स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर पहली बार स्वदेश में विकसित होवित्जर तोप, 21 तोपों की सलामी का हिस्सा बनी. यह दुनिया की सबसे लंबी दूरी की तोप है. ATAGS एक स्वदेशी 155 मिमी x 52 कैलिबर हॉवित्जर गन है जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है.
21 तोपों की सलामी परंपरा
भारत को 21 तोपों की सलामी की परंपरा ब्रिटिश साम्राज्य से विरासत में मिली है. प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्रगान बजाया जाता है, उसके बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है. 21 तोपों की सलामी देश का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है. इसमें करीब 122 जवान शामिल होते हैं. भारत में, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और अन्य अवसरों के साथ-साथ राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तोपों की सलामी दी जाती है.
ATAGS परियोजना को 2013 में DRDO द्वारा भारतीय सेना में पुरानी तोपों को आधुनिक 155mm आर्टिलरी गन से बदलने के लिए शुरू किया गया था. एआरडीई ने इस विशेष बंदूक प्रणाली के निर्माण के लिए भारत फोर्ज लिमिटेड और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ सहयोग किया है.
क्या है इस तोप की खासियत
ये एक आधुनिक तोप है जिससे 155 एमएम वाले गोले दागे जा सकते हैं. यह 48 KM तक गोले दाग सकती है और ये माइनस 30 से लेकर 75 डिग्री तापमान तक सटीक फायर कर सकते हैं. ये गन ब्रिटिश 1 पाउंड गन से कई गुना बड़ी है. इसका निर्माण DRDO की पुणे स्थित लैब Armament Research and Development Establishment (ARDE) ने महिंद्रा डिफेंस नेवल सिस्टम, टाटा पॉवर स्ट्रैटेजिक, भारत फोर्ज लिमिटेड और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने मिलकर किया है.
क्या कहा है पीएम मोदी ने
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ने कहा, 'आजादी के 75 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि लाल किले से सलामी के लिए देश में निर्मित तोप का इस्तेमाल किया गया. आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है. आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है. ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है.