Big Cats Alliance: बड़ी बिल्लियों को बचाओ! बिग कैट अलायंस का हिस्सा बना भारत, देश में क्या है तेंदुओं, शेरों और बाघों की स्थिति?

भारत ने 50 साल पहले प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत कर देश में बाघों को बचाने और उनकी आबादी बढ़ाने की पहल शुरू की थी. 50 साल बाद भारत 7 'बिग कैट्स' के संरक्षण के लिए एक पहल की अगुवाई कर रहा है. आइए जानते हैं क्या है यह पहल और भारत इससे कैसे फायदा उठा सकता है.

रिप्रेजेंटेशनल इमेज (Photo:Ratanjot Singh/Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

अप्रैल 2023 में 'अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस' (International Big Cat Alliance) की शुरुआत करने वाला भारत आधिकारिक तौर पर उसका हिस्सा बन गया है. भारत से पहले निकारागुआ, एस्वातिनी और सोमालिया इस संघ का हिस्सा बन चुके हैं. बिग कैट्स यानी बिल्ली के परिवार से आने वाले बड़े जानवर. भारत में फिलहाल 'बड़ी बिल्लियों' की स्थिति मिली जुली है. आइए समझते हैं क्या है बिग कैट्स एलायंस और भारत के लिए यह क्यों है जरूरी. 

क्या और क्यों है बिग कैट एलायंस?
बिग कैट एलायंस 'बड़ी बिल्लियों' के संरक्षण के लिए एक गठबंधन है जिसकी शुरुआत भारत ने अप्रैल 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर की थी. इस गठबंधन का लक्ष्य दुनिया की सात प्रमुख बड़ी बिल्लियों का संरक्षण करना है. यानी बाघ, शेर, हिम तेंदुआ, तेंदुआ, जगुआर, प्यूमा और चीता.

गठबंधन में फिलहाल चार ही सदस्य हैं लेकिन भारत सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार इसका लक्ष्य 95 देशों को गठबंधन का हिस्सा बनाना है. संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश आईबीसीए के सदस्य बन सकते हैं. अब तक 24 देश एलायंस में शामिल होने के लिए मंजूरी दे चुके हैं. नौ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी एलायंस का भागीदार संगठन बनने पर सहमति व्यक्त की है. गठबंधन का उद्देश्य है कि सदस्य राष्ट्र इन बिल्लियों के संरक्षण के लिए एक-दूसरे से अनुभव साझा करें. 

गठबंधन कुछ मानक संचालन प्रक्रियाएं तैयार करेगा जिसके मार्गदर्शन से सभी सदस्य फायदा उठा सकेंगे. एक 'डूज़ एंड डोंट्स' (Dos and Don'ts) की सूची भी तैयार की जाएगी जिससे राष्ट्रों को जानवरों और उनके शरीर के अंगों की तस्करी और अवैध शिकार को रोकने में मदद मिलेगी. इसके पीछे विचार यह है कि एक बार अवैध व्यापार कम हो जाए तो अवैध शिकार अंततः खत्म हो जाएगा.

भारत में क्या है 'बड़ी बिल्लियों' की स्थिति? 
यह एलायंस जिन सात बड़ी बिल्लियों के संरक्षण पर केंद्रित है उनमें से बाघ, शेर, तेंदुए, हिम तेंदुए और चीते सहित पांच भारत में मौजूद हैं. जगुआर और प्यूमा भारत में मौजूद नहीं हैं. इंटरनेशनल यूनियन फोर कंजरवेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservation of Nature) के आंकड़ों के अनुसार, शेर, हिम तेंदुए, चीते और तेंदुए भारत में 'असुरक्षित' स्थिति में हैं.

पिछले पांच दशक के प्रयासों के बाद भारत में बाघों की स्थिति बेहतर हुई है लेकिन आईयूसीएन की लिस्ट में वह अभी भी 'संकट' की स्थिति में (Endangered) है.

शेर- भारत में शेर की जो एकमात्र प्रजाति पाई जाती है, वह है एशियाई शेर (Asiatic Lion). लंडन ज़ू डॉट ऑर्ग के अनुसार भारत में इस समय एशियाई शेरों की संख्या 600 से 700 के बीच है और ये गुजरात के गिर जंगल में ही पाए जाते हैं. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (World Wide Fund for Nature) के अनुसार, इन शेरों के सामने अवैध शिकार के अलावा निवास स्थान के विखंडन के खतरे का भी सामना करना पड़ता है. गिर के संरक्षित क्षेत्र से तीन प्रमुख सड़कें और एक रेलवे ट्रैक होकर गुजर रहा है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में तीन बड़े मंदिर भी हैं जो साल के खास समय भीड़ आकर्षित करते हैं. 

शेरों की आबादी में फिलहाल वृद्धि हुई है. करीब 200 से ज्यादा शेर संरक्षित क्षेत्र के बाहर भी रहते हैं. फिलहाल शेरों और इंसानों के बीच संघर्ष की घटनाएं ज्यादा नहीं हैं, लेकिन आने वाले समय में ये बढ़ सकती हैं. गिर पीए के आसपास बिना सुरक्षा वाले कुओं में गिरकर शेरों के मरने के भी मामले सामने आए हैं. 

तेंदुआ- बात करें तेंदुओं की तो भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश में इस जानवर की आबादी 13,874 (रेंज: 12,616 - 15,132) के करीब है. साल 2018 में भारत में 12852 (12,172-13,535) तेंदुए थे. बीते छह सालों में तेंदुओं की आबादी में इजाफा देखने को मिला है. 

हिम तेंदुआ- तेंदुए के बरक्स हिम तेंदुओं की आबादी भारत में चिंताजनक स्थिति में है. कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय इलाकों में पाए जाने वाले इस जानवर की आबादी भारत में 500 के करीब है. हिम तेंदुओं की खाल और शरीर के अंगों के लिए भारत में इसका अवैध शिकार किया जाता है. इन इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोग अपने पशुओं की रक्षा के लिए भी इनकी हत्या कर देते हैं. साथ ही जलविद्युत परियोजनाएं, खनन और जलवायु परिवर्तन भी इन जानवरों की जान के लिए खतरा बना हुआ है. 

चीता- भारत के मूलनिवासी 'एशियाई चीते' अत्यधिक शिकार की वजह से 1952 में खत्म हो गए थे. जिसके बाद भारत सरकार ने सितंबर 2022 में नामीबिया से चीतों को लाकर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाया. इन चीतों की सुरक्षा के लिए इन्हें सुरक्षित अहाते में भी रखा गया, लेकिन बीते दो सालों में कूनो नेशनल पार्क में आठ चीते मारे जा चुके हैं. इस समय कूनो में 24 चीते मौजूद हैं और भारत में चीतों को दोबारा बसाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है. 

बाघ- भारत में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था. 50 साल के दौरान कई उतार-चढ़ाव के बाद भारत में बाघों की संख्या फिलहाल 3682 है. बीते एक साल में भारत में बाघों की संख्या में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत दुनिया में सात बिग कैट्स की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आम चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करने की ओर काम करेगा. भारत जहां बिग कैट्स के संरक्षण में दूसरे देशों का मार्गदर्शन करेगा, वहीं वह खुद भी इस एलायंस के जरिए मिलने वाली जानकारी से लाभ उठा सकेगा. 

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