झारखंड में पिछले कई दिनों से जारी राजनीतिक उठा-पटक का अंत अभी होता नहीं दिख रहा है. जमीन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया है. अब सभी की निगाहें झारखंड मुक्ति मोर्च (झामुमो) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन के राजतिलक पर टिकी हुई हैं. झामुमो ने हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपई को राज्य का अगला सीएम बनाने का फैसला लिया है.
राज्य को 12वां मुख्यमंत्री मिलेगा
चंपई ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है. हालांकि झारखंड के राज्यपाल ने चंपई सोरेन से कहा कि इसके बारे में शुक्रवार को आप लोगों को सूचित किया जाएगा. इस तरह देखा जाए तो चंपई सोरेन को शपथ ग्रहण का समय नहीं मिला है. राज्यपाल ने कहा कि हम संविधान विशेषज्ञ से राय ले रहे हैं. चंपई सोरेन यदि सीएम बनते हैं तो 23 साल के झारखंड को उसका 12वां मुख्यमंत्री मिलेगा. राज्य बनने के बाद से अब तक 11 मुख्यमंत्री बदल चुके हैं. 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बना था.
सबसे पहले बाबूलाल मरांडी की मिली थी कमान
पहले मुख्यमंत्री के तौर पर बाबूलाल मरांडी ने राज्य की कमान संभाली थी. उसके बाद से अब तक 11 मुख्यमंत्री बने. इनमें मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन सबसे कम 10 दिनों के लिए, जबकि भाजपा के रघुवर दास सबसे ज्यादा पांच सालों के लिए मुख्यमंत्री रहे. रघुवर दास झारखंड के एकमात्र मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है.
कब-कब और कौन रहे मुख्यमंत्री
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य बाबूलाल मरांडी को प्राप्त हुआ. 15 नवंबर, 2000 को झारखंड के गठन के बाद से छह राजनेताओं ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है. बाबूलाल मरांडी भाजपा का प्रतिनिधित्व 28 माह तक किए. बाबूलाल मरांडी का कार्यकाल 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक रहा. हालांकि वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.
शिबू सोरेन तीन बार रहे सीएम
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पहली बार 2005 में वह सीएम की कुर्सी पर बैठे, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण 10 दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ा था. शिबू के बेटे हेमंत सोरेन ने दो बार राज्य की बागडोर संभाली. किसी बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.
अर्जुन मुंडा ने भी लगाई हैट्रिक
भाजपा से अर्जुन मुंडा तीन बार मुख्यमंत्री बने. 18 मार्च 2003 को वो पहली बार मुख्यमंत्री बने. इसके बाद दो बार उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. राज्य के निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को भी मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मधु कोड़ा का कार्यकाल 18 सितंबर 2006 से 27 अगस्त, 2008 तक सीएम रहे.
मधु कोड़ा ने कमान संभालते हुए राज्य के पांचवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. भाजपा की ओर से रघुवर दास 28 दिसंबर 2014 से 28 दिसंबर 2019 तक पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहे. जब 2019 में विधानसभा चुनाव हुआ तो भाजपा ने सत्ता गंवा दी. फिर 29 दिसंबर 2019 को हेमंत सोरेन झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री बने.
इन मुख्यमंत्रियों की हो चुकी है गिरफ्तारी
ईडी ने जमीन घोटाले से जुड़े मामले में 31 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया. हालांकि झारखंड में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी ये कोई पहली बार नहीं है. झारखंड के निर्माण के बाद से अब तक कुल 6 मुख्यमंत्री रहे हैं. जिनमें से 3 मुख्यमंत्रियों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है. इस राज्य में तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लागू किया जा चुका है. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा अपने कार्यकाल के दौरान जेल की हवा खा चुके है.
मधु कोड़ा भ्रष्टाचार के मामले में जेल गए थे. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगा था. कथित तौर पर वे एक खनन मामले में शामिल थे. उन पर रिश्वत के बदले खनन का ठेका देने का आरोप लगा था. शिबू सोरेन को साल 1994 में उनके निजी सचिव शशि नाथ झा के अपहरण और हत्या के मामले में शामिल होने के आरोप में दिल्ली की अदालत ने साल 2006 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अगस्त 2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कोई ठोस सबूत न मिलने और पेश करने पर सीबीआई को फटकार लगाई थी और शिबू सोरेन को बरी कर दिया था.
झारखंड में किस पार्टी के पास कितने विधायक
झारखंड विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं. बहुमत यानी सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है. फिलहाल झारखंड में
जेएमएम के पास कुल 29 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 17 और आरजेडी के पास एक विधायक है. कुल मिलाकर महागठबंधन सरकार के पास विधायकों की संख्या 47 है. वाम दल के विधायक विनोद सिंह का भी समर्थन महागठबंधन को प्राप्त है.
एनडीए के पास इतनी है विधायकों की संख्या
एनडीए गठबंधन के पास 32 विधायक हैं. इनमें बीजेपी के पास 26, आजसू के पास तीन, एनसीपी के पास एक और 2 निर्दलीय विधायक हैं. ऐसे में बीजेपी को अपनी सरकार बनाने के लिए 9 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होगी.