16 साल की काम्या कार्तिकेयन (Kaamya Karthikeyan) नेपाल की साइड से माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय लड़की बन गई हैं. मुंबई के नेवी चिल्ड्रेन स्कूल की स्टूडेंट काम्या कार्तिकेयन ने 20 मई को माउंटेन क्लाइम्बिंग के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
काम्या ने भारतीय नौसेना में अफसर कमांडर एस कार्तिकेयन के साथ दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की. इसके साथ काम्या माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय लड़की और दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हैं.
सबसे ऊंची चोटियों की चढ़ाई
काम्या अभी तक सात महाद्वीपों में से छह की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई कर चुकी हैं. पर्वतारोहण के प्रति काम्या का जुनून कम उम्र में ही शुरू हो गया था. महज नौ साल की उम्र में काम्या ने साल 2017 में माउंट स्टोक कांगड़ी पर चढ़कर अपनी पर्वतारोहण यात्रा शुरू की, जो कि भारतीय हिमालय में 20,180 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक चोटी है.
इसके अलावा, 2016 में काम्या ने हर-की-दून (13,500 फीट), केदारनाथ पीक (13,500 फीट) और रूपकुंड झील (16,400 फीट) पर चढ़ाई की, जिससे पहाड़ों के प्रति उनका दृढ़ संकल्प और प्यार और बढ़ता गया. इन शुरुआती अनुभवों ने काम्या के आज के भविष्य की उपलब्धियों की नींव रखी.
एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रैकिंग
काम्या ने इससे पहले नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप तक की यात्रा थी, जो 17,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस उपलब्धि ने उन्हें बेस कैंप तक पहुंचने वाली दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बना दिया था. बेस कैंप ट्रेक काफी मुश्किल यात्रा है. वहीं 2019 में, काम्या ने हिमाचल प्रदेश में भृगु झील तक ट्रैकिंग की, जो 14,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस प्राचीन झील की यात्रा ने उनके कौशल को और निखारा.
8 सितंबर, 2023 को काम्या ने लद्दाख में 6,450 मीटर (21,161 फीट) ऊंची तकनीकी चोटी माउंट कांग यात्से-1 पर भारतीय तिरंगा फहराकर अपनी उपलब्धियों की लिस्ट को और बड़ा कर दिया. इस उपलब्धि के साथ काम्या इस चोटी पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति हैं.
पिता ने बखूबी दिया साथ
पर्वत की चढ़ाई में काम्या की उपलब्धियों में कोई कमी नहीं है. काम्या को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. हालांकि, माउंट एवेरेस्ट की इस यात्रा में उनके पिता, कमांडर एस. कार्तिकेयन ने उनकी पहाड़ की चढ़ाई में बड़ी भूमिका निभाई. इसके अलावा, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन ने भी कमाया को वित्तीय और तकनीकी सहायता दी.