सरकार ने निकाला नया मोटर लॉ, बच्चों को दोपहिया पर बैठाने से पहले लगाना होगा हार्नेस

हार्नेस एक तरह का बेबी कैरियर होगा जो बच्चों को पहनाया जाएगा और फिर उसे बाइक चलाने वाले से बांध दिया जाएगा. इससे दुर्घटना की स्थिति में बच्चों को गंभीर चोट से बचाने में मदद मिलेगी. टू व्हीलर से चलने वाले पेरेंट्स ने इस फैसले का स्वागत किया है. 

सरकार ने निकाला नया मोटर लॉ, बच्चों को दोपहिया पर बैठाने से पहले लगाना होगा हार्नेस
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:48 PM IST
  • गाड़ी में लगवाना होगा हार्नेस
  • नियम को मिला हेलमेट मैन का समर्थन

अगर आप भी अपने बच्चे के साथ बाइक पर घूमते हैं तो इस बात पर जरूर ध्यान दें. टू व्हीलर पर बच्चों को सवारी करने वाले पेरेंट्स के लिए नए नियम आए हैं. केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करके अब यह साफ कर दिया है कि अगर आप बाइक पर 9 महीने से लेकर 4 साल तक के किसी बच्चे को लेकर चलते हैं तो आपको हार्नेस का इस्तेमाल करना होगा.

क्या है हार्नेस?
हार्नेस एक तरह का बेबी कैरियर होगा जो बच्चों को पहनाया जाएगा और फिर उसे बाइक चलाने वाले से बांध दिया जाएगा. इससे दुर्घटना की स्थिति में बच्चों को गंभीर चोट से बचाने में मदद मिलेगी. टू व्हीलर से चलने वाले पेरेंट्स ने इस फैसले का स्वागत किया है. 

क्या है लोगों की राय?
पंकज राठौड़ कहते हैं कि नियम अच्छा है. सड़क पर कई लोग बच्चों को गाड़ी में बैठकर बहुत लापरवाही से चलते हैं. एक्सीडेंट होने के बाद वो सोचते हैं लेकिन पहले खूब लापरवाही करते हैं. वहीं स्वाति तिवारी भी अपने बच्चे के साथ स्कूटी पर सवारी करती हैं वो कहती हैं कि  इस नियम को लागू करना थोड़ा मुश्किल है. जैसे हेलमेट और सीट बेल्ट के लिए कड़े कानून है वैसे ही इसके लिए भी सख्ती बरती जाए. बच्चों की सेफ्टी के लिए कुछ पैसे खर्च भी करने पड़े तो कोई बुराई नहीं.

क्या ग्रामीण इलाकों में लागू हो पाएगा नियम?
हालांकि कुछ पेरेंट्स इस नियम की सफलता पर शंका जाहिर करते हैं. महेश कुमार कहते हैं कि ये नियम अच्छा है लेकिन सिर्फ मेट्रो सिटी में ही हो पाएगा ग्रामीण इलाकों में इसको लागू करना बहुत मुश्किल होगा. सरकार को इसे सख्ती से लागू नहीं करना चाहिए.

नियम को मिला हेलमेट मैन का समर्थन
सड़क पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर लंबे समय से कानूनी  लड़ाई लड़ रहे हैं हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार इसे एक बड़ा कदम मानते हैं. वो कहते हैं कि सरकार का ये कदम बहुत क्रांतिकारी है. एक पिता को ये सोचना चाहिए कि वो अपने बच्चे को सड़क पर ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित कैसे कर सकता है. राघवेंद्र की पहल के बाद ही बच्चों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता का नियम आया था. गौतमबुद्ध नगर पुलिस के डीसीपी ट्रेफिक गणेश प्रसाद साहा कहते हैं कि बच्चों की सेफ्टी को लेकर पेरेंट्स वैसे भी सजग रहते हैं लेकिन कई पेरेंट्स लापरवाही भी बरतते है कानून बहुत अच्छा है लेकिन पहले लोगों को इसके लिए अवेयर भी करना होगा.

क्या है सबसे बड़ा चैलेंज?
हालांकि सरकार ने हार्नेस के लिए कानून तो बना दिया लेकिन फिलहाल बाजार में किसी भी तरह का हार्नेस मौजूद नहीं है हालांकि एक कैसे बनाया जाएगा इसको लेकर सरकार ने गाइडलाइन जरूर जारी की है. गाइडलाइन में ये साफ कहा गया है कि हार्नेस वाटर प्रूफ होना चाहिए, एडजस्ट करने में सरल होना चाहिए. सॉफ्ट होना चाहिए और 30 किलो तक का वजन सहने की क्षमता भी होनी चाहिए. उम्मीद की जा रही है जब मार्केट में हार्नेस आएगा तो उसकी कीमत 700 से 1200 रुपये से बीच की होगी.

 

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