केंद्रीय परिवहन मंत्री, नितिन गडकरी ने कहा कि भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ग्लोबल लेवल पर तीसरे स्थान पर है. अब सिर्फ चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ही ऑटोमाबाइल के क्षेत्र में भारत से आगे हैं. लेकिन सरकार का लक्ष्य अगले पांच सालों में भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को टॉप पर लाने का है.
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का मार्केट साइज लगभग 22 लाख करोड़ रुपये है. जबकि चीन का 47 लाख करोड़ रुपये और अमेरिका 78 लाख करोड़ रुपये पर है. एक कार्यक्रम में बात करते हुए गडकरी ने भारत की संभावनाओं और विकास को उजागर किया. उन्होंने कहा, "हमारा मिशन और सपना भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को पांच वर्षों के भीतर दुनिया का सबसे बड़ा बनाना है. यह उद्योग आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण है."
सबसे बड़ा एक्पोर्टर है यह सेक्टर
उन्होंने आगे कहा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री सबसे बड़ी एक्सपोर्टर है. साथ ही, राज्य और केंद्रीय सरकारों को सबसे ज्यादा जीएसटी रेवेन्यू इसी से मिलता है, और अब तक 4.5 करोड़ नौकरियों का सृजन इस सेक्टर ने किया है. एथेनॉल, मेथनॉल, बायोडीजल, बायो-एलएनजी, इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित करके, फ्यूचर फ्यूल्स पर इंवेस्ट किया जा रहा है.
वायु प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करते हुए, मंत्री ने वाहनों के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारत सालाना 22 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन का आयात करता है, जो प्रदूषण में एक बड़ा योगदानकर्ता है.परिवहन क्षेत्र में, जीवाश्म ईंधन के विकल्प खोजना जरूरी है.
प्रदूषण को कम करने पर जोर
गडकरी का कहना है कि प्रदूषण चिंता का विषय है.जीवाश्म ईंधन आयात को कम किए बिना वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है. उन्होंने
प्रस्तावित किया कि भारत में सरप्लस फूड ग्रेन का उपयोग वैकल्पिक जैव ईंधन का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है, जैव ईंधन को आयात विकल्प के रूप में देखा जा सकता है जो लागत प्रभावी, प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी हैं.
मंत्री ने यह भी उजागर किया कि वैकल्पिक ईंधन कृषि क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र और जनजातीय क्षेत्रों को आय बढ़ाकर कैसे लाभ पहुंचा सकते हैं. आपको बता दें कि खुद गडकरी हाइड्रोजन-पावर्ड कार चलाते हैं.