Jammu Kashmir: बॉर्डर पोस्ट पर घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा था आतंकी...गोलीबारी में हुआ घायल, जवानों ने दिया खून

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से घुसपैठ की कोशिश के दौरान घायल हुए तबारक हुसैन नाम के एक आतंकी को सेना के जवानों ने तीन बोतल खून दिया. आतंकी तार काटने की कोशिश कर रहा था जिस दौरान उसे जांघ में गोली लगी और खून बहने लगा. वहीं दो आतंकी भागने में सफल हो गए.

Indian Army
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST
  • पहले भी की थी घुसपैठ की कोशिश
  • हमला करने के लिए मिले थे 30 हजार रुपये

वैसे तो भारत-पाकिस्तान एक दूसरे के कितने बड़े हमदर्द हैं ये आपको बताने की हमें जरूरत नहीं. लेकिन अगर हम आपसे कहें कि भारतीय सैनिकों ने एक आतंकी को खून दिया तो शायद आपके लिए विश्वास करना थोड़ा मुश्किल हो जाए. दरअसल जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले बॉर्डर पर हमला करने आए एक आतंकी को भारतीय सैनिकों ने अपना खून दिया. सेना ने बुधवार को कहा कि 21 अगस्त को राजौरी जिले में एक सीमा चौकी पर हमला करने के प्रयास के दौरान घायल हुए एक पाकिस्तानी आतंकवादी को भारतीय सैनिकों से "तीन बोतल खून" मिला. 

आतंकवादी की पहचान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के कोटली जिले के सब्ज़कोट गांव के रहने वाले 32 वर्षीय तबारक हुसैन के रूप में हुई है.

करवाई सर्जरी
नौशेरा ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर कपिल राणा ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 21 अगस्त की सुबह नौशेरा के झंगर सेक्टर में तैनात जवानों ने नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा पर दो-तीन आतंकियों को देखा. उन्होंने कहा, “एक आतंकवादी भारतीय चौकी के करीब आया और उसने बाड़ काटने की कोशिश की. चौकन्ने जवाने ने उसे ललकारा. आतंकवादी भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसे गोली लगी और वो घायल हो गया.” हालांकि जंगल की आड़ लेकर दो अन्य आतंकी भाग निकले. घायल आतंकी को जिंदा पकड़ लिया गया और तत्काल उसकी सर्जरी की गई.

पहले भी की थी घुसपैठ की कोशिश
राजौरी के सेना अस्पताल के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजीव नायर ने बताया कि आतंकी के कंधे और जांघ में दो गोली लगने के कारण काफी खून बह गया था और उसकी हालत गंभीर थी. हमारी टीम के सदस्यों ने उसे खून तीन बोतल खून दिया. उसका ऑपरेशन किया गया और उसे आईसीयू में भर्ती कराया. अब उसकी हालत स्थिर है. सेना के अनुसार, हुसैन और उसके भाई हारून अली, जो उस समय 15 साल के थे, अप्रैल 2016 में उसी सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश के दौरान पकड़े गए थे, लेकिन नवंबर 2017 में मानवीय आधार पर उन्हें वापस भेज दिया गया था.

हमला करने के लिए मिले थे 30 हजार रुपये
हुसैन ने कथित तौर पर पूछताछ में बताया कि उसे एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने भेजा था, जिसकी पहचान कर्नल यूनुस चौधरी के रूप में हुई है. उसे एक भारतीय चौकी पर हमला करने के लिए पाकिस्तानी मुद्रा में 30,000 रुपये का भुगतान किया गया. सेना के अनुसार, उसने अन्य आतंकवादियों के साथ, इंडियन फॉर्वर्ड पोस्ट चौकियों की रेकी की थी और चौधरी ने उन्हें 21 अगस्त को हमला करने के लिए कहा था.

IED लगाने की थी प्लानिंग
सेना के एक बयान में बताया कि हुसैन करीब दो साल से पाकिस्तानी खुफिया विभाग के लिए काम कर रहा था. उसने एलओसी के पार लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रशिक्षण शिविर में छह हफ्ते की ट्रेनिंग भी ली थी. सेना ने कहा कि 25 अप्रैल 2016 को हुसैन और उसके भाई हारून अली को सब्ज़कोट से तीन आतंकवादियों के साथ भेजा गया था. तीनों आतंकवादी "war-likestores" ले जा रहे थे और उन्होंने इंडियन फॉर्वर्ड पोस्ट चौकियों के पास एक IED लगाने की योजना बनाई थी. सेना ने कहा कि 16 दिसंबर, 2019 को हुसैन के दूसरे भाई, मोहम्मद सईद को उसी क्षेत्र में सैनिकों ने पकड़ लिया था.

 

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