सादगी, शालीनता और सौम्यता. इन भावों को जिया है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने. जिन्होंने भी मनमोहन सिंह को करीब से देखा और जाना. उनके लिए वो ताउम्र सरल और निष्कपट व्यक्तित्व वाले शख्सियत ही रहे.
भारत में आर्थिक सुधारों के जनक पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके गुजर जाने के बाद पूरे देश ने एक महान नेता, शिक्षाविद् और ग्लोबल इकोनॉमिस्ट को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
क्या बोले राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल साइट X पर मनमोहन सिंह की तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा- मैंने अपना मार्गदर्शक और गुरु खो दिया. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति का वो नाम थे, जो हमेशा विवादों से दूर रहे, ज्यादा बोलने की आदत नहीं थी पर जरूरत पड़ने पर अपनी बात दमदार तरीके से रखना जानते थे.
वित्त मंत्री के पद पर खरे उतरे
बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने देश की आर्थिक सेहत का उपचार किया. एक कुशल सर्जन की तरह उन्होंने बदहाल अर्थव्यवस्था का ऐसा इलाज किया कि आज हम फाइव ट्रिलियन इकोनॉमी का स्वप्न साकार करने की तरफ बढ़ रहे हैं.
किए अमेरिका के साथ रिश्ते बेहतर
विरोधी जिन्हें मौन मोहन बुलाया करती थी, दुनिया उन्हें असरदार सरदार मानती थी. आर्थिक सुधारों के साथ-साथ मनमोहन सिंह विदेश नीति के मोर्चे पर भी बेहद कामयाब रहे. अमेरिका से रिश्तों में सुधार की मजबूत नींव डाली, इसी का नतीजा था कि अमेरिका के साथ परमाणु समझौता हो सका. हांलाकि इस समझौते के लिए उन्होंने अपनी सरकार तक को दांव पर लगा दिया था. तब उन्होंने कुर्सी की चिंता नहीं की, दिमाग में सिर्फ देश था. इसी दृढ़ विश्वास के बूते उन्होंने न्यूक्लियर डील फाइनल की.
राजनीत के सफर में लिए अहम फैसले
साल 2004 से पहले कभी किसी ने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था कि नरसिंम्हा सरकार में वित्त मंत्री रहने वाले मनमोहन सिंह इस देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं. पर हालात ऐसे बने कि सोनिया गांधी ने चौंकाने वाला फैसला लिया, और प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह का नाम आगे बढ़ा दिया.
वित्त मंत्री के तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने वाले नायक को देश की कमान मिली. फिर 10 साल तक मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री रहे. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के तौर पर और बाद में प्रधानमंत्री के तौर पर कई ऐसे फैसले लिए जिसने देश की दशा और दिशा बदल दी.