एक इंजीनियर जिसने जोधपुर की बंजर जमीन को बना दिया हरा भरा...जानवरों के पानी पीने के लिए की तालाब की व्यवस्था

कई प्रयोग के बाद गौरव ने यहां पर एक छोटा सा जंगल तैयार कर लिया है जो कि नामुमकिन सा था. गौरव बताते हैं कि जैसे ही यहां पर यह जंगल तैयार हुआ आज पास का पूरा वातावरण ही चेंज हो गया. बहुत सारे जंगली जानवर और रेप्टाइल यहां आने लगे.

गौरव गुर्जर
मनीष चौरसिया
  • जोधपुर,
  • 12 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 7:03 PM IST
  • पेशे से इंजीनियर हैं गौरव
  • जंगल में आने लगे जानवर

राजस्थान के जोधपुर का पानी इतना खारा है कि ना यह पीने के काम आता है और ना ही पेड़-पौधों को पानी देने के. ऐसे में राजस्थान की बंजर जमीन पर आपको पेड़ों की संख्या बहुत कम दिखाई पड़ेगी. लेकिन जोधपुर के एक इंजीनियर ने इस बंजर जमीन पर हरियाली की बयार लाने की ठान ली है. गौरव गुर्जर पेशे से इंजीनियर हैं और दिल से एनवायरमेंटलिस्ट. इनका दिमाग एक इंजीनियर की तरह काम करता है लेकिन दिल को सुकून हमेशा पेड़ पौधे नदी तालाब के पास ही मिलता है.

अपने शहर से की शुरुआत
गौरव बताते हैं कि वह एक ऐसी कंपनी के साथ काम करते हैं जो जंगल बनाने का काम करती है. हालांकि ऐसी प्रोफेशनल कंपनियां उसी जगह जंगल तैयार करने का काम करती है जहां पर उसके लिए भौगोलिक रूप से चीजें मौजूद हों. गौरव ने कहा कि वह एनवायरनमेंट के क्षेत्र में भी प्रयोग करना चाहते थे. उन्हें एक ऐसा प्रोजेक्ट चाहिए था जिसमें वह कई बार फेल हो सकें इसलिए गौरव ने सोचा कि क्यों ना अपने शहर को ही इस प्रयोग के लिए ट्राई किया जाए. इसके लिए उन्होंने मरूवन से शुरुआत की. 

जंगल में आने लगे जानवर
कई प्रयोग के बाद गौरव ने यहां पर एक छोटा सा जंगल तैयार कर लिया है जो कि नामुमकिन सा था. गौरव बताते हैं कि जैसे ही यहां पर यह जंगल तैयार हुआ आज पास का पूरा वातावरण ही चेंज हो गया. बहुत सारे जंगली जानवर और रेप्टाइल यहां आने लगे.  40 साल बाद यहां पर वीवर बर्ड जिसे बाया भी बोलते हैं यहां दिखाई पड़े. असल में यह बर्ड घास से अपने लिए घोंसला तैयार करती लेकिन पहले यहां पर घास नहीं थी. आज यहां वीवर बर्ड के कई घर दिखाई पड़ते हैं. गौरव इन वीवर बर्ड से जुड़ी एक खास बात  भी बताते हैं. गौरव ने बताया कि मेल बर्ड घोंसला बनाता है और फीमेल को आकर्षित करता है. अगर फीमेल बर्ड आ जाती है तो ठीक वरना वो उस घोंसल को तोड़ देता है. 

नहीं था पीने का पानी
गौरव ने इस इलाके में दो तालाब ही बनाए हैं. गौरव कहते हैं कि यहां पर हालात यह है कि जानवरों के लिए पानी पीने के लिए मौजूद नहीं था. सरकार हर घर नल की योजना तो चला रही है लेकिन जानवरों के लिए पानी का कोई इंतजाम नहीं दिखाई पड़ता. हालांकि इस तालाब के जरिए ना सिर्फ जंगली जानवरों को पानी मिलेगा बल्कि ग्राउंड वाटर लेवल भी ठीक रहेगा. हालांकि नदी के ठीक पास में तालाब बनाने से कई बार गौरव और नदी में खनन करने वाले लोग आमने-सामने आ गए लेकिन गौरव कहते हैं कि जो लोग हनन कर रहे हैं उनसे कोई विवाद नहीं है. क्योंकि यहां से जो मिट्टी या बालू जा रही है उससे शहरों में हमारे घर भी तैयार हो रहे हैं विकास का मॉडल ही ऐसा है तो उनसे लड़ाई किस बात की.

गौरव की पत्नी वर्षा भी पेशे से इंजीनियर हैं लेकिन वो भी अब इसी काम में रम गई हैं. गौरव और वर्षा का ड्राइंग रूम एक जीता जागता नेचर रूम लगता है. गौरव और वर्षा की शुरुआत यह बताती है कि पर्यावरण से जुड़ी बातों को लेकर सिर्फ बातें करने से नहीं होगा आगे पढ़िए कुछ काम करिए और यह काम बहुत आसान नहीं तो बहुत मुश्किल भी नहीं है.

 

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