India-Canada Dispute: क्या है वियना संधि, भारत-कनाडा विवाद में यूएस-ब्रिटेन क्यों कर रहे इसका जिक्र, जानें राजनयिकों की वापसी पर क्या बोले विदेश मंत्री

India-Canada Diplomatic Row: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि फिलहाल भारत-कनाडा संबंध कठिन दौर से गुजर रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि जल्द स्थिति बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि यदि कनाडा अपने देश में हमारे राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है तो हम वहां के वीजा सेंटर फिर से शुरू कर देंगे.

Foreign Minister S Jaishankar (file photo)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST
  • खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद से शुरू हुआ है विवाद
  • भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को इंडिया छोड़ने को कहा था

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के संबंधों में खटास आ गई है. कनाडा को अब ब्रिटेन और अमेरिका का साथ मिल रहा है. राजनयिक विवाद पर अमेरिका और ब्रिटेन की तरफ से दी गई वियना संधि के पालन की नसीहत पर भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक जवाब दिया है. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, कनाडा से राजनयिकों की संख्या घटाने के लिए कहे जाने में वियना संधि का उल्लंघन नहीं हुआ है. आइए सबसे पहले जानते हैं वियना संधि क्या है?

क्या है वियना संधि
यूनाइटेड नेशन्स की कई संधियों के तहत वियना कन्वेंशन भी शामिल है. साल 1961 में हुई इस इंटरनेशनल संधि का मकसद था, दो देशों के बीच राजनयिक संबंध मजबूत करना. ऑस्ट्रिया के वियना में हुई संधि दो सालों बाद लागू हो सकी और तब इसमें 192 देश शामिल हुए. संधि का ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था. इसके तहत राजदूतों को खास अधिकार मिले, जिसे डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी कहते हैं. 

इसके तहत राजदूतों को दूसरे देश में रहते हुए उनकी यात्रा से लेकर सुरक्षा तक पर कोई खतरा नहीं होना चाहिए. वे कई चीजों की जद से बाहर रहते हैं. जैसे सड़क पर यदि किसी तरह की जांच की कोई कार्रवाई चल रही हो, तभी वहां से डिप्लोमेट की गाड़ी जाए तो उसे जांच से दायरे से बाहर रखा जाएगा. कस्टम जांच के दायरे से भी वे बाहर रहते हैं.

दो देशों के बीच करते हैं पुल का काम 
उच्चायुक्त असल में दो देशों के बीच पुल का काम करते हैं. ये दूसरे देश में अपने देश के प्रतिनिधि होते हैं, जो दो सरकारों के बीच बातचीत का जरिया बनते हैं. नेताओं की मीटिंग करवाने और किसी संधि के दौरान भी ये बड़ा रोल निभाते हैं. साथ ही ये उस देश में बसे अपने नागरिकों की भी मदद करते हैं. जैसे कनाडा में रहते भारतीयों का यदि कोई मसला है तो वो पहले वहां के उच्चायोग जाएगा. वहां से उसे डायरेक्ट किया जाएगा.

...तो देश छोड़ने का मिल सकता है नोटिस 
यदि हाई कमीशन में रह रहे लोग जासूसी के आरोप में पकड़े गए तो जिस देश में वे रह रहे हैं, वो उनपर मुकदमा भी कर सकता है. या फिर उच्चायोग भी बंद हो सकता है. कन्वेंशन के आर्टिकल 9 में ऐसी एक स्थिति का जिक्र है. इसमें यदि मेजबान देश किसी डिप्लोमेटिक स्टाफ से नाराज है तो वो उसे अपने देश से जाने को कह सकता है. यदि एक तय समय के भीतर वो होस्ट देश से न गया तो उसकी डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी खत्म हो जाती है और उसपर आम इंसान की तरह ही कार्रवाई भी हो सकती है.

जानें क्या बोले विदेश मंत्री जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा से राजनयिकों की संख्या घटाने के लिए कहे जाने में वियना संधि का उल्लंघन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, वियना संधि में स्पष्ट तौर पर बराबरी का प्रावधान है. बराबरी से आशय है कि एक देश में दूसरे देश के कितने राजनयिक हैं और दूसरे देश में उस देश के कितने राजनयिक हैं. विदेश मंत्री ने कहा, भारत को इसे लागू करना पड़ा क्योंकि कनाडाई कर्मियों की ओर से हमारे घरेलू मामलों में लगातार की जा रही दखलंदाजी ने हमारी चिंता बढ़ा दी थी.

कनाडा की राजनीतिक नीतियों पर आपत्ति
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, भारत को कनाडाई राजनीति के एक वर्ग और उसकी वजह से लागू नीतियों को लेकर आपत्ति है. भारत कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर आपत्ति जताता रहा है. जयशंकर ने कहा, अब कोई भी बड़ा खतरा बहुत दूर नहीं है. इसका एक बड़ा हिस्सा स्पष्ट तौर पर आर्थिक होगा. जब कट्टरवाद और उग्रवाद की बात आती है तो कैंसर की तरह फैलने वाले खतरे को कम करके नहीं आंका जा सकता.

वीजा जारी करने को लेकर क्या बोले विदेश मंत्री
एस जयशंकर ने कहा कि भारत को कनाडा में वीजा जारी करना बंद करना पड़ा क्योंकि लगातार धमकियों और चरमपंथी गतिविधियों के बीच भारतीय राजनयिकों के लिए वहां काम करना सुरक्षित नहीं था. हमें अपने राजनयिकों की सुरक्षा स्थिति में प्रगति दिखी तो वीजा सेंटर फिर से शुरू कर देंगे.

यहां से शुरू हुआ विवाद
खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद से भारत-कनाडा विवाद इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. कनाडाई पीएम ने निज्जर की हत्या में भारत का हाथ बताया था. जी-20 समिट के दौरान भी कनाडाई पीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस मुद्दे को उठाया था. लेकिन पीएम मोदी ने इस आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था. कनाडा ने एक शीर्ष भारतीय राजनयिक को देश छोड़ने को कहा. इसके बाद विवाद और बढ़ गया.  इसके बाद भारत ने बड़ी कार्रवाई करते हए वीजा सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया था और 41 राजनयिकों को तय समय सीमा में देश छोड़ने को कहा था. कनाडा को अपने राजनयिकों को शुक्रवार को भारत से वापस बुलाना पड़ा.

कनाडा को मिला ब्रिटेन-अमेरिका का साथ
कनाडा के 41 राजनयिकों की वापसी पर कनाडा को ब्रिटेन और अमेरिका का साथ मिला है. ब्रिटेन ने कहा कि निज्जर की हत्या के बाद राजनयिकों की वापसी नहीं होनी चाहिए. इससे वियना संधि प्रभावित हुई है. वहीं अमेरिका ने कहा कि वह भारत से कनाडाई राजनयिकों की वापसी से चिंतित है. अमेरिका ने माना कि दो देशों के बीच आपसी मतभेद सुलझाने के लिए राजनयिक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.


 

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