पीएम मोदी के तारीफ करते ही एक बार फिर चर्चा में तमिल भाषा, जानें कितनी पुरानी और क्या है बोलने वालों की संख्या

तमिल भाषा (Tamil Language)परिवार और भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है. इस भाषा का इतिहास हजारों साल पुराना है.

एक बार फिर चर्चा में तमिल भाषा
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2022,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST
  • हजारों साल पुराना है तमिल भाषा को लेकर विवाद
  • प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती तमिल भाषा

पीएम मोदी के चेन्नई (Chennai) दौरे के दौरान तमिल भाषा की तारीफ की. इसके बाद से ही एक बार फिर तमिल भाषा को लेकर चर्चा होने लगी है. दरअसल, यह आज का नहीं बल्कि सालों पुराना विवाद है. एक बार फिर सीएम स्टालिन ने इसे छेड़कर इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है. सीएम ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि तमिल भाषा को भी हिंदी के बराबर दर्जा दिया जाना चाहिए. चलिए आपको बताते हैं कि तमिल आखिर कितनी पुरानी भाषा है और भारत में इसे बोलने वाले कितने लोग हैं. 

कितनी पुरानी है तमिल भाषा 

दुनिया की सबसे पुरानी भाषा कौन सी है ? इस सवाल को लेकर लंबे समय से बहस होती आई है. कई रिसर्च में सामने आया है कि तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है. माना जाता है कि लगभग 5000 साल पहले इस भाषा की उन्नति हुई थी लेकिन, इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं. 

कितने लोग बोलते हैं तमिल

तमिल भले ही काफी पुरानी हो लेकिन, इसे बोलने वालों की संख्या हिंदी बोलने वालों से कम है. फिलहाल 7 करोड़ लोग बातचीत के लिए तमिल भाषा का इस्तेमाल करते हैं. यह तमिलनाडु राज्य की प्रशासनिक भाषा है और यह पहली ऐसी भाषा है जिसे 2004 में भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था. 

प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है तमिल

तमिल भाषा परिवार और भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में गिनी जाती है. इस भाषा का इतिहास कम से कम 5000 वर्ष पुराना माना जाता है. वहीं, तमिल साहित्य कम से कम पिछ्ले दो हजार वर्षों से अस्तित्व में है, जो सबसे आरंभिक शिलालेख पाए गए है वे तीसरी शताब्दी ईसापूर्व के आसपास के हैं. 

तमिलनाडु में क्यों होता रहा है हिंदी का विरोध

तमिलनाडु में कई बार हिंदी भाषा को लेकर विरोध हो चुके हैं. अक्सर नेताओं को यह कहते सुना जाता है कि 'हिंदी को थोपने की मनमानी स्वीकार नहीं की जाएगी'. यह आज से ही नहीं आजादी के दौर से जारी है, जब हिंदी को राष्ट्रभाषा या देश की इकलौती राजभाषा के रूप में स्वीकार करने की चर्चा हुई, तब भी दक्षिण भारत ने इसका विरोध किया था. इस मुद्दे को लेकर विरोध के सुर गूंज उठे थे. 

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