Haryana Assembly Election 2024: किस हरियाणा विधानसभा चुनाव में फेमस हुआ 'आया राम गया राम', जानें किसने बोला था पहली बार

Haryana Assembly Election 2024: आया राम गया राम भारतीय राजनीति (Indian Politics) का एक बेहद अहम जुमला है. पहली बार ये जुमला हरियाणा के एक नेता (Haryana Politics) ने इस्तेमाल किया था. आया राम गया राम जुमले की पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है.

Haryana Assembly Election 2024
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST

Haryana Assembly Election 2024: भारतीय राजनीति में कई जुमले बहुत लोकप्रिय हैं. आया राम गया राम राजनीति के सबसे फेमस जुमलों में से एक है. हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. हरियाणा की राजनीति से ही आया राम गया राम वाक्य आया था.

आया राम गया राम उन नेताओं को कहते हैं जो बार-बार पाला बदलते रहते हैं. जब भी कोई नेता एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाता है तो आया राम गया राम मुहावरे का जिक्र आता है. आया राम गया राम जुमले के पीछे एक दिलचस्प सियासी घटना है. आइए आया राम गया राम के पीछे की कहानी को जानते हैं.

पंजाब से अलग हुआ था हरियाणा
आजादी के बाद हरियाणा पंजाब का हिस्सा हुआ करता था. भारत में राज्यों के गठन की शुरुआत साल 1956 में हुई थी. 1956 में कई नए राज्यों का गठन हुआ था. इसके बाद 1960 में भी कुछ नए राज्य बने.

साल 1966 में पंजाब राज्य का बंटवारा हुआ. पंजाब (Punjab) से निकलकर हरियाणा (Haryana) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) दो नए राज्य बने. आधिकारिक तौर पर हरियाणा को 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग किया गया था.

पहला विधानसभा चुनाव
राज्य के गठन के बाद हरियाणा में पहली बार विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 1967) साल 1967 में हुए. 1967 में हरियाणा विधानसभा में कुल 81 विधानसभा सीटें थी. 

इस चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 48 सीटें मिलीं थीं. 12 सीटें जनसंघ के खाते में आईं. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने 2 और स्वतंत्र पार्टी ने 3 सीटें जीती थीं. वहीं 16 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे.

कांग्रेस सरकार गिरी
हरियाणा के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) को पू्र्ण बहुमत मिला थी. कांग्रेस के भगवत दयाल शर्मा (BD Sharma) ने हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री (Haryana First CM) के रूप में शपथ ली. 

कांग्रेस की सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई. सरकार बनने के एक हफ्ते बाद ही कांग्रेस के 12 विधायकों ने दल बदल लिया. इससे कांग्रेस की सरकार गिर गई.

इसी दौरान निर्दलीय विधायकों ने मिलकर एक नया मोर्चा. इसे संयुक्त विधायक दल कहा गया. इस मोर्चे की अगुवाई राव बीरेन्द्र (Rao Birendra) कर रहे थे. कई विधायकों का पाला बदलने का सिलसिला जारी रहा.  

संयुक्त विधायक दल ने अपने साथ 48 विधायकों को कर लिया और हरियाणा में नई सरकार का गठन हो गया. हरियाणा में नए मुख्यमंत्री के रूप  में राव बीरेन्द्र ने शपथ ली.

एक ही दिन में बदली कई पार्टी
हरियाणा के पहले विधानसभा चुनाव में हसनपुर सीट से एक निर्दलीय उम्मीदवार गया लाल जीते थे. गया लाल (Gaya Lal Haryana) ने कांग्रेस के एम सिंह को 360 वोटों से हराया था. बाद में गया लाल कांग्रेस में शामिल हो गए.

इसके बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई. गया लाल को संयुक्त मोर्चा की सरकार बनते हुए दिखाई दी. उन्होंने राव बीरेन्द्र के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले कांग्रेस छोड़ दी और संयुक्त मोर्चे में शामिल हो गए.

उस दिन गया लाल ने कुछ घंटों के भीतर कई बार पार्टी बदली. संयुक्त विधायक दल में जाने के कुछ घंटे बाद गया लाल फिर से वापस कांग्रेस में चले गए. इसके बाद गया फिर से संयुक्त विधायक मोर्चे में आ गए.

आया राम गया राम
इस घटनाक्रम को देखते हुए संयुक्त विधायक दल नेता राव बीरेन्द्र गया लाल को लेकर चंडीगढ़ पहुंचे. चंडीगढ़ में राव बीरेन्द्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान राव बीरेन्द्र ने गया लाल को 'गया राम अब आया राम' कहा.

पहली बार गया राम आया राम राव बीरेन्द्र ने गया लाल के लिए बोला था. इसके बाद आया राम गया राम भारतीय राजनीति का एक अहम जुमला बन गया. वहीं राव बीरेन्द्र की सरकार कुछ ही महीने चली. साल 1968 में हरियाणा में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए. हरियाणा की राजनीति में कई बार आया राम गया राम वाले मौके आए.

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