मेक इन इंडिया का सपना हो रहा सच! फिलीपींस खरीदेगा हमारी ब्रह्मोस मिसाइल

भारत को ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए अपना पहला निर्यात ऑर्डर मिला है. फिलीपींस के रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) के साथ मिसाइलों की आपूर्ति के लिए 374 मिलियन डॉलर के करार पर हस्ताक्षर किए.

भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदेगा फिलीपींस
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 28 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST
  • भारत-फिलीपींस के बीच ब्रह्मोस मिसाइलों की आपूर्ति के लिए 374 मिलियन डॉलर का करार.
  • ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक है.

भारत की सैन्य ताकत का लोहा तो पूरी दुनिया मानती है. नभ-जल-थल तीनों ही जगह भारतीय सेना ने अपने अतुलनीय प्रदर्शन से खुद को साबित किया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत हर क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. ऐसे कई फील्ड्स जहां भारत पहले विदेशों से आयात करता था, वहां अब देश में ही उसका प्रोडक्शन किया जा रहा है. कई देशों ने भारतीय उत्पादों पर अपना भरोसा जताते हुए उन्हें खरीदने में रुचि  दिखाई है. इसी कड़ी में भारत को ब्रह्मोस मिसाइलों (BrahMos Missiles) के लिए अपना पहला निर्यात ऑर्डर मिला है. यह रक्षा क्षेत्र में देश की बड़ी उपलब्धि है. ब्रह्मोस मिसाइल लेने के लिए फिलीपींस ने भारत से 375 मिलियन डॉलर की डील की है. 

सैन्य अधिकारियों ने कहा कि भारत को शुक्रवार को ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए अपना पहला निर्यात ऑर्डर मिला है. फिलीपींस के रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) के साथ मिसाइलों की आपूर्ति के लिए 374 मिलियन डॉलर (2780 करोड़) के करार पर हस्ताक्षर किए. हालांकि भारत कितनी मिसाइलों की आपूर्ति फिलीपींस को करेगा इस बारे में अभी जानकारी नहीं दी गयी है. BAPL, भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है, जो सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का उत्पादन करता है. सैन्य अधिकारियों ने बताया कि 374 मिलियन अमेरिकी डॉलर के इस करार के अनुसार फिलीपींस की नौसेना को तट-आधारित एंटी-शिप ब्रह्मोस मिसाइलों की आपूर्ति करना है. गौरतलब है कि ब्रह्मोस मिसाइलों को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों और भूमि प्लेटफॉर्मों से लॉन्च किया जा सकता है. 

भारत-फिलीपींस के बीच 374 मिलियन डॉलर का करार

अपन बयान में रक्षा मंत्रालय ने कहा, "बीएपीएल ने फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग के साथ 28 जनवरी 2022 को तट-आधारित एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के लिए एक डील पर हस्ताक्षर किए." बयान में आगे कहा गया, "बीएपीएल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है. यह अनुबंध भारत सरकार की रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की नीति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है." भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ रक्षा उपकरणों के कारोबार में भी स्थिति बेहतर करना चाहती है. इस कदम से बड़े हथियारों के निर्यातक बनने के भारत के प्रयासों को और बल मिलेगा. 

LAC पर तैनात हैं ब्रह्मोस मिसाइल 

ब्रह्मोस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की मुख्य हथियार प्रणाली है, जिसे लगभग सभी सतह प्लेटफॉर्मों पर तैनात किया गया है. इसका एक अंडर वॉटर संस्करण भी विकसित किया जा रहा है. जिसका इस्तेमाल न सिर्फ भारत की पनडुब्बियों में किया जाएगा, बल्कि कई देशों को निर्यात के लिए भी पेश किया जाएगा. भारत पहले ही लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास  कई रणनीतिक स्थानों पर बड़ी संख्या में ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात कर चुका है. 

ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत 

ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक है. इस मिसाइल की खूबियों के कारण ही रक्षा विशेषज्ञ इसे सबसे बेहतरीन मिसाइलों में गिनते हैं. ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम में तैयार किया गया है. इसे जल, थल और वायु से लॉन्च किया जा सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल की रफ़्तार 2.8 मैक (4321 किलोमीटर प्रतिघंटा) है. इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है. ये मिसाइल सिस्टम आसानी से दुश्मन के रडार से बच सकती है.

 

 

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