई थी. गामा पहलवान को रुस्तम-ए-हिन्द का खिताब मिला था. गामा अपनी डाइट में रोज 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी, बादाम का शरबत और 100 रोटी लेते थे. 

गामा पहलवान (फोटो सोशल मीडिया)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2023,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST
  • गामा पहलवान का जन्म 22 मई 1878 को हुआ था 
  • पिता ने सिखाए थे पहलवानी के दांव-पेच 

देश में आज भी लोग जब ताकत की बात होती है तो गामा पहलवान का नाम लेते हैं. एक ऐसा पहलवान जो कभी कोई कुश्ती नहीं हारा. दुनियाभर में इंडिया का नाम रोशन किया. इस महान पहलवान के जन्मदिन पर आइए जानते हैं इनकी जीवन से जुड़ी रोचक कहानी. 

असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श भट्ट था
22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में जन्में गामा पहलवान का असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श भट्ट था.  हालांकि, इनके जन्मस्थान को लेकर इतिहासकारों में मतभेद रहा है. कुछ इतिहासकारों का कहना है, इनका जन्म मध्य प्रदेश के दतिया में हुआ. गामा को पहलवानी का गुर उनके पिता मोहम्मद अजीज बख्श से मिला था. पिता को पहलवानी करते देख उन्होंने भी पहलवान बनने की तैयारी शुरू कर दी थी. लिहाजा पिता ने ही इन्हें पहलवानी के दांव-पेच सिखाए.

द ग्रेट गामा और रुस्तम-ए-हिन्द के नाम भी जाना गया
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय यानी साल 1947 के बाद गामा पहलवान भारत के नहीं बल्कि पाकिस्तान के हो गए. गामा साल 1947 से पहले तक गामा पहलवान ने भारत का नाम पूरी दुनिया में ऊंचा किया. गामा अपने 52 साल के करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारे. इनकी उपलब्धियों के कारण ही इन्हें द ग्रेट गामा और रुस्तम-ए-हिन्द के नाम भी जाना गया. गामा हमेशा से ही ताकत और कुश्ती लड़ने के खास अंदाज के कारण चर्चा में रहे.

ऐसी थी गामा पहलवान की डाइट
गामा पहलवान डाइट में 6 देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी, बादाम का शरबत और 100 रोटी लेते थे. यही उनकी ताकत का सबसे बड़ा सीक्रेट था. जिसके आगे बड़े पहलवान चित हो जाते थे.

रोज 15 घंटे करते थे प्रैक्टिस 
रोज 15 घंटे प्रैक्टिस करते थे. वे हर दिन 3000 बैठक और 1500 दंड किया करते थे. बताया जाता है कि गामा पहलवान ने एक भारी भरकम पत्थर को डंबल बनाया हुआ था. इतना ही नहीं वह रोज अपने गले से 54 किलो का पत्थर बांधकर एक किलोमीटर तक दौड़ भी लगाते थे. वह रोजाना अपने 40 साथियों के साथ कुश्ती करते थे, यह उनकी कुश्ती की प्रैक्टिस का हिस्सा हुआ करता था. गामा का वजन करीब 113 किलोग्राम था.

लंदन में चुनौती को किसी ने नहीं स्वीकारा
कम उम्र में ही गामा ने देश के जाने-माने पहलवानों को धूल चटा दी. उनका नाम देश के कोने-कोने में फैलने लगा लगा. भारत में अपनी पहचान बनाने के बाद 1910 में उनहोंने लंदन का रुख किया. यहां पर उनकी कम हाइट बाधा बनी. उनकी हाइट 5 फीट और 7 इंच होने के कारण लंदन इंटरनेशनल चैंपियनशिप में एंट्री नहीं मिली. इस बात पर खफा हुए गामा ने वहां के पहलवानों को 30 मिनट के अंदर हराने चुनौती दी, जिसे किसी ने स्वीकार नहीं किया.

टाइगर की उपाधि से किया गया सम्मानित 
गामा ने 1910 में वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप और 1927 में वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप जीती. इस जीत के बाद उन्हें टाइगर की उपाधि से सम्मानित किया गया. गामा पहलवान की मृत्यु 23 मई 1960 को पाकिस्तान के लाहौर में हुई थी. वे लंबे वक्त से बीमार थे.


 

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