Directed Energy Weapon MK-2: बिना दिखे दुश्मन को तबाह कर देगा भारत का स्वदेशी डायरेक्ट एनर्जी वेपन, जानिए क्यों खास है एमके-2, कैसे करता है काम

लेज़र वेपन को भविष्य का सबसे पावरफुल हथियार कहा जा रहा है. इसी बीच भारत ने भी अपने पहले लेज़र वेपन का परीक्षण किया है. यह हथियार क्या है, कैसे काम करता है, क्यों खास है और इसका क्या महत्व है, आइए समझते हैं आसान शब्दों में.

Laser Based Directed Energy Weapon
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:08 PM IST

भारत ने हाल ही में 30 किलोवॉट लेज़र बेस्ड डायरेक्ट एनर्जी वेपन (DEW) एमके-2 का सफल परीक्षण किया है. यह दुश्मन के ड्रोन और हेलिकॉप्टर को पलक झपकते ही नष्ट करने की ताकत रखता है. इस हथियार का परीक्षण आंध्र प्रदेश के कुरनूल में नेशनल ओपन एयर रेंज में किया गया. परीक्षण में स्वदेशी सिस्टम ने एक छोटे विमान और ड्रोन के झुंड को मार गिराया. 

डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation) के वैज्ञानिकों ने इसे भारत की रक्षा शक्ति में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है. यह हथियार क्या है, इसकी क्या विशेषताएं हैं और यह भारत के लिए क्यों ज़रूरी है, आइए डालते हैं इन अहम सवालों के जवाबों पर नज़र.

क्या होता है लेज़र वेपन?
लेज़र बेस्ड डायरेक्ट एनर्जी वेपन (DEW) आधुनिक युद्ध में इस्तेमाल होने वाला बेहद घातक हथियार है. यह खासकर ड्रोन्स जैसे हथियारों के खिलाफ कारगर साबित होता है. यह हथियार एक लंबी दूरी तक निशाना लगा सकता है. मिसाइल की तरह इसका कोई ठोस प्रोजेक्टाइल नहीं होता. बस हथियार से निकलने वाला लेज़र अत्यधिक एनर्जी की मदद से दुश्मन के ड्रोन या अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) को तबाह कर देता है. 

कैसे काम करता है लेज़र बेस्ड ड्यू?
लेज़र वेपन को भविष्य का सबसे पावरफुल हथियार क्यों कहा जा रहा है? इसे जानने के लिए इसकी ताकत और ये कैसे काम करता है, इसे समझना जरूरी है. सबसे पहले डायरेक्ट एनर्जी वेपन में लगा रडार अपने टारगेट को पता लगाता है. इसके बाद लाइट की स्पीड से उस पर हमला करता है. लाइट की स्पीड 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड है. 

इसीलिए लेज़र का हमला सेकंड से भी कम समय में दुश्मन के हथियार तक पहुंच जाता है. इससे टारगेट में आग लग जाती है और वो तबाह हो जाता है. अगर ये हमला किसी मिसाइल पर किया जाए तो बड़ा धमाका हो सकता है क्योंकि मिसाइल में ईंधन और बारूद बड़ी मात्रा में होता है. कुल मिलाकर लेज़र अटैक से या तो दुश्मन का हमला रुक जाएगा या फिर बीच में ही ये बरबाद हो जाएगा. 

क्यों खास है लेज़र वेपन?
लेज़र वेपन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके हमले को नंगी आंखों से देखना मुश्किल होता है. इससे दुश्मन को पता नहीं चल पाता कि हमला कब, कैसे और कहां से हो रहा है. यह हथियार मल्टीपल टारगेट्स को एक साथ न्यूट्रलाइज भी कर सकता है.

हाल ही में टेस्ट किए गए ड्यू एमके-2 की बात करें तो स्वदेशी 30 किलोवॉट लेज़र बेस्ड वेपन सिस्टम पांच किलोमीटर की रेंज में ड्रोन और हेलिकॉप्टर को निशाना बना सकता है. एमके-2 में 360 डिग्री इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड सेंसर मौजूद है. इसकी मदद से फिक्स्ड रिंग ड्रोन दुश्मन के सर्विलांस सेंसर और ऐन्टेना को भी आसानी से तबाह किया जा सकता है. 

डीआरडीओ में सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज़ के डायरेक्टर जगन्नाथ नायक कहते हैं, "हम अब 'बीम' हथियारों के युग में प्रवेश कर चुके हैं. इससे पहले हमें किसी पर हमला करने के लिए मिसाइल की ज़रूरत होती थी. लेकिन अब बस एक बीम की ज़रूरत है. यह बिना 'मास' का एक हथियार है."

डायरेक्ट एनर्जी वेपन का महत्व 
डायरेक्ट एनर्जी वेपन में कोई ठोस प्रोजेक्टाइल का इस्तेमाल नहीं होता. इसमें काइनेटिक एनर्जी की जगह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक या पार्टिकल तकनीक से कॉन्सेंट्रेटेड एनर्जी का इस्तेमाल होता है. यह वेपन एयर डिफेंस के लिए सस्ता और कारगर साबित हो सकता है. रज्ञा विशेषज्ञ और रिटायर्ड ब्रिगेडियर शारदेंदू कहते हैं, "यह बहुत ही कारगर वेपन सिस्टम है." 

वह कहते हैं, "आज की तारीख में तमाम तरीके के जो कम लागत वाले विकल्पों की लड़ाई चल रही है जिसमें ड्रोन्स, रॉकेट्स, मिसाइल्स, कोई सा भी एरियर टारगेट है उसकी तरफ अगर हम इसको डायरेक्ट करते हैं तो वह पूरी तरीके से नेस्तनाबूद हो जाता है. यानी यह हमें एक तरह का सुरक्षा कवच प्रदान करता है." 

डायरेक्टेड एनर्जी वेपन की सबसे बड़ी खास बात यह है कि आप इन्हें हवाई जहाज रेल या फिर सड़क माध्यम से भी कहीं भी एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकते हैं और इसे अलग अलग करके भी अपनी ज़रुरत के हिसाब से ढाला जा सकता है और इसीलिए आज के आधुनिक युग में इनकी ज़रुरत सबसे ज्यादा महसूस की जा रही है. 
 

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