हुगली जिले के गुड़ाप इलाके में 24 नवंबर की शाम 5 साल की बच्ची घर के सामने खेलते हुए अचानक लापता हो गई. बच्ची के पिता ने बाजार जाते समय उसे खेलते हुए देखा था, लेकिन घर आकर जब देखा तो बच्ची नहीं मिली. ऐसे में उन्होंने पड़ोसियों के साथ उसकी तलाश शुरू की.
पड़ोसी के घर से शव बरामद
तलाशी के दौरान पड़ोसी अशोक सिंह के घर से बच्ची का शव बरामद हुआ. शव को कंबल और लकड़ी से ढककर छुपाया गया था. गुस्साए स्थानीय लोगों ने अशोक सिंह की पिटाई कर उसे पुलिस के हवाले कर दिया.
क्या कहना है पुलिस का
इस बारे में हुगली ग्रामीण पुलिस के एसपी ने बताया कि पुलिस ने 9 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल की और 11 दिसंबर को आरोप तय किए गए. इसके बाद एक महीने के भीतर 27 गवाहों की गवाही के साथ पूरी सुनवाई संपन्न हुई. 15 जनवरी को आरोपी को दोषी ठहराया गया और 17 जनवरी को अदालत ने दोषी अशोक सिंह को फांसी की सजा सुनाई.
नए कानून से मिली मदद
सरकारी वकील के अनुसार, नए पॉक्सो (BNSS) कानून के तहत मामले की सुनवाई तेजी से हुई. उन्होंने बताया कि पुलिस की सटीक जांच और सबूतों की वजह से यह फैसला संभव हो सका.
परिजनों को मिला न्याय
अभियुक्त अशोक सिंह का स्वभाव पहले से ही खराब था। वह अपनी बेटी के साथ भी दुर्व्यवहार करता था. उसकी गतिविधियों पर पहले भी संदेह जताया गया था, लेकिन शिकायतें समय के साथ दबा दी गईं. बच्ची के माता-पिता और स्थानीय लोगों ने घटना के बाद से ही आरोपी के लिए फांसी की मांग की थी.
अदालत के इस फैसले ने उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया है. 58 दिनों में मामले का निपटारा कर अदालत ने न्याय की एक मिसाल पेश की है. दोषी को फांसी की सजा सुनाकर मासूम बच्ची के परिवारवालों को न्याय दी.
-भोला नाथ साहा की रिपोर्ट