Uttarakhand: CM Pushkar Dhami की गुजारिश मंजूर, Joshimath का नाम हुआ Jyotirmath, जानिए क्या रही वजह

बीते कई दशकों से ज्योतिर्मठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और जून 2016 में संत समाज ने जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ करने की बात पर जोर दिया था. बद्रीनाथ के तत्कालीन विधायक महेंद्र भट्ट ने 2021 में मुख्यमंत्री धामी को पत्र लिखकर शहर का नाम बदलने की मांग उठाई.

Jyotirmath
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:30 PM IST
  • सीएम धामी ने लिखी थी केंद्र को चिट्ठी
  • सरकार ने अब मंजूर किया प्रस्ताव

उत्तराखंड के चमोली जिले में मौजूद जोशीमठ शहर का नाम अब आधिकारिक तौर पर ज्योतिर्मठ कर दिया गया है. राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिसंबर 2021 में जोशीमठ का नाम बदलकर ज्योतिर्मठ करने की घोषणा की थी. धामी की घोषणा के आधार पर उत्तराखंड सरकार ने इसका प्रस्ताव बनाकर भारत सरकार को भेजा था. अब केंद्र ने ज्योतिर्मठ तहसील के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. 

कैसे उठी 'ज्योतिर्मठ' की मांग? 
बीते कई दशकों से ज्योतिर्मठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और जून 2016 में संत समाज ने जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ करने की बात पर जोर दिया था. इसके बाद बद्रीनाथ के तत्कालीन विधायक महेंद्र भट्ट ने 2021 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर शहर का नाम ज्योतिर्मठ रखने की मांग उठाई. मुख्यमंत्री धामी ने दिसंबर 2021 में शहर का नाम बदलने की घोषणा की थी. पिछले साल एक बार फिर एक जनसभा में मुख्यमंत्री धामी ने जोशीमठ तहसील को ज्योतिर्मठ नाम देने की बात दोहराई थी. 

क्या है 'ज्योतिर्मठ' की मान्यता?
ज्योतिर्मठ भारत के चार प्रमुख मठों में से एक है, जिन्हें आदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था. ज्योतिर्मठ उत्तराम्नाय मठ है. आदि शंकराचार्य 8वीं शताब्दी के एक महान हिन्दू धर्मगुरु थे. उन्होंने भारत में अद्वैत वेदांत का प्रचार-प्रसार किया. उन्होंने हिन्दू धर्म को पुनर्जीवित करने और इसे संगठित करने के लिए देश की चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की. ज्योतिर्मठ की स्थापना उन्होंने उत्तर दिशा में की, जबकि अन्य मठ शृंगेरी (दक्षिण), पुरी (पूर्व) और द्वारका (पश्चिम) में स्थापित किए. आदि शंकराचार्य ने इन चारों मठों के अलावा पूरे देश में बारह ज्योतिर्लिंगों की भी स्थापना की थी. 

क्यों बना ज्योतिर्मठ?
ज्योतिर्मठ की स्थापना के पीछे का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म की रक्षा और प्रचार करना था. आदि शंकराचार्य ने इस मठ में संतों को वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन शिक्षा देने का कार्य सौंपा. कहा जाता है कि अथर्वेद के ज्ञान भी यहीं से उर्जित हुआ. इस मठ के शंकराचार्य संप्रदाय की परंपराओं को बनाए रखते हुए भारतीय संस्कृति और धर्म के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. 

कोश्या कुटौली का भी बदला नाम
नैनीताल जिले की कोश्या कुटौली तहसील का नाम भी बदला गया है. इसे अब श्री कैंची धाम के नाम से जाना जाएगा. नैनीताल जिले की कोश्या कुटौली तहसील का नाम बदलकर बाबा नीम करोली महाराज के आश्रम श्री कैंची धाम करने के प्रस्ताव को भी केंद्र ने मंजूरी दे दी है. धामी ने पिछले साल 15 जून को कैंची धाम मंदिर के स्थापना दिवस पर बदलाव की घोषणा की थी. हर दिन बड़ी संख्या में बाबा के भक्त दर्शन के लिए धाम पहुंचते हैं. कैंची धाम को मानसखंड मंदिरमाला मिशन में भी शामिल किया गया है. 

 

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