Indian Railway: इन 7 अहम पहलों ने बनाया है भारतीय रेलवे को पहले से ज्यादा सुरक्षित

हाल ही में, सोमवार को एक कंटेनर ट्रेन कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई, जिससे उसके पीछे के दो डिब्बे पटरी से उतर गए, और इस दुर्घटना में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.

Indian Railway
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 19 जून 2024,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना की प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि दो ट्रेनों के बीच टक्कर मालगाड़ी के लोकोमोटिव चालक की ओर से की गई मानवीय भूल का परिणाम थी. दरअसल, चालक ने सिग्नल की अनदेखी की थी और हादसा हो गया. सोमवार को एक कंटेनर ट्रेन कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई, जिससे उसके पीछे के दो डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. 

हालांकि, इस दुर्घटना की जांच अभी जारी है. इस बीच हम आपको रेलवे और केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कुछ कदमों के बारे में जो आपकी रेल की यात्रा को सुरक्षित बनाते हैं:

राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष (RRSK):
2017 में शुरू की गई, RRSK सिस्टम ने रेलवे की कई सुरक्षा संपत्तियों को रिप्लेस, रिन्यू और अपग्रेड किया. साल 2017 से 2022 तक RRSK के काम पर 1.08 लाख करोड़ रुपये का सकल खर्च आया. इस बीच, सरकार ने 2022-23 में इस प्रणाली का दायरा अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया.

कवच:
अगर ट्रेन ड्राइवर्स ब्रेक लगाने में विफल रहते हैं तो स्वदेशी रूप से विकसित कवच सिस्टम ऑटोमैटिकली ब्रेक अप्लाई कर सकता है जिससे ट्रेनें एक-दूसरे से टकराती नहीं है. अब तक, कवच को 1,465 आरकेएम और 121 लोकोमोटिव पर लागू किया गया है

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग:
भारत भर में 6,586 से अधिक स्टेशन EI सिस्टम से सुसज्जित हैं जो समपार फाटकों को इंटरलॉक करके सुरक्षा सुनिश्चित करता है. इसके अलावा, 2019 से ब्रॉड गेज मार्गों पर सभी मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया गया है. 

विजिलेंस कंट्रोल डिवाइसेज (VCD):
सभी ट्रेनों में वीसीडी होते हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि लोकोमोटिव पायलट यात्रा के दौरान सतर्क रहें, जबकि जीपीएस-इनेबल्ड फॉग सुरक्षा उपकरण कम दृश्यता वाले क्षेत्रों में ड्राइवरों की मदद करते हैं. 

ट्रैक रिकॉर्डिंग कारें:
ट्रैक संचालन के लिए उपयुक्त हैं या नहीं, यह चेक करने और कुछ खराबी होने पर तुरंत मरम्मत करने के लिए ट्रैक रिकॉर्डिंग कारों का उपयोग किया जाता है. पटरियों में खामियों का पता लगाने के लिए पटरियों के अल्ट्रासोनिक ट्रायल का भी उपयोग किया जाता है. 

ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम:
बीएमएस एक वेब-आधारित एप्लिकेशन है जो चौबीसों घंटे ब्रिज की जानकारी देता रहता है. 

रोलिंग स्टॉक सिस्टम की ऑनलाइन निगरानी:
रोलिंग स्टॉक या रेलवे वाहनों की सुरक्षा OMRS से सुनिश्चित की जाती है और यह रेलवे के प्रिडिक्टिव मैंटेनेंस सिस्टम्स में से एक है. 

 

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