NSG Commando: 90 दिन की ट्रेनिंग... मनोवैज्ञानिक टेस्ट... 5 साल से ज्यादा नहीं होता कार्यकाल... इस कठिन प्रोसेस के बाद बनते हैं एनएसजी कमांडो

How to Become National Security Guard: केंद्र सरकार ने NSG कमांडो जिसे ब्लैक कैट कमांडो के नाम से भी जाना जाता है को VIP सुरक्षा ड्यूटी से हटाने का आदेश दिया है. NSG कंमाडो का इस्तेमाल सिर्फ आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए किया जाएगा.आइए जानते हैं कैसे नेशनल सिक्योरिटी गार्ड बनते हैं.

NSG Commando ( File Photo: PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:08 AM IST
  • NSG कमांडो अपनी बहादुरी के लिए हैं प्रसिद्ध 
  • एनएसजी कमांडो को एक गोली से एक जान लेने की दी जाती है ट्रेनिंग 

केंद्र सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (National Security Guard) यानी NSG कमांडो को VIP सिक्योरिटी से हटाने का आदेश दिया है. इनकी जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों को VIP की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी.

देश में इस समय यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत 9 नेताओं पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, बसपा सुप्रीमो मायावती, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह, जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सुरक्षा में NSG कमांडों तैनात हैं. अब इनके पास से ये कमांडो हट जाएंगे. CRPF सिक्योरिटी विंग कमान संभालेगी.

कब हुआ था एनएसजी कमांडो फोर्स का गठन
एनएसजी कमांडो फोर्स को 16 अक्टूबर 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय बनाया गया था. NSG को ब्लैक कैट कमांडो भी कहा जाता है क्योंकि ये काले रंग की वर्दी और हेलमेट पहनते हैं. इनका प्रतीक चिह्न भी एक काली बिल्ली है, जो इनकी तेजी और चपलता का प्रतीक है.

कैसे बनते हैं एनएसजी कमांडो
आपको मालूम हो कि एनएसजी कमांडो डायरेक्ट नहीं चुने जाते हैं. आपको एनएसजी कमांडो बनने के लिए सबसे पहले भारतीय सेना (थल, वायु और नौसेना) में भर्ती होना होगा क्योंकि इंडियन आर्मड फोर्सेस या पैरामिलिट्री फोर्स जैसे Army, CRPF, BSF के जवानों में से ही एनएसजी कमांडो को चुना जाता है.

एनएसजी कमांडो बनने के लिए आयु सीमा 35 वर्ष से कम होनी चाहिए.चयन प्राधिकरण की ओर से NSG कमांडो के पदों के लिए रिक्ति जारी की जाती है. इसके बाद चुने गए उम्मीदवारों को एनएसजी की चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. सबसे पहले कैंडिडेट की सेवा रिपोर्ट, शारीरिक और चिकित्सा फिटनेस की जांच की जाती है. इसके बाद शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवार फिजिकल फिटनेस, मेंटल स्ट्रेंथ और मनोवैज्ञानिक टेस्ट में शामिल होते हैं. इनमें पास होने वाले कैंडिडेट को एनएसजी कमांडो के लिए चुना जाता है.

दी जाती है स्पेशल ट्रेनिंग
एनएसजी कमांडो के लिए चयनित उम्मीदवारों को 90 दिन की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. एडवांस ट्रेनिंग के लिए देश के बाहर भी भेजा जाता है, जहां उन्हें विशेष कॉम्बैट स्किल्स की ट्रेनिंग दी जाती है. स्पेशल ट्रेनिंग के दौरान हथियारों का उपयोग, बंदूक चलाना, विस्फोटकों की नॉलेज और शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाना शामिल होता है.

इतना ही नहीं एनएसजी कमांडो को हॉस्टेज को छुड़ाने, आतंकवादी ठिकानों पर छापा मारने और हाई-प्रोफाइल सुरक्षा के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. एनएसजी कमांडो को एक गोली से एक जान लेने की ट्रेनिंग दी जाती है. NSG कमांडो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोते और बिना डरे मिशन को अंजाम देते हैं. NSG कमांडो को जरूरत पड़ने पर तुरंत भारतीय वायुसेना का ट्रांसपोर्ट विमान मिलता है. इसके अलावा इनके पास अपने बख्तरबंद वाहन और टैक्टिकल लैडर ट्रक भी होते हैं. एनएसजी कमांडो का कार्यकाल पांच साल से ज्यादा नहीं होता है.

कितनी होती है सैलरी 
अब बात करें एनएसजी कमांडो की सैलरी की तो ग्रुप कमांडर की सैलरी एक लाख रुपए और स्क्वॉड्रन कमांडर की सैलरी 90 हजार रुपए प्रति माह होती है. एनएसजी में दो स्पेशल एक्शन ग्रुप हैं पहला 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप और दूसरा 52 स्पेशल एक्शन ग्रुप. 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप का गठन 1986 में काउंटर टेररिज्म और काउंटर इंसरजेंसी के लिए किया गया था. 52 स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का गठन एंटी हाईजैकिंग ऑपरेशन के लिए किया गया था.

कितनी तरह की टीम होती है एनएसजी के पास 
1. स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG): खतरनाक मिशनों को अंजाम देने के लिए एनएसजी के पास 5 प्रकार की टीम है. इसमें स्पेशल एक्शन ग्रुप यानी SAG है. इसके पास सबसे खतरनाक टीम 51 और 52 एसएजी है. इनके साथ काम करती है 11 SRG. ये तीनों मिलकर आतंकरोधी मिशन अंजाम देते हैं. एंटी-हाईजैकिंग ऑपरेशन करते हैं. SAG के सैनिक जहां भारतीय सेना से लिए जाते हैं, वहीं SRG के सदस्यों को सेंट्रल आर्ड पुलिस फोर्स से लिया जाता है.

2. स्पेशल रेंजर ग्रुप (SRG): SRG में भर्ती बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, असम राइफल्स से होती है. एनएसजी के पास तीन स्पेशल रेंजर ग्रुप 11, 12 और 13 है. 11 एसआरजी आतंकरोधी मिशनों के लिए तैनात है. SRG का मुख्य काम VIP और VVIP की सुरक्षा प्रदान करना है.

3. स्पेशल कंपोजिट ग्रुप (SCG): इस ग्रुप में भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों में शामिल जवानों को चुना जाता है. SCG के सदस्य विभिन्न शहरों में काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशन्स में तैनात हैं. इनकी तैनाती मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और गांधीनगर में है.

4. इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट ग्रुप (ESG): यह ग्रुप मानेसर में तैनात है. यह अपने अन्य कमांडो समूहों को कम्यूनिकेशन और टेक्नोलॉजिकल सपोर्ट प्रदान करती है. 

5. नेशनल बॉम्ब डेटा सेंटर (NBDC): ये ग्रुप बम को डिटेक्ट करने. उन्हें निष्क्रिय करने का काम करती है. कहीं बम धमाके हो जाते हैं तो उन घटनाओं की जांच करने में मदद करती है. 

 

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