क्या है ब्लू इकॉनमी, जानिए भारत के विकास में क्या है भूमिका

पीएम मोदी अपने बयान में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि मछुआरा समुदाय पूरी तरह से ना सिर्फ समुद्री धन पर निर्भर हैं बल्कि इसके रक्षक भी हैं. इसके मद्देजनर सरकार ने तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए अनेक कदम उठाए हैं. जिसके तहत समुद्र में काम करने वाले मछुआरों की मदद, अलग मछली पालन विभाग, सस्ता लोन, मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड देना शामिल है. इससे कारोबारियों और सामान्य मछुआरों को मदद मिल रही है.

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की अपने फ्रांसीसी समकक्ष से मुलाकात
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST

भारत और फ्रांस के बीच आज ‘नीली अर्थव्यवस्था’ यानी समुद्री अर्थव्यवस्था पर हुए समझौते के तहत नीली अर्थव्यवस्था' बढ़ाने की रूप-रेखा पर सहमति जताई गई. ये सहमति विदेश मंत्री एस जयशंकर के तीन दिन की यात्रा के दौरान हुई है. नीली अर्थव्यवस्था पर करार इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच मजबूत तटीय और जलमार्ग ढांचे पर एक दूसरे की मदद की सहमती बनी है. यात्रा की शुरुआत रविवार को फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां येव्स ली द्रां के साथ द्विपक्षीय वार्ता के साथ हुई. 

‘नीली अर्थव्यवस्था पर हुए समझौते को लेकर विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘‘भारत और फ्रांस पर्यावरण, तटीय और समुद्री जैव विविधता का सम्मान करते हुए नीली अर्थव्यवस्था को अपने-अपने समाज की प्रगति का हिस्सा बनाना चाहते हैं. दोनों देशों का मकसद पर्यारण में योगदान देना और यह तय करना होगा कि समुद्र दोनों देशो के बीच अच्छे रिशते और बिजनेस का एक जरिया बने. 

बता दें कि दक्षिण भारत के तटीय राज्यों में नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) विकसित करने के लिए व्यापक योजना चलाई जा रही है. पीएम मोदी भी अपने बयान में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि नीली अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक मजबूत कदम होगा. जिसके तहत बंदरगाहों और तटीय सड़कों को कनेक्ट किया जाना और मल्टीमोड कनेक्टिविटी पैदा करना होगा. आईये जानते हैं ब्लू इकोनॉमी क्या है और इससे होने वाले फायदों के बारे में 

क्या होती है ब्लू इकोनॉमी-

भारत के कुल व्यापार का 90 फीसदी हिस्सा समुद्री मार्ग के जरिए होता है. ऐसे में इस योजना का मकसद देश की अर्थव्यवस्था को समुद्री क्षेत्र से जोड़ना तो है ही साथ ही ब्लू इकोनॉमी का मकसद पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाना है. यानी पूरा बिजनेस  मॉडल  पर्यावरण को ध्यान में रख कर बनाया जाता है. 

ब्लू इकोनॉमी कैसे काम करती है ?

इस योजना के तहत सबसे पहले समुद्र आधारित बिजनेस मॉडल तैयार किया जाता है, साथ ही संसाधनों को ठीक से इस्तेमाल करने और समुद्री कचरे से निपटने के डायनामिक मॉडल पर कम किया जाता है. पर्यावरण फिलहाल दुनिया में एक बड़ा मुद्दा है ऐसे में ब्लू इकोनॉमी को अपनाना इस नज़रिये से भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है. ब्लू इकोनॉमी के तहत फोकस खनिज पदार्थों समेत समुद्री उत्पादों पर होता है. समुद्र के जरिये व्यापार का सामान भेजना ट्रकों, ट्रेन या अन्य साधनों के मुकाबले पर्यावरण की दृष्टि से बेहद साफ़-सुथरा साबित होता है.

आम आदमी  के लिए कितनी फायदेमंद होगी ब्लू इकोनॉमी

पीएम मोदी अपने बयान में इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि मछुआरा समुदाय पूरी तरह से ना सिर्फ समुद्री धन पर निर्भर हैं बल्कि इसके रक्षक भी हैं. इसके मद्देजनर सरकार ने तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए अनेक कदम उठाए हैं. जिसके तहत समुद्र में काम करने वाले मछुआरों की मदद, अलग मछली पालन विभाग, सस्ता लोन, मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड देना शामिल है. इससे कारोबारियों और सामान्य मछुआरों को मदद मिल रही है.

बता दें कि हाल ही में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से  मत्स्य संपदा योजना बनाई गई है, ब्लू  इकोनॉमी के शुरू हो जाने से केरल और कर्नाटक में लाखों मछुआरे सीधे तौर पर इस योजना का फायदा उठा सकते हैं. भारत मछली उत्पाद निर्यात में तेजी से प्रगति कर रहा है. भारत को गुणवत्ता सम्पन्न सी फूड प्रोसेसिंग हब में बदलने के सभी कदम उठाए जा रहे हैं. भारत समुद्री शैवाल की बढ़ती मांग पूरी करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है, क्योंकि किसानों को समुद्री शैवाल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. ऐसे में साफ है कि आने वाले समय में ब्लू इकोनॉमी आम इंसान के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा, और देश को आर्थिक मजबूती मिलेगी. 

 

Read more!

RECOMMENDED