World Water Day 2022: भारत में बूंद-बूंद की है कीमत, जानिए कैसे पानी बन गया कारोबार

जल एक ऐसा प्राकृतिक साधन है जो न सिर्फ कृषि कार्यों या पीने के लिए इस्तेमाल होता है बल्कि जीवन के लिए भी यह बेहद मदत्वपूर्ण है. जल के बिना जीवन असंभव है. चूंकि यह इतना महत्वपूर्ण है इसलिए इसकी कमी का संकट हमेशा धरती पर मंडराया करता है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST
  • मुंबई में लगा था पहला प्लांट
  • बिसलेरी की सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत हिस्सेदारी

जल एक ऐसा प्राकृतिक साधन है जो न सिर्फ कृषि कार्यों या पीने के लिए इस्तेमाल होता है बल्कि जीवन के लिए भी यह बेहद मदत्वपूर्ण है. जल के बिना जीवन असंभव है. चूंकि यह इतना महत्वपूर्ण है इसलिए इसकी कमी का संकट हमेशा धरती पर मंडराया करता है. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि कभी फ्री में बिकने वाला पीने का पानी साल दर साल एक कारोबार में बदल गया और 50 साल के अंदर 1.80 लाख करोड़ रुपये का बिजनेस बन गया. वहीं ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक 2023 तक ये इंडस्ट्री 4.5 लाख करोड़ तक का कारोबार कर सकती है.

विश्व जल दिवस का इतिहास
यह दिवस मनाए जाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 1992 में ब्राजील के रियो द जेनेरियो में आयोजित 'पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन' (UNCED) में की गई थी. पहला विश्व जल दिवस 22 मार्च 1993 को मनाया गया था.

मुंबई में लगा था पहला प्लांट
1965 में जब बिसलेरी ने मुंबई के ठाणे में अपना पहला प्लांट लगाया था तो कई लोगों ने उसका मजाक बनाया था कि खरीदकर पानी कौन पीएगा? मगर अब हालात ये हैं कि हम हर साल करीबन 35 अरब लीटर से भी ज्यादा पानी खरीदकर पी रहे हैं. बोतलबंद पानी के कारोबार की 65% हिस्सेदारी सिर्फ तीन कंपनियों की है. इसमें बिसलेरी की सबसे ज्यादा 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है, वहीं एक्वाफिना 15 प्रतिशत और किनले 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे नंबर पर है. 1969 में पारले जी बनाने वाली कंपनी के मालिक रमेश चौहान ने 4 लाख रुपये में बिसलेरी खरीदा था. आज इसकी मार्केट वैल्यू 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा है. कंपनी हर महीने 15 करोड़ बोतल पानी बना रही है. 

क्या कहते हैं आंकड़े?
बोतल बंद पानी का कारोबार साल  2019 में सालाना 21% की रफ्तार से बढ़ा. हालांकि अन्य कारोबार की तरह साल 2020 पानी के कारोबार के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ और 2020 में यह 3% लुढ़क गया. अब 2022 में इसके 18% तक पहुंचने का अनुमान है.

कितनी कंपनियां बेच रहीं बोतलबंद पानी?
खपत की बात करें तो 135 करोड़ की आबाद वाले इस देश में यह आंकड़ा सालाना सिर्फ आधा लीटर है, जबकि यूरोप में 111 लीटर है. भारत में बोतलबंद पानी बेचने वाली करीब 150 कंपनियां हैं. इनमें बिसलेरी, एक्वाफिना, किनले, बेली, हिमालयन, ऑक्सीरिच, रेल नीर, टाटा वाटर प्लस, वेदिका और प्योर लाइफ प्रमुख हैं. वहीं एक लीटर बोतलबंद पानी बनाने में 1.6 लीटर पानी लगता है.


 

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