History of Parliament Building: साल 1927 में हुआ था संसद भवन का उद्घाटन, 6 साल में 83 लाख रुपए खर्च करके बनाई गई थी बिल्डिंग

संसद भवन का निर्माण साल 1921 से 1927 के बीच 6 साल में किया गया था. इसको बनाने में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे. संसद भवन का डिजाइन मशहूर वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने तैयार किया था.

साल 1927 में 83 लाख रुपए खर्च करके संसद भवन बनाया गया था
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2023,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST

नया संसद भवन बनकर तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नई पार्लियामेंट का उद्घाटन करेंगे. नई संसद भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. वर्तमान के संसद भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था है. पुराना संसद भवन 96 साल पुराना है. जनवरी 1927 में इसका उद्घाटन किया गया था.

साल 1927 में बना था संसद भवन-
संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था. उस समय इसे हाउस ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता था. इसका निर्माण साल 1921 में शुरू हुआ था और 1927 में पूरा हुआ था. 19 जनवरी को केंद्रीय विधान सभा का तीसरा सत्र इसी सदन में आयोजित किया गया था. ड्यूक ऑफ कनॉट ने 12 फरवरी 1921 को संसद भवन की आधारशिला रखी थी. इस भवन का निर्माण अंग्रेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था. जब देश आजाद हुआ तो ये संसद भवन बन गया. 

एडविन लुटियंस ने तैयार किया था डिजाइन-
उस दौर में संसद भवन के निर्माण में 83 लाख रुपए खर्च हुए थे. संसद भवन का डिजाइन उस दौर के मशहूर ब्रिटिश वास्तुकार एडविन के लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने साल 1912-13 में तैयार किया था. माना जाता है कि परिषद भवन का डिजाइन मध्य प्रदेश के मुरैना में चौसठ योगिनी मंदिर के अद्वितीय गोलाकर आकार से प्रेरित था. हालांकि इसका कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है.

इसके अलावा, इस भवन का आकार गोलाकार है जो अशोक चक्र का प्रतीक है. यह गोलाकार इमारत एक तरह से "निरंतरता" का प्रतिनिधित्व करती है. हालांकि, नए संसद भवन का आकार त्रिकोण रूप में है और इसलिए बनाया गया है क्योंकि हर एक धर्म में त्रिकोण ज्यामिति का बहुत महत्व है.

कैसा है संसद भवन-
संसद भवन 6 एकड़ में फैला है. इसमें 12 दरवाजे हैं. इसमें से 5 दरवाजे के सामेन द्वार मंडप बने हुए हैं. पहली मंजिल पर खुला बरामदा है. जिसमें पीले रंग के 144 खंभों की कतार है. हर खंभे की ऊंचाई 27 फुट है. संसद भवन में लॉन, जलाशय, फव्वारे और सड़कें बनी हुई हैं. पूरा परिसर सजावटी लाल पत्थर की दीवारों और लोहे के जंगलों और दरवाजों से घिरा हुआ है. इस संसद भवन की वास्तुकला पर भारतीय परंपराओं की गहरी छाप है.

आजादी के बाद 2 मंजिल बनाई गई-
संसद भवन का निर्माण अंग्रेजों ने किया था. इसके निर्माण में 6 साल का वक्त लगा था. लेकिन जरूरत के हिसाब से आजादी के बाद इसमें बदलाव भी किया गया. संसद भवन 566 मीटर व्यास में बना था. लेकिन जब ज्यादा जगह की जरूरत पड़ी तो साल 1956 में संसद भवन में 2 और मंजिलें जोड़ी गईं.

संसद भवन का सेंट्रल हॉल-
संसद भवन के केंद्र बिंदु में सेंट्रल हॉल का विशाल वृत्ताकार ढांचा है. इस गुंबद का व्यास 98 फुट और इसकी ऊंचाई 118 फुट है. केंद्रीय कक्ष के तीन तरफ लोकसभा, राज्यसभा और ग्रंथालय के तीन कक्ष हैं. उनके बीच सुंदर बगीचा है, जिसमें हरी घास और फव्वारे हैं. इन तीनों कक्षों के चारों तरफ एक चार मंजिला वृत्ताकार इमारत बनी हुई है. इसमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के सभापतियों और पार्टी के ऑफिस हैं. संसद भवन के भूमि तल पर गलियारे की बाहरी दीवार को अनेक भित्ति-चित्रों से सजाया गया है.

संसद भवन की लाइब्रेरी-
संसद भवन में एक लाइब्रेरी है. जिसका निर्माण 2002 में किया गया. इसका डिजाइन देश के चोटी के आर्किटेक्ट राज रावल ने बनाया. संसद भवन का केंद्रीय कक्ष इस नए परिसर के करीब है. ये लाइब्रेरी 10 एकड़ में बनाई गई है. इसमें 15 लाख से अधिक पुस्तकें हैं.

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