बिहार के गया स्थित विष्णुपद मंदिर में मुस्लिम के प्रवेश पर सियासी घमासान छिड़ गया है. दरअसल 9 सितंबर से 25 सितंबर तक होने वाले पितृपक्ष मेला-2022 महासंगम का आयोजन से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को पितृपक्ष मेला की तैयारियों का जायजा लेने के लिए विष्णुपद मंदिर पहुंचे और मंदिर के गर्भगृह में पूजा-अर्चना की, इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बिहार सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सह गया जिला के प्रभारी मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी भी मौजूद थे. पूजा की तस्वीर और वीडियो सूचना जनसंपर्क विभाग की तरफ से जारी की गई थी. फोटो और वीडियो के जारी होने के बाद से हंगामा हो रहा है कि मंदिर में कोई मुस्लिम की एंट्री नहीं होनी चाहिए .
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट करके नीतीश कुमार पर मंदिर की पवित्रता को भंग करने का आरोप लगाया है. गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया कि "जब शासक नास्तिक और हिंदू विरोधी हो जाएगा तो बिहार में धर्म को कैसे बचाएंगे. एक मुसलमान के साथ विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने वाले नीतीश कुमार ने जान-बूझ कर मंदिर की पवित्रता को भंग किया है और सनातन का अपमान किया है."
दूसरी तरफ इस सिलसिले में विष्णुपद मंदिर के सचिव गजाधर लाल पाठक ने बताया कि मंदिर में ये परंपरा चली आ रही है कि अहिंदू मंदिर में प्रवेश वर्जित है. इस मंदिर को इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने बनवाया था. अगर ऐसी बात है तो कमिटी बैठक करके निर्णय लेगा.
इसे लेकर बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी सवाल उठाए हैं. संजय जायसवाल ने कहा कि ऐसा इतिहास में पहली बार है. विष्णुपद मंदिर में जान-बूझ कर इसराइल मंसूरी को लेकर घुसते हैं. सीएम को हिंदू समाज को अपमानित करने का काम ख़ुद पसंद आता है." संजय जायसवाल ने आगे कहा कि विष्णु पद मंदिर में दूसरे धर्म का व्यक्ति के आने की इजाजत नहीं है. जायसवाल ने आगे नीतीश कुमार से सवाल किया कि 'क्या नीतीश कुमार मक्का में अपना सांप्रदायिक प्रेम दिखाने के लिए जाएंगे.
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक पृथ्वी पर तीन क्षेत्र हैं जिन्हें पिंडदान के लिए सबसे अच्छा माना गया है. ये हैं- बद्रीनाथ का ब्रह्मकपाल क्षेत्र, हरिद्वार का नारायणी शिला क्षेत्र और बिहार का गया क्षेत्र. इन तीनों ही क्षेत्रों को पितरों की मुक्ति के लिए खास माना जाता है. इन तीनों में गया क्षेत्र का खास महत्तव है. दरअसल गया क्षेत्र में कुछ ऐसे दिव्य स्थान हैं, जहाँ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इसी गया क्षेत्र में विष्णुपद मंदिर भी है जो सनातन के अनुयायियों में सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है. इस मंदिर में भगवान विष्णु के चरणचिह्न भी हैं जिनके स्पर्श से ही मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते हैं.
सतयुग काल से ही अंकित हैं पदचिह्न
मंदिर के गर्भगृह में शिला पर भगवान शिव के पदचिह्न हैं, इसी पदचिह्न को धर्मशिला कहा जाता है. गया महात्म्य में ये भी बताया गया है कि इसे स्वर्ग से लाया गया था. पुराणों के मुताबिक गयासुर नामक एक असुर ने तपस्या कर भगवान से आशीर्वाद लिया था, लेकिन बाद में असुर ने इसका गलत इस्तेमाल किया और उसने देवताओं को ही परेशान करना शुरू कर दिया. असुर से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, भगवान विष्णु ने देवताओं की प्रार्थना सुनी और अपनी गदा से गयासुर का वध कर दिया. भगवान विष्णु ने गयासुर के सिर को पत्थर से दबा दिया, यह पत्थर वही धर्मशिला थी जिसे स्वर्ग से लाया गया था.
मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि यहाँ पर माता सीता और भगवान श्री राम भी यहाँ आए थे. यहीं परमाता सीता ने महाराज दशरथ को पवित्र फल्गु नदी के किनारे बालू से बना पिंड दिया था, इसके बाद से इस स्थान पर बालू के पिंडदान की प्रथा है.
18वीं शताब्दी में हुआ था जीर्णोद्धार
जयपुर के कारीगरों ने काले ग्रेनाइट पत्थर को तराश कर इस मंदिर का निर्माण किया था. इस मंदिर के गुंबद की जमीन से ऊँचाई लगभग 100 फुट है. इस मंदिर का प्रवेश और निकास द्वार भी चाँदी से बनाया गया है.