CRPF K9 Dogs: हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं सीआरपीएफ के K9 डॉग्स, जानिए क्या है इनकी खासियत?

बेंगलुरु में राष्ट्रीय पुलिस K9 सेमिनार का उद्घाटन हुआ है. जहां CRPF के डॉग्स ने गजब की कलाबाजी दिखाई, प्रदर्शन के दौरान डॉग स्क्वॉयड ने विस्फोटक बमों की खोज की, तो कभी दुश्मनों की चालबाजी को नाकाम करने वाली चतुराई दिखाई.

CRPF के K9 डॉग्स
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST
  • बेंगलुरु में K9 सेमिनार का उद्घाटन
  • अनुशासित जीवन शैली जीते हैं ये डॉग्स

शानदार संतुलन, लाजवाब एकाग्रता, कमाल की कलाबाजी, स्टेप बाई स्टेप सीढ़ियों को पारकर लक्ष्य तक पहुंचते CRPF के सुपर डॉग्स. यूं ही कोई डॉग्स सुपर नहीं हो जाता है, बल्कि ट्रेनिंग के मैदान में उसे दिन रात तपना पड़ता है, एक योद्धा की तरह खुद को साबित करना होता है, तब कहीं जाकर डॉग्स की प्रतिभा निखरती है.

बेंगलुरु में K9 सेमिनार का उद्घाटन
बेंगलुरु में राष्ट्रीय पुलिस K9 सेमिनार का उद्घाटन हुआ, जिसमें CRPF के जवानों ने एक सीक्रेट मिशन की तर्ज पर मॉक ड्रिल की शुरुआत की, विषम परिस्थियों में एक डॉग्स की क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए, ये सुपर डॉग्स ने अपनी कलाबाजी और अलर्टनेस से साबित कर दिया.

अनुशासित जीवन शैली जीते हैं ये डॉग्स
इन डॉग्स को हर परिस्थिति के लिए कुछ इस तरह से तैयार किया जा रहा है, जैसे एक सिपाही को ट्रेंड किया जाता है, इन डॉग्स को भी जवानों की ही तरह बेहद अनुशासित जीवन शैली अपनानी होती है. समय पर उठना, समय पर परेड, समय पर खाना. तब कहीं जाकर तैयार होता है सुपर डॉग.

कड़ी मेहनत कर रहे हैं ये डॉग हैंडलर
डॉग हैंडलर इन विशेष डॉग्स में खास हुनर विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. जोखिम भरे अभियान हों, खोजी मिशन हो. इन डॉग्स की ड्यूटी लगा दी जाती है, जो दुश्मन के दांत खट्टे करने में सक्षम होते हैं, जो पलक झपकते ही किसी आतंकी का चैप्टर क्लोज कर सकते हैं.

बॉम स्क्वाड के आंख और काम होंगे ये डॉग्स
जब ये डॉग्स केवल 45 दिन के पप्पी थे, तब इन्हें आयात किया गया था. अब 90 दिन पूरे होने के बाद ये एकदम ट्रेंड डॉग्स हैं. सीआरपीएफ के सूत्रों ने खुलासा किया कि सालाना सीआरपीएफ जवानों के बीच 65% मौतें या तो एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में या उग्रवाद विरोधी अभियानों में आईईडी विस्फोटों के कारण होती हैं. "ये कुत्ते अब आईईडी और अन्य विस्फोटकों को सूंघने वाली गश्ती टीमों की आंखें और कान होंगे.

हर परिस्थिति के लिए तैयार हैं ये डॉग्स
हम अपने संतरी को इन प्रशिक्षित कुत्तों की एक निश्चित संख्या से बदलने के बारे में भी सोच रहे हैं. अगर 1 किमी के क्षेत्र में 100 जवान गश्त कर रहे हैं, तो उनमें से कम से कम 40 को हटाकर वहां पर कुत्ते तैनात किए जा सकते हैं. इसके अलावा, कुत्तों से सीमा पर सुरंगों (नशीले पदार्थों और अन्य वर्जित पदार्थों की तस्करी के लिए उपयोग किया जाता है) का पता लगाने में सीआरपीएफ की सहायता करने के साथ-साथ विरोध प्रदर्शनों और दंगों के दौरान शत्रुतापूर्ण भीड़ का प्रबंधन करने और चेक पोस्टों पर वाहनों को रोकने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है.

 

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