India-China Clash: LAC पर तीन तरफ से घिरी सीमा पर बार-बार और किस वजह से होता है विवाद? जानिए भारत-चीन के बीच तनाव की पूरी स्टोरी

चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार करने की कोशिश की. इसको लेकर दोनो देशों के बीच हिंसक झड़प हुई लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत-चीन के बीच इस तरह की झड़प हुई हो. ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है.

India-China clash
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (13 दिसंबर) को संसद को सूचित किया कि चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार करने की कोशिश की लेकिन "भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप" के कारण उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा."

रक्षामंत्री ने कहा, "9 दिसंबर, 2022 को, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में LAC को स्थानांतरित करने और एकतरफा रूप से यथास्थिति को बदलने की कोशिश की. चीनी प्रयास का हमारे सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया. इसके कारण दोनों के बीच हाथापाई भी हुई, जिसमें सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उन्हें अपने पदों पर लौटने के लिए मजबूर किया." 

दोनों देश के अपने-अपने दांवे
भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की लंबाई 3,488 किलोमीटर लंबी है. जबकि चीन इसकी लंबाई 2,000 किलोमीटर मानता है. इसी को लेकर दोनों देशों के बीच काफी लंबे समय से तनातनी चल रही है. भारत पश्चिमी सेक्टर के अक्साई चीन पर अपना दावा करता है जो इस समय फिलहाल चीन के नियंत्रण में है. वहीं चीन पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश पर अपना दाव करता है. चीन के अनुसार ये दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है.

कैसे बंटी है सीमा?
भारत और चीन के बीच एलएसी को तीन क्षेत्रों में बांटा गया है. पहला पूर्वी क्षेत्र जो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम तक फैला है. दूसरा मध्य क्षेत्र है जो उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगता है और तीसरा लद्दाख में पश्चिमी क्षेत्र. तीनों ही क्षेत्र ग्लेशियर, बर्फ और पहाड़ से ढकें हैं. बता दें कि 1962 में दोनों देशों के बीच एक बड़ा युद्ध हुआ था. हालांकि इसके बाद युद्ध तो नहीं हुआ लेकिन कई बार दोनों देशों के जवानों के बीच इस तरह की हिंसक झड़प हो चुकी है. आइए डालते हैं उसपर एक नजर.

1962 में क्या हुआ था?
साल 1959 में जब तिब्बत में चीन के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ तो ये मतभेद लड़ाई में तब्दील होने लगा. तिब्बती विद्रोह के बाद भारत ने तिब्बत के धर्म गुरु दलाई लामा को अपने यहां शरण दी. इससे आगबबूला हुए चीन ने भारत-चीन बॉर्डर पर घुसपैठ करनी शुरू कर दी. साल 1962 में चीन ने अचानक भारत पर हमला कर दिया. भारत इस युद्ध के लिए तैयार नहीं था जिसकी वजह से उसे युद्ध में हार का सामना करना पड़ा. हालांकि ऐसा नहीं है कि भारत ने युद्ध में पूरी तरह से घुटने टेक दिए तब भी कई ऐसी जगह थीं जहां भारतीय जवान चीनी सैनिकों पर भारी पड़ थे. 

1967: सिक्किम बॉर्डर पर नाथु ला में दोनों देशों के सैनिकों की जान गई. उस वक्त चीनी पीएलए ने भारतीय सीमा में घुसकर जवानों के साथ हाथापाई और गोलीबारी शुरू कर दी.  भारतीय जवानों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया. लेकिन इसमें भारत के 80 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के 300 से 400 सैनिक मारे गए थे.

1975: अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना ने भारतीय सेना के गश्ती दल पर हमला किया. उस वक्त असम राइफ्ल्स के जवान पेट्रेलिंग कर रहे थे. इस हमले में चार भारतीय जवान शहीद हुए.

1987: अरुणाचल प्रदेश के ही तवांग के उत्तर समदोरांग चू में फिर एक बार झड़प हुई. यहां गर्मियों में हर साल भारतीय जवान अपना टेंट लगाकर रहते थे. भारतीय जवानों की काफी कोशिशों के बावजूद जब चीनी वापस अपने क्षेत्र में नहीं गए तो भारत ने ऑपरेशन फाल्कन चलाया.

2017: 2017 में डोकलाम विवाद शुरू हुआ. यहां चीनी सैनिक सड़क बना रहे थे. इससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई.

2020: चीनी सैनिक सीमा पर अलग-अलग क्षेत्र में घुसपैठ करते रहते हैं. डोकलाम के बाद चीनी सैनिकों ने लद्दाख के गलवान में भी घुसपैठ की कोशिश की. चीनी सैनिक लोहे की रॉड, कंटीले तार लेकर आए थे. इस हाथापाई में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि जवाबी कार्रवाई में भारत ने चीन के 38 जवानों को मार गिराया था.

15-16 जून 2020
पूर्वी लद्दाख में 15 से 16 जून की मध्यरात्रि को हिंसक झड़प हुई. इसमें भारत के एक कमांडर समेत 20 सैनिक शहीद हुए थे.

अगस्त 2020
भारत ने चीन पर एक सप्ताह में दो बार सीमा पर तनाव भड़काने का आरोप लगाया था जिसे चीन ने नकारा.

सितंबर 2020
चीन ने भारत पर अपने सैनिकों पर गोलियां चलाने का आरोप लगाया था. भारत ने भी चीन पर ऐसा ही आरोप लगााया.

 

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