भारत की राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन नीति के पहले भाग को जारी करते हुए, सरकार ने गुरुवार को संभावित निर्माताओं, उत्पादन कंपनियों (जेनकोस) और वितरण लाइसेंसधारियों (डिस्कॉम) के लिए ग्रीन हाइड्रोजन के बड़े पैमाने पर स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की, ताकि ऊर्जा क्षेत्र को डीकार्बोनाइज (कार्बन हटाना) किया जा सके.
पानी में विद्युत प्रवाह कर बनता है ग्रीन हाइड्रोजन
ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन पानी में विद्युत प्रवाह कर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करके किया जाता है. यदि यह बिजली अक्षय स्रोतों से प्राप्त की जाती है, तो हम वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किए बिना ऊर्जा का उत्पादन कर पाएंगे. ग्रीन हाइड्रोजन प्राप्त करने की इस पद्धति से जीवाश्म ईंधन के उपयोग से हर साल उत्सर्जित होने वाले 830 मिलियन टन CO2 की बचत होगी.
पहली बार 2021 के बजट भाषण में हुआ था जिक्र
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पहली बार अपने 2021 के बजट भाषण में हरित हाइड्रोजन का उपयोग करने की बात की थी. बाद में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा की थी. भारत की योजना के बारे में खुलासा करने के एक साल बाद गुरुवार को बिजली मंत्रालय ने इस नीति के बारे में बात आगे बढ़ाई थी.
कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को करेगा कम
नीति का दूसरा भाग, जो चरणबद्ध तरीके से हरे हाइड्रोजन और हरे अमोनिया के उपयोग को अनिवार्य (रिफाइनरियों, उर्वरक कंपनियों आदि) करना हो सकता है और जो पीएलआई की पेशकश भी करेगा, के लिए कैबिनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी और वर्तमान में व्यय वित्त समिति इसकी समीक्षा कर रही है. इस कदम का दूसरा उद्देश्य जीवाश्म ईंधन और कच्चे तेल के आयात पर भारत की भारी निर्भरता को कम करना है. हालांकि, उद्योग के विशेषज्ञों ने अधिक स्पष्टता की मांग की क्योंकि उन्होंने दावा किया कि नवीनतम नीति के अनुसार, अभी भी बहुत कुछ संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा लगाए गए दरों पर निर्भर करेगा.