Ajit Doval Birthday: हिंदुस्तान के जेम्स बॉन्ड के नाम से मशहूर और अपने चातुर्य की वजह से चाणक्य कहे जाने वाले जेम्स बॉन्ड आज 77 साल के हो गए हैं. उत्तराखंड में जन्मे अजीत डोभाल के सिर्फ नाम से ही पाकिस्तान थर्रा उठता है. आतंकियों को यह पता चल जाए कि उसके इलाके में अजीत डोभाल आ रहे हैं तो पसीना आ जाता है. वो कहते हैं ना कि हथियारों की लड़ाई तो पूरी जिंदगी लड़ी जाती है लेकिन जिनके पास बुद्धि हो वो किसी से सिर्फ एक बार लड़ते हैं और एक बार में ही मात दे देते हैं.
कभी मोची बने तो कभी रिक्शावाला तो कभी भिखारी...
देश का एक ऐसा अफसर जिन्होंने अपनी बुद्धि से लड़ाई लड़ी और जासूसी की दुनिया में वो कारनामे कर दिखाए जिसे शायद कम ही लोगों ने किया है. 37 साल की नौकरी में सिर्फ 7 साल वर्दी पहनी और 30 साल तक जासूसी की. हमेशा खुद को छिपाकर रखा. कई बार भेष बदले. कभी मोची बने तो कभी रिक्शावाला तो कभी भिखारी बनकर भीख मांगी. नाम बदलकर दूसरे धर्म के भी बन गए. असंभव को संभव कर दिखाने वाले अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एकदम खास माने जाते हैं और वर्तमान में देश के NSA हैं.
जब भिखारी बनकर जुटाई पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण की जानकारी
70 के दशक में पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने की तैयारी कर रहा था. इसको लेकर कोई पुख्ता जानकारी भारत के पास नहीं थी. लेकिन, इतनी बड़ी जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी मिली अजीत डोभाल को. डोभाल पाकिस्तान गए और सबसे पहले उस इलाके को खोजा जहां इसकी तैयारी चल रही थी. सेंटर के बाहर बैठकर भीख मांगना शुरू कर दिया. इस बात की भी पुख्ता जानकारी नहीं थी कि सेंटर में परमाणु परीक्षण की तैयारी चल रही है. तब उन्होंने वो जगह खोजी जहां उस सेंटर के वैज्ञानिक बाल कटवाते थे. उन्होंने बालों का सैंपल इकट्ठा किया और उसे भारत भेजा. बालों का परीक्षण हुआ और उसमें रेडिएशन पाया गया. ये अजीत डोभाल ही थे कि जिन्होंने ये जानकारी जुटा ली कि पाकिस्तान परमाणु परीक्षण की तैयारी कर रहा है.
दो दिन के अंदर दंगे को कर दिया शांत...यहीं से शुरू हुआ कामयाबी का सफर
पहली प्रयास में यूपीएससी में सफलता हासिल करने के बाद कैडर केरल का मिला. डोभाल को ज्वाइन किए हुए डेढ़ साल भी नहीं हुए थे कि केरल में एक जगह पर दंगा हो गया. जो पुलिस अफसर थे वो हालात को संभाल नहीं पा रहे थे. तब काफी विचार के बाद डोभाल को भेजा गया. अजीत डोभाल ने ऐसे लोगों को पहचानना शुरू किया जिनकी वजह से दंगे हो रहे थे. सबको बारी-बारी से पकड़ा और तुरंत जेल के अंदर डाल दिया. यह पता लगाया कि जो माल लूटा गया है वह दंगाइयों ने कहां रखा है. तुरंत सामान वापस कराया और दो दिन के अंदर हालात कंट्रोल में हो गए. यहीं से शुरू हुआ डोभाल की कामयाबी का सफर.
कश्मीर में आतंकियों को किया कंट्रोल
80 के दशक के अंत में जब कश्मीर आतंक से झुलस रहा था और स्थिति बेकाबू होती जा रही थी तब डोभाल को वहां भेजा गया. डोभाल पहुंचे और आतंकियों के गढ़ में जाकर लोगों को पकड़कर ब्रेन वॉश करना शुरू किया. बातचीत का तरीका ऐसा कि उन्होंने एक बड़े आतंकवादी को अपने पक्ष में कर लिया. कई बार उससे मुलाकात की और समझाया. साथ ही उससे कई महत्वपूर्ण जानकारी जुटा ली. बाद में उसी आतंकी ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. धीरे-धीरे डोभाल को कश्मीर में स्थिति को कंट्रोल करने में सफलता मिली. ये डोभाल ही थे जिनकी वजह से 1996 में कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का रास्ता साफ हो सका.
तोड़ दी थी लाल डेंगा की कमर, 7 में 6 कमांडर को बना लिया था दोस्त
1972 में मिजोरम में नॉर्थ ईस्ट में आतंकवाद की वजह से बहुत परेशानी थी. मिजोरम में लाल डेंगा बहुत शक्तिशाली हो चुका था. अपनी अलग ही सरकार चला रहा था. ऐसे मुश्किल वक्त में हालात को कंट्रोल करने के लिए डोभाल को भेजा गया. डोभाल ने सबसे पहले लाल डेंगा की ताकत को देखा. पता चला कि 7 कमांडर उसकी सबसे बड़ी ताकत हैं. एक-एक कमांडर के करीब गए. धीरे-धीरे सबको दोस्त बना लिया. दोस्ती इतनी बढ़ा ली कि शाम को साथ बैठकर पार्टी करने लगे. घर पर बुलाकर पार्टी करते थे. 7 में से 6 कमांडर को अपने पक्ष में कर लिया. इससे लाल डेंगा कमजोर हो गया. तब लाल डेंगा को बुलाया और उससे बातचीत की. कुछ ही वक्त में वहां हालात कंट्रोल में हो गए.
अजीत डोभाल की सबसे खास बात है उनकी बातचीत का तरीका. इसी की बदौलत उन्होंने जासूसी की दुनिया में एक के बाद एक कारनामे किए. लोग कम्यूनिकेशन स्किल की पढ़ाई करते हैं लेकिन डोभाल में ये स्किल खुद ब खुद आता गया. उनके काम करने का सबसे खास तरीका है सामने वाले की कमजोरी पकड़ो और उसे अपनी बातों की जाल में इस तरह फंसाओ कि वो सरेंडर कर दे.