कभी दो वक्त की रोटी के लिए खुद तरसे, आज रोज़ाना 2000 से ज्यादा जानवरों का भर रहे पेट

जोधपुर के सुनिल हर दिन 2000 जानवरों का पेट भरते हैं, एक समय पर सुनिल खुद दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर थे, तब उन्हें ये एहसास हुआ कि इंसान कुछ भी करके अपना पेट भर सकता है लेकिन जानवर ऐसा नहीं कर सकते

SUNIL SET an-example-of-humanity
वरुण सिन्हा
  • जयपुर,
  • 18 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST
  • किसी एनजीओ से नहीं हैं सुनिल
  • हर दिन खिलाते हैं 2000 जानवरों को खाना

कहते हैं प्यार की कोई भाषा नहीं होती, इसलिए तो इंसान जानवरों से भी प्यार कर लेता है, जरूरत होती है बस इनके करीब आने की. जो लोग जानवरों के करीब होते हैं उन्हें इस बात का भी इल्म होता है कि जानवर अपना खाना खुद नहीं जुटा सकते. ऐसे ही हैं जानवर प्रेमी हैं जोधपुर के रहने वाले सुनील . सुनिल उन तमाम पशु पक्षियों का सहारा बन गए हैं, जिनके खाने का इंतजाम नहीं है.  वो रोजाना 2000 से ज्यदा पशु और पक्षियों को भोजन की व्यवस्था करते है . 

इस सिलसिले में सुनिल कहते हैं कि न मैं किसी एनजीओ से हूं, और ना इसके बारे में किसी  एनजीओ को पता है.  ये बस मेरी एक कोशिश है ताकि भर के इन बेजुबानों को एक सहारा दे सकूं, मैं इनका पेट भरने के लिए पैसा अपनी जेब से लगाता हूं, खर्च करते समय मैं ये भी नहीं सोचता कि ये सब कैसे करूंगा. 

जोधपुर के इस परिवार का उद्देश्य है कोई पशु पक्षी भूखा ना रहे इसलिए कभी सुनील तक तो कभी उनके पिता किशन  पशुओं को खाना खिलाने की ड्यूटी करते हैं. इस रूटीन में  लंगूर, बंदर, गाय, तमाम पक्षी सभी को खाना दिया जा रहा है.  रोज 30km तक सफर करके सुनिल का परिवार ये नेक काम कर रहा है.  

जोधपुर में किसी को कोई बीमार पशु मिलता है तो वो सबसे पहले सुनिल को इसकी जानकारी देता है, सुनिल कहते हैं कि  ईश्वर ने न जाने किस काम के लिए मुझे चुना है बस मैं ये सोचता हूं की कोई भूखा नहीं रहे, हर पशु को चारा मिलता रहे, सुनिल कहते हैं कि  एक जमाना था जब मेरे पास खाने के लिए रोटी नही होती थी, उसी दौर में मैंने सीखा कि इंसान कुछ भी करके खाना जुटा सकता है लेकिन जानवर के अंदर ये ताकत नहीं है इसलिए आज मैं इन बेजूबान जानवरों की मदद कर रहा हूं . 

 

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