हमारे देश में ऐसी बहुत सी चीजे हैं जो अपनी जगह के नाम से जानी जाती हैं. जैसे बनारसी साड़ी, मैसर पाक, कोल्हापुरी चप्पल, दार्जलिंग चाय आदि. किसी खास जगह पर होने वाली या बनने वाली बहुत सी भारतीय चीजों को एक विशिष्ट पहचान 'GI Tag' मिला हुआ है. अक्सर हम खबरों में सुनते हैं कि भारत की इस चीज को GI Tag मिला.
क्या है GI Tag:
अब सवाल है कि यह GI Tag क्या है और इसका क्या महत्व है. GI Tag से मतलब है Geographical Indications (भौगोलिक संकेत). भारतीय संसद ने 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत 'जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स' लागू किया था. GI Tag के आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है.
क्या हैं GI Tag के फायदे:
GI Tag मिलने के बहुत से फायदे होते हैं. क्योंकि इसके बाद किसी भी चीज की अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कीमत और उसका महत्व बढ़ जाता है. जिसके कारण उसके उस चीज का एक्सपोर्ट बढ़ जाता है. साथ ही, उस जगह की टुरिज्म वैल्यू बढ़ जाती है. GI टैग मिलने से बढ़ी हुई एक्सपोर्ट और टूरिज्म की संभावनाएं उस जगह के किसानों और कारीगरों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती हैं.
भारत में साल 2004 में सबसे पहला GI Tag दार्जलिंग चाय को मिला था. हाल ही में, दुनिया के सबसे महंगे मशरूम, गुच्ची मशरूम जम्मू-कश्मीर को GI Tag मिला है. अब तक भारत में 300 से ज्यादा चीजों को GI Tag मिल चुका है.
किसी उत्पाद पर GI Tag लेने के लिए Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) में आवेदन कर सकते हैं. यह संस्था उत्पाद की विशेषताओं से जुड़े हर दावे को परखती है और पूरी जांच व छानबीन के बाद ही जीआई टैग दिया जाता है. शुरूआत में, यह 10 साल के लिए मिलता है और फिर इसे रिन्यू करवाया जाता है.