रेल या सड़क दुर्घटना में दुर्भाग्यवश यदि कोई यात्री घायल हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है तो मुआवजा राशि दी जाती है. इसके अलावा केंद्र व राज्य सरकारें भी मुआवजा देने का ऐलान करती हैं. आइए जानते हैं कैसे मिलता है मुआवजा और कौन कर सकता है आवेदन?
ओडिशा रेल हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को इतने मिलेंगे रुपए
ओडिशा के बालासोर में गत शुक्रवार को हुए रेल हादसे के बाद पीएमओ ने ऐलान किया है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से ट्रेन हादसे के मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए दिए जाएंगे जबकि घायलों को 50-50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. रेल मंत्रालय की ओर से मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख की आर्थिक मदद देने की घोषणा की गई है. गंभीर रूप से घायलों के लिए दो लाख रुपए, मामूली रूप से चोटिलों के लिए 50,000 रुपए की सहायता राशि दी जाएगी.
इसके अलावा अलग-अलग राज्यों की सरकार ने भी इस हादसे में घायल हुए और मृतकों को मुआवजा राशि देने की घोषणा की है. पश्चिम बंगाल ने अपने राज्य के मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है.ओडिशा सरकार ने अपने राज्य से मरने वालों के लिए 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान और गंभीर रूप से घायल लोगों के लिए 1-1 लाख रुपए के मुआवजा देने का ऐलान किया है. इसके अलावा उन मृतक यात्रियों को अलग से 10 लाख रुपए का बीमा मिलेगा, जिन्होंने रेल टिकट बुक करते समय ट्रैवल इंश्योरेंस का चयन किया होगा.
रेलवे कितना देता है मुआवजा
रेल दुर्घटना होने पर दी जाने वाली मुआवजा राशि को संशोधन कर कई मामले में मुआवजे की शुरुआती राशि 4 लाख रुपए बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दी गई है. रेल दुर्घटना के अलग-अलग मामलों में रेलवे की ओर से अलग-अलग मुआवजा दिया जाता है. यदि किसी इंसान की आंखों की रोशनी चली गई है या सुनाई देना बंद हो गया है तो उसे 8 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. अगर चेहरा विकृत हो जाता तो भी मुआवजे के तौर पर इतनी ही राशि दी जाती है. इसके अलावा चोट लगने के मामले उसकी गंभीरता के आधार पर घायल यात्री को 32,000 से लेकर 8 लाख रुपए तक की मुआवजा राशि दी जाती है.
रेलवे इन स्थितियों को मानता है दुर्घटना
रेलवे अधिनियम, 1989 का अध्याय 13 में कहा गया है कि दुर्घटना के कारण किसी यात्री की मौत और गंभीर शारीरिक क्षति के मामले में रेलवे विभाग उत्तरदायी है. जब ट्रेन में काम करते समय कोई दुर्घटना होती है तो यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेनों के बीच टक्कर होती है या यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेन पटरी से उतरती है तो घायल को मुआवजा दिया जाएगा.
किसे नहीं मिलेगी मुआवजा राशि
आत्महत्या का प्रयास, खुद को चोट पहुंचाना, गैरकानूनी काम के कारण होने वाली चोट, बिगड़ी मानसिक अवस्था में कोई ऐसा काम करने जिससे खुद को नुकसान पहुंचे, ऐसे मामलों में मुआवजा नहीं दिया जाएगा.
मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया
1. रेल अधिनियम, 1989 की धारा 125 के तहत पीड़ित या मृतक के आश्रित मुआवजे के लिए रेलवे दावा अधिकरण (आरसीटी) में आवेदन कर सकते हैं.
2. पैसेंजर ट्रेन दुर्घटना या अप्रिय घटना के तुरंत बाद, संबंधित आरसीटी बेंच को रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जो घायलों और मृतकों के सभी विवरण प्राप्त कर सकते हैं और दावेदारों को आवेदन पत्र भेज सकते हैं.
3. जब दावे प्रस्तुत किए जाते हैं तो उसकी जांच की जाती है. रेलवे शीघ्र मामलों को निपटाने के लिए आरसीटी को हर संभव सहयोग करता है.
4. रेलवे को ऐसे मामलों में आरसीटी से नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर लिखित बयान देना होगा.
5. दावे की राशि की मंजूरी के बाद 15 दिनों के भीतर जारी या भेजे गए चेक का विवरण कंफर्म किया जाता है. मुख्य दावा अधिकारियों को 8 लाख रुपए तक के दुर्घटना मुआवजे के दावों को निपटाने का अधिकार है.
6. आवेदक का निवास स्थान या वह स्थान जहां यात्री ने टिकट खरीदा हो या वह स्थान जहां दुर्घटना या अप्रिय घटना हुई हो, का उल्लेख आवेदन में किया जाना चाहिए.
7. आरसीटी के समक्ष दायर दावा याचिकाओं के लिए प्रति मामले में अधिकतम तीन स्थगन की अनुमति है. आरसीटी को उसके समक्ष दायर मामले की अंतिम सुनवाई के 21 दिनों के भीतर समाप्त हो जाना चाहिए.
8. भारतीय रेलवे की वेबसाइट www.indianrailways.gov.in में दुर्घटना के संबंध में मुआवजे के दावों के संबंध में नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है.
सड़क हादसे में इस एक्ट के तहत मिलता है मुआवजा
सड़क हादसे में जख्मी या मौत होने पर मोटर वीइकल एक्ट 1988 के तहत मुआवजा मिलता है. यह कानून 1 जुलाई 1989 को लागू हुआ था और मोटर वीइकल एक्ट 1939 की जगह लिया था. वैसे भारत में सबसे पहले 1914 में मोटर वीइकल एक्ट वजूद में आया था. मोटर वीइकल एक्ट 1988 के तहत ही सड़क हादसे के मामलों में दावे और मुआवजे का फैसला होता है. मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के तहत 10 रुपए के कोर्ट-शुल्क टिकटों पर क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन किया जा सकता है. ये आवेदन दुर्घटना की घटना के छह महीने के भीतर करना होता है.
मोटर व्हीकल एक्सिडेंट फंड से मिलेगी सहायता
सड़क दुर्घटना के लिए जिम्मेदार मोटर की पहचान हो जाने पर हताहत व्यक्ति को मुआवजा तो बीमा कंपनी से मिलता है लेकिन हिट एंड रन मामलों में तो टक्कर मारने वाला मोटर फरार हो जाता है. ऐसे मामलों में पीड़ितों को सहायता देने के लिए वर्ष 1989 में एक हर्जाना योजना बनी थी. इन पीड़ितों को मोटर व्हीकल एक्सिडेंट फंड से सहायता दी जाती है.
हिट एड रन मामले में मुआवजे के नियम
सड़क हादसे के बाद ड्राइवर गाड़ी के साथ फरार हो जाए तो यह मामला हिट एंड रन का होता है. ऐसे हादसों में मुआवजे के नियमों में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कुछ बदलाव किया था. नए नियम 1 अप्रैल 2022 से लागू हो चुके हैं. इसके तहत हिट एंड रन केस में मौत होने पर परिजन को 2 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा. पहले यह राशि 25 हजार रुपए थी. वहीं गंभीर रूप से घायल होने पर 12500 की जगह 50000 रुपए का मुआवजा मिलेगा.
केस टू केस अलग मुआवजा
केस टू केस अलग मुआवजा मिलता है. यानी हर एक केस के तथ्यों पर निर्भर होता है. मुआवजे की राशि तय करते वक्त अदालतें बहुत सी बातों को ध्यान में रखती हैं. मुआवजा नुकसान पर भी निर्भर करता है. नुकसान शारीरिक या मानसिक दोनों हो सकता है. सड़क दुर्घटना में मौत होने पर 5 लाख रुपए तक और गंभीर चोट के मामले में 2.5 लाख रुपए तक मुआवजा मिल सकता है.
कौन कर सकता है मुआवजे के लिए आवेदन
1. जख्मी व्यक्ति.
2. जिस संपत्ति को नुकसान पहुंचा हो उसका मालिक.
3. मोटर एक्सीडेंट में मारे गए किसी शख्स का कानूनी प्रतिनिधि.
4. जख्मी व्यक्ति का अधिकृत एजेंट या मृत व्यक्ति का वैध प्रतिनिधि.
कहां कर सकते हैं दावा
1. सड़क हादसे की स्थिति में मुआवजे के लिए इन ट्राइब्यूनल्स में दावा किया जा सकता है.
2. दावा करने वाला शख्स जहां रहता हो, वहां के क्लेम ट्राइब्यूनल में.
3. गाड़ी का मालिक जहां रहता हो वहां के क्लेम ट्राइब्यूनल में.
4. जिस जगह हादसा हुआ हो, वहां के क्लेम ट्राइब्यूनल में.
5. हादसे के अधिकतम 6 महीने के भीतर क्लेम करना जरूरी.
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