देश की तरक्की को रफ्तार देने के लिए सूरत में पहली स्टील स्लैग सड़क तैयार है. एक किलोमीटर लंबी ये सड़क भविष्य में बनने वाली सड़कों का अक्स है. आधुनिक तकनीक का ये कमाल अब तरक्की की मिसाल बन गया है.
खास है स्टील स्लैग वाली सड़क-
अब तक डामर और सीमेंटेड रोड बनते थे. लेकिन सूरत के इंडस्ट्रियल इलाके हजीरा में नई तकनीक से रोड बनाने का प्रयोग किया गया है. मिनिस्ट्री ऑफ स्टील की मदद से सीएसआईआर और सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट ने सड़क को तैयार किया. किसी भी जगह पर बनने वाले रोड में नेचुरल एग्रीगेड का प्रयोग किया जाता है, लेकिन इस सड़क के निर्माण में स्टील स्लैग एग्रीगेट का उपयोग किया गया है. 6 लेन में बनी सड़क में ऊपर से नीचे तक कुल 5 लेयर में स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया गया है. इस रोड को बनाने में लागत भी कम आई है. जबकि इसकी मजबूती दूसरी सड़कों से बेहतर होने का दावा किया जा रहा है.
रोड बनाने में खर्च कम आता है-
स्टील स्लैग एक वेस्ट मटीरियल होता है जो स्टील उत्पादन के बाद स्टील फैक्ट्री से निकलता है. अभी तक स्टील स्लैग का उपयोग सीमेंट बनाने में किया जाता था. लेकिन अब इसके इस्तेमाल से सड़क बनाई जा रही है. स्टील स्लैग सड़क को बनाने में लागत भी कम आती है और ये दूसरी सड़कों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती है.
2030 तक भारत में 60 मिलियन स्लेग निकलेगा-
इस साल भारत में 120 मिलियन टन स्टील का उत्पादन हुआ है. जिसमें से 24 मिलियन टन स्लैग निकला है. जबकि साल 2030 तक भारत में करीब 60 मिलियन टन स्लैग निकलेगा. इस तकनीक के विकसित होने से देश में सड़क निर्माण को रफ्तार मिलेगी. साथ ही सरकार स्टील स्लैग को निर्यात करने की योजना भी बना रही है. इससे देश के विकास को रफ्तार मिलने के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.
नेचुरल एग्रिगेड से बनने वाले रोड से बहुत कम खर्च में स्टील स्लैग का रोड तैयार होता है. नेचुरल एग्रिगेड से 30 से 40 प्रतिशत कम खर्च में स्टील स्लैग से रोड तैयार होता है. एक किलोमीटर लम्बे इस स्टील स्लैग रोड की मजबूती नॉर्मल रोड से ज्यादा है.
(सूरत से संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: