ट्रेन में बच्चों के साथ सफर कर रही मां के ट्वीट पर रेलवे का तुरंत एक्शन, कानपुर स्टेशन पर सिर्फ 23 मिनट में पहुंचाया गाय का दूध

हर स्टेशन पर ट्राई करने के बाद जब अंजली को कहीं गाय का दूध नहीं मिला तो उन्होंने रेल मंत्रालय को बच्चों को गाय का दूध उपलब्ध कराने के लिए ट्वीट किया. महिला के सिर्फ एक ट्वीट पर रेलवे के अधिकारियों ने महिला के छोटे बच्चों के लिए गाय का दूध उपलब्ध करा दिया.

भारतीय रेलवे ने 23 मिनट में पहुंचाया गाय का दूध (प्रतीकात्मक तस्वीर)
gnttv.com
  • कानपुर ,
  • 18 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST
  • गाय का दूध नहीं मिला तो अंजली ने रेल मंत्रालय को बच्चों को गाय का दूध उपलब्ध कराने के लिए ट्वीट किया.
  • रेलवे के अधिकारी खुद कानपुर सेंट्रल पर गाय का दूध लेकर पहुंचे.

आमतौर पर लेट होने के लिए मशहूर भारतीय ट्रेनों की लेटलतीफी के किस्से तो आपने खूब सुने होंगे. लंबे रूट पर चलने वाली ट्रेनें अक्सर लेट हो जाती हैं, खासतौर पर सर्दियों में ये समस्या और भी बढ़ जाती है. ऐसे में कई बार यात्रियों को कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल इन दिनों अपने यात्रियों की सेवा में तुरंत हाजिर रहता है. जी हां, बस एक ट्वीट करिए और ट्रेन में सफर के दौरान आपको होने वाली किसी भी समस्या के समाधान के लिए इंडियन रेलवे मौजूद है. 

'भारतीय रेल आपकी सेवा में तत्पर', रेलवे के इस स्लोगन को कानपुर सेंट्रल के अधिकारियों ने सोमवार को अपनी तत्परता से हकीकत का जामा पहना कर दिखा दिया. महिला के सिर्फ एक ट्वीट पर रेलवे के अधिकारियों ने महिला के छोटे बच्चों के लिए गाय का दूध उपलब्ध करा दिया. दरअसल, लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस से मुंबई से सुलतानपुर जा रहीं अंजलि तिवारी अपने दो छोटे बच्चों के साथ सफर कर रही थीं. ट्रेन अपने निर्धारित समय से लेट हो गयी. इस दौरान अंजलि के बच्चों को भूख लगी, पर अंजलि के बच्चे सिर्फ गाय का ही दूध पीते हैं. ऐसे में ट्रेन लेट होने से न अंजलि समय से घर पहुंच सकीं और न ही उन्हें रास्ते में कहीं गाय का दूध मिल सका. 

रेल मंत्रालय को गाय का दूध उपलब्ध कराने के लिए ट्वीट किया

हर स्टेशन पर ट्राई करने के बाद जब अंजली को कहीं गाय का दूध नहीं मिला तो उन्होंने रेल मंत्रालय को बच्चों को गाय का दूध उपलब्ध कराने की रिक्वेस्ट के साथ ट्वीट किया. ट्रेन कुछ देर में कानपुर सेंट्रल पहुंचने वाली थी. जिसके बाद रेल मंत्रालय ने तुरंत उनके ट्वीट को कानपुर सेंट्रल के निदेशक हिमांशु शेखर उपाध्याय को फॉरवर्ड किया. हिमांशु शेखर तबियत खराब होने की वजह से घर पर थे लेकिन ट्वीट मिलते ही उन्होंने अपनी कई टीमों को एक्टिव कर दिया. जैसे ही 23 मिनट बाद लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस कानपुर सेंट्रल के प्लेटफॉर्म पर पहुंची तो सामने रेलवे के अधिकारी खुद बच्चों के लिए गाय का दूध लेकर हाजिर थे. 

रेलवे के अधिकारी खुद स्टेशन पर गाय का दूध लेकर हाजिर थे

ये देखकर खुद अंजलि को विश्वाश नहीं हो रहा था. उनकी ट्रेन सोमवार को लगभग साढ़े तीन बजे कानपुर सेंट्रल  पहुंची थी. जिसके बाद उन्हें अधिकारियों ने गाय का दूध दिया. सुल्तानपुर में अपने गांव से फोन पर उन्होंने रेलवे को धन्यवाद दिया. जबकि कानपुर सेंट्रल के निदेशक हिमांशु ने कहा कि वो हमारी यात्री थीं, उनके साथ छोटे बच्चे थे. ऐसे में उनकी सेवा कर हमें अच्छा लगा. हम सभी यात्रियों की ऐसी ही सेवा करना चाहते हैं. ये सब देखने के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय रेल आपसे बस एक ट्वीट दूर है. पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब यात्रियों के ट्वीट करने पर भारतीय रेल ने तत्काल एक्शन लेते हुए उनकी समस्याओं का समाधान किया है. या ट्रेन में सफर के दौरान किसी चीज की जरूरत पड़ने पर इमरजेंसी में यात्रियों की मदद की है. 

(रंजय सिंह की रिपोर्ट)

 

 

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