धार्मिक आबादी : देश के 9 राज्यों में से 6 में सिमट रही हिंदुओं की संख्या, मुस्लिम-ईसाइयों की गिनती में इजाफा

भारत के 6 राज्यों में 2001 से लेकर 2011 तक हिदुओं की संख्या में कमी आई है. देश के 9 राज्य ऐसे हैं, जहां हिंदुओं की आबादी कम है, इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उन्हें अल्पसंख्यकों का दर्जा दिलाने की मांग उठी है.

10 साल में 6 राज्यों में कम हुई हिंदुओं की संख्या
तनुजा जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 3:46 PM IST
  • हिदुओं को अल्पसंख्यकों का दर्जा देने की मांग
  • देश के 9 राज्यों में कम है हिदुओं की संख्या

धार्मिक आबादी इन दिनों एक राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है. यह मुद्दा तब सुर्खियों में आया जब सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता ने याचिका दायर कर हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की. उनकी मांग है कि जिन राज्यों में हिंदुओं की आबादी कम है, वहां उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए. 

भारत में 2011 में आखिरी बार जनगणना हुई थी, जिसके मुताबिक हिंदुओं की आबादी 30 करोड़ से बढ़कर 96.6 करोड़, मुसलमानों की आबादी 3.5 करोड़ से बढ़कर 17.2 करोड़ और ईसाइयों की आबादी 80 लाख से बढ़कर 2.8 करोड़ हो गई. हालांकि, 2001 की तुलना में देखा जाए तो 2011 में कम आबादी वाले 9 राज्यों में से 6 में हिंदुओं की आबादी पहले से कम हो गई है. 

इन राज्यों में कम हो रही हिंदुओं की आबादी 

हिंदुओं की आबादी कम होने वाले राज्यों में लद्दाख, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, अरुणाचल, मणिपुर, नगालैंड, जम्मू-कश्मीर और लक्षदीप शामिल हैं. आंकड़ों की मानें तो 2001 से 2011 तक हिदुओं की आबादी में 6 प्रतिशत तक कमी आई है. 

हिंदुओं की संख्या इन राज्यों में कम होने के बावजूद भी यहां इन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया जाता है और देश में मुस्लमानों की संख्या कम है, इसलिए उन्हें यह दर्जा मिला हुआ है. 

हिंदू ही नहीं सिख-बौद्ध आबादी में भी आई कमी

देश में केवल हिंदू ही नहीं बल्कि सिख और बौद्ध धर्म की आबादी में भी गिरावट देखी गई है. पंजाब की बात करें तो यहां 2001 में सिखों की आबादी 60 प्रतिशत थी, जोकि अब गिरकर 58 प्रतिशत हो गई है. वहीं, लद्दाख में बौद्ध आबादी दस सालों में 77 प्रतिशत से कम होकर 66 प्रतिशत ही रह गई है. 

क्या हैं अल्पसंख्यक होने के फायदे

साल 1992 में अल्पसंख्यक आयोग का गठन ही अल्पसंख्यकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए किया गया था. जिन्हें धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक होने का दर्जा दिया जाता है, उन्हें बैंक से सस्ता लोन, सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन और अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त शिक्षण संस्थानों में दाखिले के समय प्रमुखता मिलती है. 

देश में किन धर्मों को मिला है अल्पसंख्यकों का दर्जा

देश में छह धर्म ऐसे हैं, जिन्हें अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया गया है. इसमें सिख, जैन, बौद्ध , ईसाई, पारसी और मुस्लिम शामिल हैं, हालांकि जैन धर्म के लोगों को साल 2014 में ही इस दर्जे में शामिल किया गया था.

साल 2014 के आंकड़े बताते हैं कि सिख, जैन, बौद्ध , ईसाई, पारसी और मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले करीब 5 करोड़ छात्रों को स्कॉलरशिप दी गई. वहीं, यहूदी और बहाई धर्म के लोगों की संख्या सबसे कम होने के बाद भी उन्हें अल्पसंख्यकों का दर्जा नहीं दिया गया है. 

क्यों गर्मा रहा धार्मिक आबादी से जुड़ा मुद्दा 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है कि 9 राज्यों में , जहां हिंदुओं की आबादी कम है वहां उन्हें अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया जाए. यही कारण है कि इन दिनों यह मुद्दा लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सुनवाई टल गई है. अब 6 हफ्ते बाद यानी मई में इस मामले में एक बार फिर सुनवाई होगी. कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार हफ्ते में याचिका से जुड़े सभी मुद्दों पर जवाब दायर करने को कहा है.

ये भी पढ़ें: 

Read more!

RECOMMENDED