Haryana Siyasi kissa: राजनीति में परिवार के लोगों के आगे बढ़ाने को लेकर एक बार एक पत्रकार ने ताऊ देवीलाल (Devi Lal Haryana) से इस पर सवाल किया. चौधरी देवीलाल अक्खड़ किस्म के शख्स थे. देवीलाल ने जवाब दिया- अपनों को न बनाऊं तो क्या पाकिस्तान से लाऊं?
हरियाणा की राजनीति में ऐसे ही कई सारे दिलचस्प किस्से हैं. एक बार ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala Haryana) को मुख्यमंत्री बनने के 6 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. आइए हरियाणा के इस सियासी किस्से के बारे में जानते हैं.
देवीलाल बने मुख्यमंत्री
हरियाणा की राजनीति में साल 1987 काफी अहम रहा. हरियाणा विधानसभा चुनाव 1987 (Haryana Assembly election 1987) में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. 90 सीटों की विधानसभा में कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर जीती. सबसे ज्यादा लोकदल 60 सीट हासिल करने में कामयाब रही.
इसके अलावा भाजपा को 16 सीटें मिलीं. वहीं CPI(M) और सीपीआई (CPI) को 1-1 सीट मिली. इसके अलावा इस चुनाव में 7 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते. देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने.
केन्द्र की पॉलिटिक्स में देवीलाल
देवीलाल ने हरियाणा में दो साल सरकार आराम से चलाई. इसी दौरान साल 1989 में लोकसभा चुनाव हुए. बोफोर्स घोटाले (Bofors Scandal) की वजह से राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की छवि खराब हुई थी. इसका फायदा चन्द्रशेखर, वी.पी. सिंह और देवीलाल ने उठाया.
देवीलाल केन्द्र की राजनीति में ज्यादा एक्टिव हो गए. उन्होंने अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को लोकदल का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. बाद में चौटाला को राज्यसभा भी भेज दिया. साल 1989 के चुनाव में कांग्रेस की सबसे ज्यादा 193 सीटें आईं. वहीं जनता दल की 140 सीटें और भाजपा की 88 सीटें आईं थीं.
किसके लिए छोड़ा PM पद?
सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद राजीव गांधी सरकार बनाने के इच्छुक नहीं थे. इस वजह से जनता दल को सरकार बनाने का मौका मिला. प्रधानमंत्री की रेस में देवीलाल और वी.पी. सिंह (VP Singh) सबसे आगे थे.
समर्थन को लेकर दोनों नेताओं अपनी लॉबी बनाने शुरू कर दी. देवी लाल के पास प्रधानमंत्री बनने का अच्छा मौका था. इसी बीच देवी लाल और वी.पी. सिंह के बीच एक डील हुई. इस डील के मुताबिक, वीपी सिंह प्रधानमंत्री बनेंगे और देवी लाल को देश का उप प्रधानमंत्री बनाया जाएगा. वहीं हरियाणा में उनके बेटे को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.
देवी लाल अगर प्रधानमंत्री बनते तो हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री नहीं बन पाते. इस वजह से जनता दल की संसदीय पार्टी में देवी लाल ने प्रधानमंत्री के लिए वी. पी. सिंह का नाम प्रस्तावित किया. देवी लाल ने कहा- हरियाणा में मुझे लोग ताऊ बुलाते हैं, ताऊ ही रहने दो.
ओमप्रकाश चौटाला बने मुख्यमंत्री
एक तरफ देवी लाल ने देश के उप प्रधानमंत्री की शपथ ली. वहीं ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री की शपथ ली. उस समय ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा विधानसभा के मेंबर नहीं थे. ओमप्रकाश चौटाला को 6 महीने के भीतर विधायक बनना था.
इसके लिए ओमप्रकाश चौटाला ने रोहतक की महम सीट को चुना. महम में इलेक्शन के दौरान दंगे भड़क गए. सड़कों पर लोगों के बीच मारपीट हुई. पुलिस को एक्शन लेना पड़ा. इस दौरान एक पार्टी वर्कर की मौत हो गई. हिंसा की वजह से चुनाव रद्द हो गया.
महम में फिर चुनाव हुआ. दोबारा हिंसा हो गई और चुनाव को रद्द करना पड़ा. ओमप्रकाश चौटाला 6 महीन के भीतर विधायक नहीं बन पाए. इस वजह से उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. उनकी जगह मास्टर हुकुम सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने.
6 दिन के CM
हरियाणा में कुछ महीने बाद चुनाव हुए और ओमप्रकाश चौटाला जीत गए. हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनाया. चौटाला ज्यादा दिन मुख्यमंत्री नहीं रह पाए.
ओमप्रकाश चौटाला पर आपराधिक केस चल रहा था. वी.पी. सिंह चाहते थे कि जब तक ये केस चल रहा है चौटाला मुख्यमंत्री न रहें. इस वजह से ओमप्रकाश चौटाला को 6 दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
वी.पी. सिंह की सरकार गिरी
इसी दौरान भाजपा ने वी.पी. सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. वीपी सिंह ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री बने और देवी लाल दूसरी बार देश के उप प्रधानमंत्री बने.
अब केन्द्र में देवी लाल की पकड़ थी. देवी लाल के चन्द्रशेखर से अच्छे रिश्ते थे. देवी लाल ने मास्टर हुकुम सिंह को हटाकर ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया. इस तरह ओमप्रकाश चौटाला ने कुछ महीनों में तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.