प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को सुरक्षा मुहैया कराने वाली विशेष सुरक्षा बल (SPG) के दस्ते में पहली बार देसी नस्ल के कुत्ते मुधोल हाउंड को शामिल किया गया है. मुधोल हाउंड पहले से भारतीय वायु सेना और अन्य सरकारी विभागों में सेवारत है लेकिन यह पहली बार है जब उसे पीएम की सुरक्षा वाली टीम में जगह दी गई है. अक्सर लोग विदेशी नस्ल के कुत्ते रखना पसंद करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय कुत्ते भी किसी से कम नहीं हैं. सूझबूझ से लेकर शारीरिक क्षमता में इनका कोई जवाब नहीं.
1. परिआह (Pariah)
ये कुत्ता दुनिया की सबसे पुरानी नस्लों के कुत्ते में से एक है. यहां तक की मोहनजोदड़ो में भी इन कुत्तों के अवशेष मिले हैं. माना जाता है कि ये नस्ल 4500 साल पुरानी है. इन्हें साउथ एशियन डॉग्स भी कहा जाता है. ये वही कुत्ते हैं, जिन्हें आप आम तौर पर गांव-देहात से लेकर शहरों में सड़कों पर दौड़ता देखते हैं. इस नस्ल के कुत्तों का पालन काफी आसान है. चूंकि ये कुत्ते यहां की जलवायु के हिसाब से ढल चुके हैं, इसलिए यहां इनके बीमार पड़ने की संभावना कम होती है.
2. चिप्पीपराई (Chippiparai)
तमिलनाडु के मदुरै का एक शहर है चिप्पीपराई. कुत्तों की इस नस्ल का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया है. ज्यादातर ये नस्ल तमिलनाडु में पाई जाती है. ये पक्के शिकारी कुत्ते होते हैं, जिन्हें खासतौर पर शिकार के लिए ही पाला जाता है. तेज़ भागना और 10 फुट से ज़्यादा लंबी छलांग लगाना इनकी सबसे बड़ी खूबी है.
3. मुधोल हाउंड (Mudhol Hound)
ये वही कुत्ता है जिसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है. कर्नाटक के बगलकोट इलाके के मुधोल में पाई जाने वाली ये प्रजाति शिकार और रफ्तार के मामले में जर्मन शेफर्ड से दोगुनी तेज मानी जाती है. अमेरिका में इसे कैरावान हाउंड कहा जाता है. वहीं कर्नाटक के कई इलाकों में ये करवानी नाम से प्रचलित है. इसे खासतौर पर अपनी वफादारी के लिए जाना जाता है. अपने शिकारी गुण और चुस्ती की वजह से ही 2017 में पहली बार इन्हें भारतीय सेना में रखा गया था.
4. राजपलायम (Rajapalayam)
सफेद और पतली चमड़ी का ये कुत्ता जंगली सूअरों के शिकार और रखवाली के लिए जाना जाता है. इस प्रजाति का नाम तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के राजापलयम शहर के नाम पर रखा गया है. आम कुत्तों का जीवनकाल जहां 10 से 15 साल का होता है, वहीं राजापलयम नस्ल के कुत्ते 20 साल से ज़्यादा की ज़िंदगी जीते हैं. 9 जनवरी 2005 को भारतीय डाक सेवा ने 4 स्वदेशी नस्ल के कुत्तों के सम्मान में पोस्टेज स्टांप इशू किया गया था. जहां दूसरे कुत्तों के स्टाम्प की कीमत 5 रुपये रखी गई थी, वहीं राजपलायम की कीमत 15 रुपये रखी गई थी.
5. गद्दी कुत्ता
शेरों की तरह दिखने वाले ये कुत्ते अक्सर पहाड़ों पर पाए जाते हैं. ये सिर्फ दिखते ही नहीं बल्कि समय आने पर हिम तेंदुओं, चीते या गुलदार से भिड़ भी जाते हैं. ये ज्यादातर हिमाचल, उत्तराखंड, कश्मीर जैसे हिमालयन प्रदेशों में पाए जाते हैं. ये दुनिया की सबसे महंगी नस्लों में से एक तिब्बतियन मास्टिफ जैसे लगते हैं, ये भी माना जाता है कि गद्दी कुत्ता नस्ल तिब्बतियन मास्टिफ की ही क्रॉस ब्रीड है. हालांकि दोनों के दामों में जमीन आसमान का अंतर है. इस नस्ल के दो कुत्ते 500 से ज़्यादा भेड़ों को संभाल लेते हैं.