बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद से व्यापारियों की आमदनी हुई दोगुनी...होटलों की बुकिंग हुई फुल

जब से पीएम मोदी ने विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया है तब से विश्वनाथ मंदिर में चढ़ावे से होने वाली आमदनी दोगुनी हो चुकी है और आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है.

Baba Vishwanath Corridor
gnttv.com
  • वाराणसी,
  • 06 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST
  • पर्यटन उद्योग को हुआ फायदा
  • मंदिर में लाखों की संख्या में आ रहे श्रद्धालु

कोरोनाकाल के बाद धीरे-धीरे ही सही, लेकिन जिंदगी और बाजार दोनों पटरी पर आते दिख रहें हैं. लेकिन धर्म की नगरी काशी का पर्यटन उद्योग पहले से काफी बेहतर हो गया है. इसमें संजीवनी का काम किया है विश्वनाथ कॉरिडोर या विश्वनाथ धाम ने. आपको भले ही यह जानकर भले ही हैरानी हो, लेकिन ये सच है कि जब से पीएम मोदी ने विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया है तब से विश्वनाथ मंदिर में चढ़ावे से होने वाली आमदनी दोगुनी हो चुकी है और आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है.

मंदिर में लाखों की संख्या में आ रहे श्रद्धालु
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख बाबा विश्वनाथ की कमाई में इजाफा हो गया है. यह कहना अतिश्योक्ति इसलिए नहीं होगा, क्योंकि जब से विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का पीएम मोदी ने बीते साल 13 दिसंबर को उद्घाटन किया है तब से न केवल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि दान में भी दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. इस बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि 13 दिसंबर से जब से काशी विश्वनाथ का उद्घाटन हुआ है तब से न केवल श्रद्धालुओं की संख्या मंदिर में बढ़ी है, बल्कि मंदिर में सुविधाएं भी बढ़ा दी गई हैं.

दान में हुई बढ़ोतरी
वहीं मिलने वाले दान और चढ़ावे में भी इजाफा हुआ है. उद्घाटन के पहले मिलने वाले दान और बाद में दोगुना का फर्क आया है और ये दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. इसके साथ ही मंदिर का खर्चा और जिम्मेदारी भी बढ़ गई है. श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से न केवल दान, बल्कि पूजन की गतिविधियां भी बढ़ी हैं. उन्होंने बताया कि दान के कई ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफार्म बनाकर दान लिया जा रहा है. इसके अलावा श्रद्धालुओं को आनलाइन टिकट और पूजा की व्यवस्था भी की गई है. मंदिर में न केवल हुंडी दान बढ़ा है, बल्कि अन्य माध्यमों से भी दान में बढ़ोतरी हुई है. इसके आगे और बढ़ने की उम्मीद है. अब विकेंड पर भी ज्यादा श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.  

कॉरिडोर बन जाने के बाद आने वाले श्रद्धालुओं की खुशी का भी ठिकाना नहीं है. मंदिर परिसर का बड़ा रूप और मिलने वाली सुविधाओं के अलावा सीधे गंगधार से बाबा दरबार तक गंगाजल लेकर आना और बाबा विश्वनाथ को अर्पित कर देने से श्रद्धालु काफी आनंदित हैं. अब न तो गलियों का जाल है और न ही गंदगी. कॉरिडोर का भव्य रूप श्रद्धालुओं को खूब लुभा रहा है और अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.

पर्यटन उद्योग को हुआ फायदा
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की वजह से बनारस के पर्यटन उद्योग में भी बूम आ गया है. जिससे न केवल धार्मिक पर्यटन, बल्कि कॉर्पोरेट टूरिज्म में भी इजाफा हुआ है. टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता बताते हैं कि कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद से ही काशी में धार्मिक पर्यटन तेजी से बढ़ रहा है. फरवरी-मार्च तो काफी अच्छा पर्यटन उद्योग रहा है. इसके साथ कॉर्पोरेट टूरिज्म भी काफी तेजी से बढ़ रहा है. 2019-2020 में काशी में वार्षिक रूप से धार्मिक पर्यटकों का आगमन 65-70 लाख था. लेकिन अभी अंतिम के कुछ महीनों को देखें तो सालाना एक से डेढ़ करोड़ पर्यटक बनारस आ जाएंगे. रोड और कनेक्टिविटी अच्छी हो जाने से लोग अपने वाहनों से भी काशी आ पा रहें हैं. जहां तक होटलों की बात है तो आगामी 7 अप्रैल तक सारे होटल बुक हो चुके हैं और अब 200-250 कमरों वालों बड़े होटल की भी बनारस में जरूरत है. 

होटलों में नहीं मिल रहे कमरे
एक होटल के जनरल मैनेजर अश्विनी सिंह ने बताया कि जब से कोरोना की रफ्तार कम हुई है तब से होटल पूरी तरह फुल चल रहें हैं. अभी तक होटल पूरी तरह से सोल्ड आउट हैं. पूरे अप्रैल का महीना भी पूरी तरह बुक है. सिर्फ कॉरिडोर ने पूरे वाराणसी शहर को जिंदगी दे दी है. होटल और टूरिज्म दोनों बूम हो गए है. कोविड का दो साल कवरअप हो चुका है. पहले वाराणसी में पूरे साल में 70-75 लाख की संख्या में पर्यटक आते थें, लेकिन अभी देखकर लग रहा है कि आने वाले दिनों में यह संख्या डेढ़ करोड़ तक जाएगी. अभी तीर्थयात्री ज्यादा आ रहें हैं. अब इंटरनेशनल फ्लाइट चालू हो जाने के चलते इंटरनेशनल टूरिस्ट भी आने लगे हैं.

साड़ी कारोबार में भी हुआ इजाफा
इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर के बाहर फूल-माला और गिफ्ट आइटम के दुकानदारों की भी खुशी का ठिकाना नहीं हैं. दुकानदारों का कहना है कि उनको सांस लेने तक की फुर्सत नहीं हैं क्योंकि श्रद्धालु इतने आ जा रहें हैं. साड़ी व्यापारी अश्विनी पांडेय ने बताया कि माता अन्नपूर्णा का प्रसाद समझकर तीर्थयात्री काशी से अपने साथ साड़ी जरूर खरीदकर ले जाते हैं. इस कारण साड़ी की बिक्री और साड़ी कारोबार में भी अच्छा इजाफा हुआ है.

(वाराणसी से रौशन जायसवाल की रिपोर्ट)

 

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