Hathras stampede: क्या है बाबा नारायण साकार हरि का तिलस्म! क्यों हैं भोले बाबा के इतने फॉलोअर्स

बाबा को करीब से जानने वाले बताते हैं कि नारायण साकार हरि के सत्संग में 5-5 लाख भक्तों की भीड़ जुटती है, जिससे अब खेतों में भी सत्संग के टेंट बनाए जाने लगे हैं. हर महीने के पहले मंगलवार को नारायण साकार हरि का विशाल सत्संग होता है जिसमें लगभग 5 लाख तक लोग जुटते हैं.

Hathras Stampede Bhole Baba
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ ,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 7:18 PM IST

यूं तो नारायण साकार हरि के भक्त सभी बिरादरी में हैं लेकिन जाटव बिरादरी के भक्त बाबा की सबसे बड़ी ताकत हैं. कहा जाता है कि इनके धार्मिक ताकत की डोर थामकर कई चेहरे विधायक और सांसद बन गए. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जितना विशाल सत्संग नारायण साकार हरि का होता है उतना बड़ा कार्यक्रम किसी दूसरे धार्मिक गुरु या संत का नहीं होता.

बाबा को करीब से जानने वाले बताते हैं कि नारायण साकार हरि के सत्संग में 5-5 लाख भक्तों की भीड़ जुटती है, जिससे अब खेतों में भी सत्संग के टेंट बनाए जाने लगे हैं. हर महीने के पहले मंगलवार को नारायण साकार हरि का विशाल सत्संग होता है जिसमें लगभग 5 लाख लोग जुटते हैं. बिना किसी पब्लिसिटी के बिना सोशल मीडिया के बिना लाइव प्रवचन के नारायण साकार हरि दलित बिरादरी के सबसे बड़े धार्मिक चेहरे बन चुके हैं.

नारायण साकार हरि खुद भी जाटव बिरादरी से आते हैं, ऐसे में उनके भक्त सबसे ज्यादा इसी समाज से हैं और इस समाज में उनकी चर्चा एक आध्यात्मिक गुरु के तौर पर होती है जो उनके दुखों को हरता है, जो बीमारियों से निजात दिलाता है, जो भूत और प्रेत आत्माओं को दूर भगाता है. सत्संग में सिर्फ डेढ़ घंटे के लिए नारायण साकार हरि का कार्यक्रम होता है, जिसमें एक छोटा प्रवचन और आरती होती है और बाकी वक्त में वह लोगों की बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं.

लगभग 20 सालों से नारायण साकार हरि हर महीने विशाल सत्संग का आयोजन करते रहे हैं, हाथरस में जो मौतें हुई उसमें 17 मौतें आगरा जिले की है, मृतकों में सबसे ज्यादा 14 महिलाएं जाटव बिरादरी से हैं जबकि तीन मल्लाह बिरादरी से.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर भाजपा के कई सियासी चेहरे तक नारायण साकार हरि के मंच की शोभा बढ़ा चुके हैं. कहा जाता है कि सियासी दलों में नारायण साकार उर्फ हरि का रसूख इतना रहा है कि टिकट दिलाने में भी उनकी भूमिका रहती है. हालांकि सीधे तौर पर यह सामने कभी नहीं आते, ना ही कभी किसी राजनीतिक नेता के घर या मंच पर जाते हैं लेकिन नारायण साकार हरि को मानने वाले उनकी बात नहीं टालते.

बाबूराम पासवान बीजेपी से पूरनपुर के विधायक हैं जोकि दलित बिरादरी से आते हैं. पीलीभीत के एक स्थानीय फोटो जर्नलिस्ट संजीव सिंह पिछले दो दशक से नारायण साकार हरि को जानते रहे हैं और वो ये भी जानते हैं कि दो बार के विधायक बाबूराम पासवान जब विधायक नहीं बने थे, तब से उनके सिर पर नारायण साकार हरि का हाथ रहा है, बाबूराम पासवान अब बीजेपी से दो बार के विधायक हो चुके हैं.

संजीव सिंह ने आज तक को बताया कि दो दशक पहले से बाबूराम पासवान नारायण साकार हरि का कार्यक्रम पूरनपुर में कराया करते थे. कई दिनों का यह कार्यक्रम होता था जिसमें ज्यादातर दलित बिरादरियां भागीदारी करती थीं. फोटोग्राफर होने के नाते संजीव सिंह की पहुंच भोले बाबा उर्फ सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि के कमरे तक रहती थी और बीजेपी के विधायक उनके अनन्य भक्तों में से एक थे. संजीव सिंह के मुताबिक 2022 चुनाव के पहले भी पूरनपुर में नारायण साकार हरि का समागम हुआ था और बीजेपी के विधायक ने ही उसे भी कराया था.

दरअसल बाबा नारायण साकार हरि का तिलस्म लगभग 16 जिलों में फैला हुआ है, फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी, कानपुर, कानपुर देहात, आगरा, हाथरस, मथुरा, पीलीभीत, बरेली, मुरादाबाद, कासगंज, एटा, फर्रुखाबाद जैसे जिलों में बाबा की जबरदस्त पकड़ है लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि सोशल मीडिया के इस दौर में भी नारायण साकार हरि ने खुद को सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दूर रखा है.

ऐसा नहीं है कि बाबा नारायण हरि पब्लिसिटी नहीं चाहते लेकिन सोशल मीडिया से दूर रहने की वजह लोगों के समझ से परे है. नारायण साकार हरि का ना तो सोशल मीडिया पर कोई ऐसा अकाउंट है जिस पर उनके फॉलोअर्स की संख्या दिखाई देती है ना ही उनका वीडियो दिखाई देता है लेकिन उनके भक्तों और उनके समर्थकों की तादाद इस दौर में इतनी ज्यादा है कि सरकार चाह कर भी बाबा नारायण साकार हरि पर हाथ डालने से हिचक रही है.

 

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