वर्तमान कर्नाटक राज्य आजादी के समय 20 से भी ज्यादा अलग-अलग प्रांतों में बंटा था, जिनमें मद्रास, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और हैदराबाद रियासत आदि शामिल थे. स्वतंत्रता के बाद जब 1953 में आंध्र प्रदेश बना तो मद्रास के कई जिले मैसूर में मिलाए गए. इससे लोगों में हिंसा की आग भड़क उठी और उनका आंदोलन विद्रोह पर उतर आया. आखिरकार, सरकार ने भाषायी आधार पर 1 नवंबर 1956 को स्टेट ऑफ मैसूर की स्थापना की. इसमें सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को एक ही राज्य में विलय कर दिया गया. साल 1973 में इसका नाम स्टेट ऑफ मैसूर से बदल कर कर्नाटक रखा गया. उस समय राज्य के मुख्यमंत्री देवराज उर्स थे.
डी देवराज उर्स बने थे पहले मुख्यमंत्री
शुरू में कर्नाटक की राजनीति में मैसूर घराने का काफी प्रभाव रहा. 1973 में पुनर्गठन के बाद से यहां की राजनीतिक हलचल देखने वाली रही है. डी देवराज उर्स जो की कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री थे के बाद पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करने वाले दूसरे मुख्यमंत्री सिद्दारमैया बने. देश की राजनीति में गहरा प्रभाव छोड़ने वाले कई राजनेता यहां से निकले हैं. एसएम कृष्णा, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, मल्लिकार्जुन खड़गे बीएस येदियुरप्पा जैसे नेता कर्नाटक से ही हैं.
कई बार लग चुका है राष्ट्रपति शासन
1977 से 2013 के बीच ऐसे मौके कई बार आए जब कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने पड़े. यहां पर ज्यादातर शासन कांग्रेस का रहा है. 1983 में जनता पार्टी के रामकृष्ण हेगड़े ने यह परंपरा तोड़ी थी पर शासन ज्यादा दिन नहीं रहा था. उसके बाद जतना दल की तरफ से 1994 में एचडी देवेगौड़ा गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे. 2006 में बीजेपी-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बने देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी. हालांकि यह सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई.
कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक में कुल नौ बार बनाई सरकार
कांग्रेस की बात की जाए तो देश की स्वतंत्रता के बाद से कर्नाटक में कांग्रेस ने कुल नौ बार सरकार बनाई है. राज्य में पार्टी की पहली सरकार 1952 में के. चेंगलराय रेड्डी के नेतृत्व में बनी थी. सामान्य बहुमत हासिल करने के बाद उस साल चुनाव हुए. पार्टी ने 1957 और 1962 में भी एस. निजलिंगप्पा के नेतृत्व में कर्नाटक में सरकार बनाई. 1972 में कांग्रेस पार्टी ने राज्य में बहुमत हासिल किया और डी. देवराज उर्स के नेतृत्व में सरकार बनाई. पार्टी ने 1980 और 1985 में आर गुंडू राव के नेतृत्व में सरकारें बनाकर कर्नाटक में अपनी जीत की लय जारी रखी.
1999 में फिर से बहुमत की हासिल
10 साल के अंतराल के बाद, कांग्रेस पार्टी ने 1999 में फिर से राज्य में बहुमत हासिल किया और एस एम कृष्णा के नेतृत्व में सरकार बनाई. 2013 में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर कर्नाटक में बहुमत हासिल किया और सिद्धारमैया के नेतृत्व में सरकार बनाई. पार्टी ने 2018 के चुनावों में राज्य में लगातार दूसरी बार जनता दल (सेक्युलर) पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई. जनता दल (सेक्युलर) के एचडी कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, जबकि कांग्रेस पार्टी ने सरकार को बाहरी समर्थन प्रदान किया.
2008 में पहली बार बीजेपी की बनी सरकार
2008 में बीजेपी कर्नाटक विधानसभा में 224 में से 110 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. पांच निर्दलीय विधायकों के समर्थन से पार्टी ने राज्य में सरकार बनाई. बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने और उनकी सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
2013 में भाजपा बहुमत साबित करने में रही नाकाम
2013 के कर्नाटक विधान सभा चुनावों में भाजपा ने 40 सीटें जीतीं. 122 सीटें जीतने वाली कांग्रेस बहुमत हासिल करने में विफल रही और 40 सीटें जीतने वाली जेडीएस ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया. भाजपा को तब राज्यपाल की ओर से सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया. बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि उनकी सरकार केवल दो दिनों तक चली, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया. बीजेपी बहुमत साबित करने में नाकाम रही और सरकार गिर गई. इसके बाद सत्ता में कांग्रेस ने वापसी की.
2018 में कांग्रेस-जेडीएस की गिर गई सरकार
2018 में भाजपा ने विधानसभा चुनावों में 104 सीटें जीतीं, लेकिन बहुमत से चूक गई. जेडीएस और आईएनसी ने सरकार बनाने के लिए एक गठबंधन बनाया. इसमें जेडीएस के कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने. जुलाई 2019 में कई विधायकों के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिर गई. इसके बाद बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और बीएस येदियुरप्पा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि, उनकी सरकार केवल तीन दिनों तक चली, क्योंकि उन्होंने विश्वास मत से पहले इस्तीफा दे दिया था.
उपचुनाव में भाजपा ने लहराया परचम और बना डाली सरकार
उपचुनावों में भाजपा ने 15 में से 12 सीटें जीतीं, जिससे उसे विधानसभा में बहुमत मिला. इसके बाद येदियुरप्पा ने एक बार फिर सरकार बनाई और स्वास्थ्य कारणों से जुलाई 2021 में इस्तीफा देने तक उनकी सरकार लगभग दो साल तक चली. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बसवराज बोम्मई को भाजपा द्वारा कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. उन्होंने जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. राज्य में वर्तमान में उनकी सरकार सत्ता में है. कुल मिलाकर भाजपा ने देश की आजादी के बाद से चार बार कर्नाटक में सफलता हासिल कर सरकार बनाई है.