Assembly Election 2023: कैसे होती है वोटों की काउंटिंग, किसी सीट के नतीजे पहले तो कुछ के बाद में क्यों आते हैं? यहां जानें अहम सवालों के जवाब

Vote Counting Time: 3 दिसंबर 2023 की सुबह 8 बजे से EVM का पिटारा खुलने लगेगा. उसमें दर्ज जनता के वोटों की गिनती से तय होगा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अगली सरकार किसकी बनेगी. आइए जानते हैं कैसे वोटों की काउंटिंग होती है?

Vote Counting ( file photo)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:03 PM IST
  • सबसे पहले पोस्टल बैलेट की होगी गिनती 
  • इसके बाद ईवीएम के वोटों की होगी काउंटिंग

पांच राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और मिजोरम में विधानसभा चुनावों के लिए वोटिंग हो चुकी है. ईवीएम यानी इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में कैद वोटों की गिनती 03 दिसंबर 2023 को सुबह 08 बजे से शुरू होगी. चुनाव आयोग के देखरेख में मतगणना केंद्रों पर सारी तैयारी पूरी कर ली गई हैं.  वोटों की गिनती से तय होगा कि किस राज्य में किस पार्टी की सरकार बनेगी. आइए जानते हैं मतगणना केंद्रों पर कैसे वोटों की काउंटिंग होती है, अंदर कौन-कौन मौजूद होता है और किसी सीट के नतीजे पहले तो कुछ के बाद में क्यों आते हैं?

पोस्टल बैलेट और सर्विस वोट क्या होता है?
80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों, दिव्यांगों, आवश्यक सेवाओं में लगे लोग और चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को पोस्टल बैलेट से वोट देने की इजाजत है. इन लोगों को पोस्टल बैलेट जारी किए जाते हैं, जिससे वो अपना वोट डाल सकते हैं. इन्हें पोस्ट कर दिया जाता है.

वहीं, जिस राज्य में चुनाव हो रहा है, उस राज्य के मूल निवासी अगर किसी दूसरे राज्य में रहते हैं, उन्हें सर्विस वोट जारी किए जाते हैं. इनमें सेना या अर्धसैनिक बलों में काम कर रहे अफसर-जवान या सरकारी कर्मचारी शामिल होते हैं. ये लोग ऑनलाइन बैलेट का प्रिंटआउट निकालकर उसको डाक के जरिए भेजता है. इसे डाक वोट भी कहा जाता है.

वोटिंग के बाद स्ट्रॉन्ग रूम में जाती हैं EVM
वोटिंग खत्म होने के बाद EVM और VVPAT को जिस जगह रखा जाता है, उसे स्ट्रॉन्ग रूम कहा जाता है. यहां बेहद कड़ी सुरक्षा होती है. स्ट्रॉन्ग रूम में 24 घंटे CAPF के जवान तैनात रहते हैं. इसकी 24 घंटे CCTV से निगरानी भी होती है. स्ट्रॉन्ग रूम की दो चाबियां होती हैं. 

इसकी एक चाबी रूम इनचार्ज के पास तो दूसरी चाबी एडीएम या उससे ऊपर के किसी अधिकारी के पास होती है. किसी स्ट्रॉन्ग रूम में एक से ज्यादा दरवाजे हैं तो वहां दीवार बना दी जाती है. स्ट्रॉन्ग रूम के साथ एक कंट्रोल रूम भी जुड़ा होता है. पुलिस अफसर राउंड द क्लॉक सिक्योरिटी अरेंजमेंट के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में आते हैं. इतना ही नहीं, यहां 24 घंटे बिजली की सप्लाई भी सुनिश्चित होती है.

ईवीएम मशीनों की होती है जांच
वोटिंग शुरू होने से पहले सारी EVM मशीनों की जांच की जाती है. यह जांच रिटर्निंग ऑफिसर की उपस्थिति में ही की जाती है. वोटों की गिनती इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट (ETPB) और पोस्टल बैलट (PB) की काउंटिंग से शुरू होती है. ये वोट रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की निगरानी में गिने जाते हैं. इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट (ETPB) और पोस्टल बैलट (PB) की गणना के शुरू होने के आधे घंटे बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में डाले गए वोटों की गिनती शुरू हो सकती है. 

काउंटिंग सेंटर में होते हैं 14 टेबल 
काउंटिंग सेंटर में 14 टेबल होते हैं. इसके अलावा एक-एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर और ऑब्जर्वर के लिए भी होता है. काउंटिंग सेंटर में उम्मीदवार या उनके एजेंट को मौजूद रहने की इजाजत रहती है. वोटों की गिनती अलग-अलग राउंड्स में होती है.  हर राउंड में 14 EVM के वोट गिने जाते हैं. हर राउंड के बाद एजेंट से फॉर्म 17-C हस्ताक्षर करवाया जाता है और फिर RO को दे दिया जाता है. 

काउंटिंग हॉल में एक ब्लैकबोर्ड भी होता है, जिसमें हर राउंड के बाद हर प्रत्याशी को कितने वोट मिले, ये लिखा जाता है. फिर लाउडस्पीकर से घोषणा की जाती है. इसे ही रूझान कहा जाता है. काउंटिंग हॉल के अंदर सिर्फ ऑफिशियल कैमरा से ही वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है. 

विधानसभा-लोकसभा चुनाव साथ हों, तो ये होगी प्रक्रिया
एक हॉल में एक ही विधानसभा सीट की वोटों की गिनती होती है. अगर विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ हों तो एक ही हॉल में 7 टेबल पर विधानसभा और 7 टेबल पर लोकसभा सीट की गिनती होगी. यदि किसी सीट पर उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा हो, तो चुनाव आयोग के इजाजत से टेबल की संख्या बढ़ाई जा सकती है. 2009 के लोकसभा चुनाव में 25 टेबलें रखी गई थीं.

कहीं जल्दी तो कहीं देरी से क्यों आता है परिणाम
अब समझना यह जरूरी है कि सबसे कम और सबसे ज्यादा बूथ होने के चलते परिणाम आने में जल्दी या देरी होती है.  जिस विधानसभा में जितने कम बूथ होंगे, वहां सबसे कम समय में मतगणना होती है. मध्य प्रदेश में भोपाल जिले की विधानसभा सीटों की बात करें तो सबसे पहले भोपाल मध्य के नतीजे आ सकते हैं. 

उसके बाद उत्तर, दक्षिण और पश्चिम के नतीजे आने का अनुमान है.  कई मतदान केंद्रों पर न्यूनतम 10 राउंड में वोटों की गिनती होगी तो कई जगहों पर अधिकतम 32 राउंड में काउंटिंग होने का अनुमान है. वहीं, जहां जितने ज्यादा राउंड होंगे, वहां उतना ही अधिक समय लगेगा.

इसलिए होती है देरी
पिछले चुनाव में कई सीटों पर जीत का फासला इतना कम था कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने फिर से गिनती की मांग कर दी थी, ऐसे में दोगुना समय लग जाता है. यह संभावना इस बार भी दिख रही है.

VVPAT मशीनें क्या हैं?
जब कोई मतदाता ईवीएम में बटन दबाता है तो वीवीपैट के माध्यम से एक कागज की पर्ची छपती है. पर्ची में उम्मीदवार का चुनाव चिह्न और नाम होता है. यह मतदाता को अपनी पसंद सत्यापित करने की अनुमति देता है. वीवीपैट में कांच के केस से मतदाता को 07 सेकेंड तक दिखाई देने के बाद मतपत्र पर्ची कटकर वीवीपैट मशीन में बने ड्रॉप बॉक्स में डाल दी जाती है. तब एक बीप सुनाई देती है. वीवीपैट मशीनों तक केवल मतदान अधिकारी ही पहुंच सकते हैं.

वीवीपैट मशीन कराती हैं देरी
वर्ष 2018 में पहली बार वीवीपैट मशीनों का उपयोग हुआ था. इस बार भी इन मशीनों का उपयोग हुआ है. मतगणना के दौरान ऐसा कई जगहों पर होता है कि उम्‍मीदवार अपने संदेह को दूर करने के लिए मशीनों से वोटों की गणना के बाद वीवीपैट मशीनों की पर्ची भी गिनवाते हैं. इससे रिजल्‍ट आने में काफी देरी हो सकती है.

कोई गंभीर बात या गड़बड़ी पर क्या होता है
मतों की गिनती के दौरान ईवीएम के क्षतिग्रस्त होने या वीवीपैट पर्चियों में किसी गड़बड़ी के पाए जाने पर चुनाव की देखरेख कर रहा रिटर्निंग अफसर, तुरंत इस बात की सूचना चुनाव आयोग को देगा.फिर परिस्थिति की गंभीरता पर यह निर्भर करेगा कि चुनाव आयोग क्या फैसला करेगा? 

चुनाव आयोग मामले का अध्ययन करने पर अगर कोई बड़ी गलती या कमी नहीं पाएगा तो इस प्रक्रिया को जारी रखने को कहेगा और अगर कोई गंभीर कमी या गलती पाई जाएगी तो चुनाव आयोग, चुनावों को खारिज कर देगा है और फिर से चुनावों के आदेश देगा.

कैसे होता है नतीजा घोषित
यदि मतों की गिनती बिना किसी गड़बड़ी की शिकायत और बिना चुनाव आयोग के किसी निर्देश के समाप्त हो जाएगी तो रिटर्निंग ऑफिसर ही मतों की गिनती के पूरा होने पर नतीजे घोषित कर देगा.

काउंटिंग के बाद संभालकर रखा जाता है डेटा 
वोटों की गिनती के बाद उसे कंट्रोल यूनिट मेमोरी सिस्टम में सेव करके रखा जाता है. कंट्रोल यूनिट में यह डेटा तब तक रहता है जब तक इसे डिलीट न किया जाए. वोटों की गिनती की जिम्मेदारी चुनाव पदाधिकारी यानी रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की होती है. रिटर्निंग ऑफिसर सरकारी अफसर को या फिर स्थानीय निकाय के अधिकारी को बनाया जाता है.

1. रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951
Section 64, काउंटिंग ऑफ वोट्स: वोटों की गणना रिटर्निंग ऑफिसर की देख-रेख में की जाती है. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार, इलेक्शन एजेंट, काउंटिंग एजेंट को काउंटिंग वेन्यू पर रहने की इजाजत होती है.
Sec 67, रिजल्ट की जानकारी: रिटर्निंग ऑफिसर को इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को रिजल्ट के बारे में जानकारी देनी होती है. इसके अलावा उन्हें दूसरी अथॉरिटी (सेक्रेटरी स्टेट लेजिस्लेचर) सहित उन लोगों को यह जानकारी देनी होती है जो सरकारी गैजेट्स पर इस रिजल्ट को अपलोड करते हैं.
2. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961
रूल 51: वोट काउंटिंग के लिए जगह और समय का निर्धारण 
रिटर्निंग ऑफिसर की ओर से वोट काउंटिंग के लिए जगह और समय का निर्धारण किया जाता है. रिटर्निंग ऑफिसर वोट काउंट होने से एक हफ्ते पहले सारे कैंडिडेट्स को जगह की जानकारी दे देता है.
रूल 52: भारत के इलेक्शन कमीशन के दिशा-निर्देश के अनुसार उम्मीदवार काउंटिंग एजेंट को रख सकता है लेकिन उसकी संख्या 16 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
रूल 53: रिटर्निंग ऑफिसर, काउंटिंग स्टाफ, उम्मीदवार इलेक्शन एजेंट, काउंटिंग एजेंट, सरकारी कर्मचारी के अलावा कोई भी व्यक्ति काउंटिंग सेंटर पर मौजूद नहीं रह सकता है.
रूल 55 C: काउंटिंग स्टाफ और काउंटिंग एजेंट EVM मशीन की जांच काउंटिंग से पहले करते हैं. अगर इसमें किसी प्रकार गड़बड़ी पाई जाती है तो इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को इसकी जानकारी दी जाती है.
3. वोट काउंटिंग के एक हॉल में टेबल्स की संख्या 14 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए (2009 के लोकसभा इलेक्शन के दौरान, 25 टेबल तक लगाने की मंजूरी दी गई थी).
4. चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार या उनका एजेंट रिटर्निंग ऑफिसर के टेबल पर काउंटिंग की प्रक्रिया देखने के लिए बैठ सकता है. सिर्फ ऑफिशियल कैमरे से ही वीडियोग्राफी हो सकती है.
5. काउंटिंग हॉल में सिर्फ इलेक्शन कमीशन के निरीक्षक ही मोबाइल फोन का उपयोग कर सकते हैं.
6. वोट काउंटिंग जगह पर 100 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू होती है. इसके आस-पास की हर पब्लिक गेदरिंग वाली जगह को बंद कर दिया जाता है.
7. कोई भी काउंटिंग मेंबर काउंटिंग सेंटर से वोटिंग के दौरान न तो बाहर निकल सकता है और न ही दोबारा आ सकता है.

 

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