International Human Rights Day हर साल 10 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है? क्या है इसका इतिहास, मानवाधिकार उल्लंघन पर ऐसे करें शिकायत

International Human Rights Day 2023: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाने की शुरुआत लोगों के अधिकारों के बारे में बताने के लिए की गई थी. इस साल मानवाधिकार दिवस की थीम है, सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय. 

Human Rights Day
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST
  • संयुक्त राष्ट्र ने 1948 में की थी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाने की शुरुआत
  • भारत में 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून लाया गया अमल में 

World Human Rights Day 2023 History, Significance and Theme: हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने की थी. 48 देशों के समूह ने सभी मानव-जाति के मूलभूत अधिकारों की व्याख्या करते हुए हस्ताक्षर किए थे. साल 2023 में मानवाधिकार दिवस की थीम है, सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय.

जानें क्या है मानवाधिकार
सरल शब्दों में कहें तो मानवाधिकारों का आशय ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किए बिना सभी को प्राप्त होते हैं. मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, काम एवं शिक्षा का अधिकार शामिल हैं. मानवाधिकारों के संबंध में नेल्सन मंडेला ने कहा था, 'लोगों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना उनकी मानवता को चुनौती देना है.'

क्या है इस दिन को मनाने का उद्देश्य 
मानवाधिकार दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व के सभी लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और भेदभाव रहित स्वतंत्रतापूर्ण जीवन जी सकें. मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक व शिक्षा का अधिकार भी शामिल है. इस दिन को मनाने का मकसद है कि लोगों को उनके अधिकार के बारे में सही जानकारी मिल सके. दुनिया भर के अलग-अलग नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीति या अन्य विचार के आधार पर लोगों से कोई भेदभाव न करे. 

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का किया गया गठन 
भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया. 12 अक्टूबर, 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया था. मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य क्षेत्रों में भी काम करता है. जैसे मजदूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार. मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है. हालांकि भारत में यदि मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी बहुत सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं. 

संपत्ति के अधिकार को हटा दिया गया
भारत के संविधान के भाग-3 में 7 मौलिक अधिकारों को शामिल किया गया था. इसमें संपत्ति का अधिकार भी शामिल था. जिसे 44वें संविधान संशोधन द्वारा हटा दिया गया था. अब 6 मौलिक अधिकार हैं. इन अधिकारों का उल्लंघन करने वाले या हनन करने वाले को कानून में सजा का प्रावधान भी है.

मौलिक अधिकार
1. समानता का अधिकार.
2. स्वतंत्रता का अधिकार.
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार.
4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार.
5. शिक्षा और संस्कृति संबंधी अधिकार.
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार.

मानवाधिकार उल्लंघन पर ऐसे कर सकते हैं शिकायत
1. ऑनलाइन पोर्टल www.hrcnet.nic.in पर जाकर शिकायत कर सकते हैं.
2. एनएचआरसी की आधिकारिक वेबसाइट (https://nhrc.nic.in/) पर जा सकते हैं.
3. आप टोल फ्री नंबर 144334 पर भी शिकायत कर सकते हैं.
4. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मदद सेंटर में लिखित शिकायत दे सकते हैं.
5. मानवाधिकार के इस मोबाइल नंबर 9810298900 पर कॉल कर शिकायत कर सकते हैं.

नहीं किया जा सकता है भेदभाव
सभी लोग गरिमा और अधिकार के मामले में स्वतंत्र और बराबर हैं यानी सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है. उन्हें बुद्धि और अंतरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के बर्ताव करना चाहिए. प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के अधिकार और स्वतंत्रता दी गई है. 

नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता या समाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म आदि जैसी बातों पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता. चाहे कोई देश या प्रदेश स्वतंत्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो, या परिमित प्रभुसत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनैतिक क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहां के निवासियों के प्रति कोई फर्क नहीं रखा जाएगा.


 

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