हमारे घर-दफ्तर की तरह ही, भारतीय रेलवे में भी खूब सारा कबाड़ जमा होता है. रेलवे समय-समय पर इस कबाड़ को बेचकर अच्छा-खासा रेवेन्यू कमाता है. आपको बता दें कि उत्तर रेलवे ने इस बार कबाड़ बेच कर करीब 483 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाया है.
जी हां, बात हैरानी की है लेकिन सच है. रेलवे लाइन के निकट रेल पटरी के टुकडों, स्लीपरों, टाईबार जैसे स्क्रैप के कारण सुरक्षा संबंधी जोखिम की संभावना रहती है. वहीं, पानी की टंकियों, केबिनों, क्वार्टरों के दुरूपयोग की संभावना भी रहती है. इसलिए बेकार पड़े कबाड़ को बेचकर रेलवे पैसा कमाने और कबाड़ के निस्तारण की कोशिश में रहता है.
हर साल बेचा जाता है रेलवे से कचरा
हर साल भारतीय रेलवे सालभर में जमा हुए कबाड़ को स्क्रैप में बेचकर पैसे जुटाता है. इस बार, बड़ी संख्या में एकत्रित किए गए स्क्रैप पीएससी स्लीपरों का उत्तर रेलवे द्वारा निपटान किया जा रहा है, ताकि रेलवे भूमि को अन्य गतिविधियों और राजस्व आय के लिए उपयोग में लाया जा सके. उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने बताया की रेलवे ने अब तक कबाड़ बेचकर करीब 483 करोड़ रुपए जुटाए हैं.
असल में रेलवे लाइन के निकट रेल पटरी के टुकडों, स्लीपर जैसे कबाड़ से दुर्घटना की आशंका रहती है. इसी प्रकार पानी की टंकियों, उपयोग नहीं आने वाले रेलवे कैबिन, क्वार्टर व अन्य इमारतों के दुरुपयोग की संभावना रहती है. इसे ध्यान में रखकर कबाड़ हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है.