भारत की पहली क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RTS) ट्रेन दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ के बीच विकसित की जा रही. आरआरटीएस ट्रेन साल 2025 तक पूरी हो जाएगी. ऐसे में ये रेल औरों से बेहतर कैसे हो, मेट्रो के मुकाबले रैपिड रेल में व्यवस्थाओं में क्या-क्या परिवर्तन किए जा सकते है उसको लेकर अभी से प्रयास किया जा रहा है.
कहा जा रहा है कि यह 180 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चलने वाली भारत की सबसे तेज़ ट्रेन होगी. इसे दो कोचों में प्रीमियम और स्टैंडर्ड में बांटा जाएगा और दोनों कोचों का टिकट अलग-अलग होगा. स्टैंडर्ड कोच की टिकट वाले यात्री प्रीमियम कोच से यात्रा नहीं कर सकेंगे.
मेक इन इंडिया स्कीम के तहत भारत में बने हैं दोनों कोच
आपको बता दें इन कोचों का निर्माण भारत में हुआ है और ये पूरी तरह से 100% मेक इन इंडिया परियोजना के तहत बनाए गए हैं. इसे हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम को सौंपा गया था. एनसीआरटीसी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं कि कोच के हिसाब से ही लोग टिकट लें और उसके हिसाब से ही यात्रा करें.
स्टैंडर्ड कोच के टिकट वाले यात्री प्रीमियम कोच से यात्रा नहीं कर सकते हैं. असल में एंट्री के समय में एक ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन डोर/टोकन स्कैन डोर होगा. टिकट टू प्रीमियम कोच वाले यात्री कोच में प्रवेश करने से पहले अपने टिकट को दो बार स्कैन करेंगे.
मेट्रो ट्रेन से बेहतर है
अगर हम मेट्रो ट्रेन से इसकी तुलना करें, तो मेट्रो में ऐसा कोई प्रीमियम कोच नहीं होता है, लेकिन इसमें महिलाओं के लिए एक अलग कोच होते हैं. हालांकि, लेकिन कई बार महिला कोच में भी पुरुष यात्री देखे जा सकते हैं. रैपिड ट्रेन में इस तरह की परेशानी से बचने के लिए एनसीआरटीसी की ओर से पहले ही सख्त नियम बनाए जा चुके हैं.
जैसे मेट्रो में टोकन केवल एक बार स्कैन किया जाता है, वहीं रैपिड ट्रेन के मामले में टोकन को फिर से प्लेटफॉर्म पर स्कैन किया जाएगा ताकि कोई यात्री अपने कोच को इंटरचेंज न करे. एक स्टैंडर्ड कोच वाला यात्री मानक कोच से दूसरे कोच में जा सकता है लेकिन प्रीमियम कोच में नहीं. प्रीमियम कोच का टिकट स्टैंडर्ड कोच की तुलना में थोड़ा अधिक होगा और मेट्रो की तरह महिलाओं के लिए एक अलग कोच होगा जो स्टैंडर्ड श्रेणी के अंतर्गत आएगा. प्रीमियम कोच में हवाई अड्डों की तरह प्रीमियम लाउंज भी होगा जो बिजनेस क्लास की सुविधा प्रदान करेगा.
गौरतलब है कि साहिबाबाद और दुहाई के बीच जल्द ही ट्रायल शुरू होगा. यह लगभग 17 किमी है और 2023 तक शुरू होने वाला है. पूरा कॉरिडोर साल 2025 से कार्य करना शुरू कर देगा.