गुजरात के सभी प्राइमरी स्कूलों में गुजराती भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है. गुजरात विधानसभा में राज्य के सभी प्राइमरी स्कूलों में गुजराती भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य करने वाला बिल सर्वसम्मति से पारित हो गया.
सभी बोर्ड में गुजराती भाषा होगी जरूरी
इस बिल के तहत CBSE और ICSE समेत सभी बोर्ड के स्कूलों में बच्चों को गुजराती भाषा पढ़ाना जरूरी होगा. अगर कोई स्कूल एक साल से ज्यादा समय तक इस बिल का उल्लंघन करता है, तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी. 182 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा में पेश किए गए इस बिल को विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी समर्थन दिया.
अगले सेशन से पढ़ाई जाएगी गुजराती
बिल के मुताबिक, जो स्कूल अभी गुजराती भाषा नहीं पढ़ा रहे हैं, उन्हें अगले सेशन से गुजराती को अतिरिक्त भाषा के तौर पर कक्षा एक से आठ तक शामिल करना होगा. बिल में कहा गया है कि हर स्कूल को राज्य सरकार की ओर से दी गई गुजराती भाषा की टेक्स्ट बुक को पढ़ाना अनिवार्य होगा.
नियम उल्लंघन पर भरना होगा जुर्माना
पहली बार नियम का उल्लंघन होने पर स्कूल पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा, दूसरी बार में 1 लाख और उसके बाद 2 लाख रुपए का हर्जाना देना होगा.
पिछले साल अक्टूबर में दायर हुई थी जनहित याचिका
दरअसल इसको लेकर एक जनहित याचिका पिछले अक्टूबर में एक एनजीओ द्वारा दायर की गई थी, जिसमें गुजरात एचसी के राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी कि "2018 के सरकारी संकल्प को उसके सच्चे अक्षर और भावना में लागू किया जाए ताकि गुजराती भाषा को प्राथमिक विद्यालय कक्षा 1 से 8 तक अनिवार्य विषयों में से एक के रूप में पेश किया जा सके."
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि प्राथमिक विद्यालय, विशेष रूप से सीबीएसई, आईसीएसई और आईबी बोर्ड से संबद्ध, राज्य की नीति के बावजूद गुजराती को पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में पेश नहीं कर रहे थे.