साल 2014 में बिहार की सियासत में अचानक एक चेहरा उभरा था और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होता है. उस चेहरे को बिहार की आज की सियासत में अनदेखा नहीं किया जा सकता. देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार बिहार में 20 मई 2014 को सीएम की कुर्सी पर बैठने वाले जीतन राम मांझी एक बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं. उनके परिवार की गरीबी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस साल उनका जन्म हुआ था, उस साल बाढ़ की वजह से उनके परिवार को बरगद के पेड़ पर चढ़ना पड़ा था. चलिए आपको गांव से उठकर बिहार के तीसरे दलित सीएम बनने वाले जीतन राम मांझी की कुछ अनसुनी कहानियां बताते हैं.
मांझी के परिवार को बरगद के पेड़ पर रहना पड़ा था-
साल 1944 में 6 अक्टूबर को गया जिले के खिजरसराय के महकार गांव में जीतन राम मांझी का जन्म हुआ था. उनका जन्म नदी के पास गांव में हुआ था. जिस साल उनका जन्म हुआ था, उस साल नदी में बाढ़ आई थी. जिसकी वजह से उनके परिवार को बरगद के पेड़ के ऊपर चढ़ना पड़ा था. किताब 'कितना राज कितना काम' के मुताबिक जीतन राम मांझी ने ये किस्सा खुद बताया था.
स्लेट के टूटे हिस्से पर लिखकर पहाड़े याद करते थे मांझी-
जीनत राम मांझी की पढ़ाई की शुरुआत की कहानी भी अलग तरह की है. किताब 'कितना राज कितना काम' के मुताबिक मांझी ने खुद बताया कि उनकी पढ़ाई की शुरुआत उनके मकान मालिक के यहां हुई थी. दरअसल उनके मकान मालिक के बेटे को एक टीचर पढ़ाने आता था, जिनको लगा कि मांझी में कुछ बात है, क्योंकि मांझी चुपके से उन्हें पढ़ाते हुए सुनते थे. इसके बाद टीचर जीतन राम मांझी को पढ़ाने के लिए राजी हो गए. मांझी ने बताया कि वो स्लेट के टूटे हिस्से पर पहाड़े लिखकर याद करते थे.
मांझी को मिली थी सरकारी नौकरी-
साल 1966 में जीतन राम मांझी ने गया महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. साल 1966 में मांझी को लिपिक की नौकरी मिली थी. लेकिन वो ज्यादा दिन तक नौकरी नहीं कर पाए और जल्द ही नौकरी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने सियासत में कदम रखा.
मंत्री बनने के बाद भी खेतों में करते थे काम-
मांझी के महकार गांव में 8 मुसहर परिवार रहते हैं. लेकिन सबसे बड़ा और पक्का मकान जीतन राम मांझी का ही है. मांझी का घर दो मंजिला है. जिसको उन्होंने विधायक बनने के बाद बनाया था. इसके अलावा गांव में ओबीसी, ईबीसी और ऊंची जाति के 100 परिवार रहते हैं. मांझी के परिवार के पास 19 बीघा जमीन है, जिसपर उनके भतीजे उपेंद्र मांझी खेती करते हैं. उपेंद्र मांझी के मुताबिक जब जीतन राम मांझी विधायक और मंत्री थे तो वो खुद ही कुल्हाड़ी लेकर खेत पहुंच जाते थे. साल 1980 में मांझी पहली बार कांग्रेस से विधायक बने थे. साल 1983 में चंद्रशेखर सरकार में डिप्टी मंत्री रहे. इसके बाद 90 के दशक में जनता दल की सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बने.
बाद में जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के साथ आ गए. साल 2005 में एनडीए की सरकार में अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री बनाया गया. लेकिन आरजेडी कार्यकाल में एक करप्शन के मामले की वजह से उनको इस्तीफा देना पड़ा. साल 2008 में फिर से मांझी की कैबिनेट में वापसी हुई.
शादी में जाने की थी तैयारी, सीएम ने बुलाया-
2014 आम चुनाव में जेडीयू की हार के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. अब जेडीयू में नए नेता की तलाश शुरू हुई. नीतीश कुमार अपने महादलित जनाधार को मजबूत करना चाहते थे, इसलिए महादलित समुदाय से एक नेता की तलाश थी. उनकी तलाश जीतन राम मांझी पर आकर खत्म हुई. मांझी जहानाबाद के मखदमपुर से विधायक और अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री थे. वो शांत, विनम्र स्वभाग के खुद को ज्यादा भाव ना देने वाले मंत्री थे. उनको नाम सीएम की रेस में दूर-दूर तक नहीं था. जीतन राम मांझी गया की एक शादी में जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी उनके पास नीतीश कुमार का फोन आया और उनको सीएम आवास पर बुलाया.
नीतीश ने मांझी से कहा- आप मेरी कुर्सी पर बैठिए
जब मांझी सीएम आवास पहुंचे तो वहां शरद यादव पहले से मौजूद थे. अपनी आदत के मुताबिक मांझी एक कोने की कुर्सी पर बैठ गए. तभी नीतीश कुमार ने कहा- अरे यहां मेरी कुर्सी पर बैठिए. यह घर अब आपका है. यह सुनकर मांझी स्तब्ध थे. उनको समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है? इसके बाद जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
मांझी का परिवार-
जीतन राम मांझी की शादी शांति देवी से हुई है. उनके 2 बेटे और 5 बेटियां हैं. उनके बड़े बेटे संतोष मांझी ने पीजी की डिग्री हासिल की है और डॉक्टरेट हैं. जबकि दूसरे बेटे प्रवीण सुमन ने ग्रेजुएशन किया है. मांझी के बड़े बेटे संतोष वजीरगंज के कॉलेज में पढ़ाते थे, लेकिन अब HAM पार्टी के प्रमुख नेता हैं. मांझी की एक बेटी सुनैना वॉर्ड काउंसलर हैं. जबकि रूबी स्वास्थ्य विभाग में सुपरवाइजर हैं और प्रमीला ब्यूटी पॉर्लर चलाती हैं.
ये भी पढ़ें: