INS Vikrant: चीन को चुनौती देगा देश का पहला स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत...जल्द पीएम मोदी देश को करेंगे समर्पित, जानिए इसकी खूबियां

आईएनएस विक्रांत भारत में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है. इसका भार 45,000 टन है. चार गैस टर्बाइन के जरिए इसे कुल 88 मेगावॉट की ताकत मिलेगी. इसमें चार एफ़िल टावर के बराबर लोहे का इस्तेमाल किया गया है जबकि विक्रांत में 2400 किलोमीटर केबल है. आईएनएस विक्रांत में 2,300 कंपार्टमेंट जिनमें 1,700 नौसैनिक रह सकेंगे.

INS Vikrant
gnttv.com
  • कोच्चि,
  • 25 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST
  • आईएनएस विक्रांत में हैं 2300 से अधिक केबिन
  • जहाज में हॉस्पिटल भी है, बराक और ब्रह्मोस मिसाइल से लैस
  • 30 फाइटर प्लेन्स को ले जाने की क्षमता

भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत विक्रांत कमीशन के लिए पूरी तरह तैयार है. आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए देश का पहला आईएसी विक्रांत समुद्री मोर्चे पर दुश्मन से टक्कर लेने के लिए तैयार है. कमीशन से लगभग एक साल पहले इसे समुद्र में कठोर परीक्षणों में अच्छी तरह परखा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक के 2 सितंबर को कोच्चि में समर्पित करेंगे. 

क्या है खासियत
अगर इसकी खासियत की बात करें तो आईएनएस विक्रांत विशालकाय जहाज है, जो पूरी तरह स्वदेशी युद्धपोत है. इसकी लंबाई 262 मीटर है और चौड़ाई 60 मीटर है. इसके वजन की बात करें तो यह 45 हजार टन वजनी जहाज है. इसमें चार एफ़िल टावर के बराबर लोहे का इस्तेमाल किया गया है. जबकि विक्रांत में 2400 किलोमीटर केबल लगाई गई है यानि ये केबल कोच्चि से दिल्ली तक पहुंच सकती है. बनने के करीब 13  साल के बाद इसे भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है. आईएनएस विक्रांत एक साथ 30 फाइटर प्लेन्स और हेलिकॉप्टर को अपने साथ ले जाने में सक्षम है. 

2300 से अधिक हैं केबिन
अब हम आपको आईएनएस विक्रांत की मारक क्षमता से परिचित कराते हैं. यह भारत में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है. इसका भार 45,000 टन है. चार गैस टर्बाइन के जरिए इसे कुल 88 मेगावॉट की ताकत मिलेगी. इस पोत की अधिकतम गति 28 नॉटिकल मील है. युद्धपोत मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 हेलीकॉप्टर और MH-60R मल्टी रोल हेलीकॉप्टर संचालित करने के लिए तैयार है. विक्रांत को बराक और ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है. कोच्चि शिपयार्ड  के सीएमडी  मधु एस नायर ने बताया कि इसमें 2,300 से अधिक केबिन हैं, जिन्हें लगभग 1700 नौसैनिकों के लिए डिज़ाइन किया गया है. नौसेना में पहली बार शामिल हो रही महिला अधिकारियों के लिए एक विशेष केबिन बनाया गया है. नौसेना ने कहा, 76 प्रतिशत की स्वदेशी सामग्री के साथ आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत के लिए एक आदर्श उदाहरण है. यह मोदी सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल पर जोर देता है. 

जहाज में हॉस्पिटल भी है
इसमें 15 मंज़िलें हैं. हर मंज़िल पर अलग अलग तरह के ऑपरेशन सेंटर हैं. आईएनएस विक्रांत में 16 बेड का एक आधुनिक हॉस्पिटल बनाया गया है. इसके साथ ही इसमें दो ऑपरेशन थिएटर भी हैं. लम्बे समय तक समुद्री मोर्चे पर  तैनात रहने वाले नौसैनिकों के लिए आईएनएस विक्रांत में आधुनिक किचन बनाई गई है. इसे गैली कहा जाता है. इस ख़ास किचन में रोटी बनाने की मशीन से लेकर बड़े बड़े बॉयलर हैं जिनमें एक साथ सैकड़ों नौसैनिकों के लिए स्वादिष्ट भोजन बन सकता है. करीब 1700 नौसैनिकों के लिए उत्तर, दक्षिण, शाकाहारी मांसाहारी हर तरह के खाने पीने के इंतजाम हैं.

लगे हैं ऐसे जनरेटर की पूरे शहर को रोशन कर दे
अब जानते हैं विक्रांत के शिप कंट्रोल सेंटर के बारे में लेफ़्टिनेंट कमांडर पीयूष श्रीवास्तव ने बताया कि यहां से इंजन, पॉवर जनरेटर और एक सिस्टम पर नजर रखी जाती है. विक्रांत की अधिकतम गति लगभग 28 समुद्री मील है. 08 पॉवर जनरेटर हैं इस जहाज में, जो पूरे कोच्चि शहर को रोशन करने की क्षमता रखते हैं. विक्रांत के हैंगर एरिया भी एक विशालकाय मैदान है जहां पर मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 हेलीकॉप्टर खड़े है. ज़रूरत पड़ने पर ये तेज़ी के साथ डेक से उड़ान भर सकते हैं. आईएनएस विक्रांत  के पहले सीओ कोमोडोर विद्याधर हरके ने बताया कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो चुका है जो अपने देश में एयरक्राफ्ट कैरियर डिजाइन करने और बनाने की महारत रखते हैं. विक्रांत की मारक क्षमता के साथ भारत चीन की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.

कैसा है एयर कंट्रोल डेक? 
लेफ़्टिनेंट कमांडर अजय सिंह के मुताब‍िक आधुनिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम के जरिए एयर ऑपरेशन पर नजर रखी जाती है. यहां से युद्धपोत में मौजूद मिग-29K लड़ाकू विमान और कामोव-31 हेलीकॉप्टर को कंट्रोल किया जाता है. विक्रांत का फ्लाइट डेक 2 फुटबॉल मैदान के बराबर है जहां से विमान उड़ते हैं. ये 08 किलोमीटर के बराबर बैठता है. विक्रांत में डैमेज कंट्रोल सेंटर भी है जहां से हर वक्त आग या पानी से होने वाली दुर्घटना पर नजर रखी जाती है. आधुनिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम के जरिए नौसैनिक हर वक़्त सिस्टम पर नज़र गड़ाए रहते हैं क्योंकि समंदर में सावधानी हटी दुर्घटना घटी के हालात हमेशा बने रहते हैं. 

पुराना आईएएनएस विक्रांत रूस से मिला हुआ एयरक्राफ्ट कैरियर था, जिसने 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी. उसे युद्ध के हीरो का तमगा मिला था. उसकी उम्र पूरी होने के बाद देश में बन रहे पहले एयरक्राफ्ट कैरियर को भी विक्रांत ही नाम देने का निर्णय लिया गया. इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था. कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने करीब 20,000 करोड़ रुपये में युद्धपोत विक्रांत को बनाया है. 

(कोच्चि से मंजीत नेगी की रिपोर्ट)

 

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