कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए चीन ने वीजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. ये धार्मिक यात्रा दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा पर हिंसक झड़प और कोरोना महामारी की वजह से तीन साल तक बंद पड़ी थी. अच्छी खबर ये है कि 36 महीने के बाद चीन ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए वीजा देना शुरू कर दिया है. हालांकि उसने कैलाश-मानसरोवर यात्रा से जुड़े नियमों को पहले की तुलना में काफी कड़े भी कर दिए हैं. जिसमें इस धार्मिक यात्रा के दौरान लगने वाली फीस को दोगुनी करने का फैसला भी शामिल है.
कैलाश दर्शन के लिए चुकानी होगी इतनी फीस
अब भारतीय नागरिकों को कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए कम से कम 1 लाख 85 हजार रुपए खर्च करने होंगे. जबकि साल 2019 में नेपाल के टूर ऑपरेटर्स रोड ट्रिप के लिए सिर्फ 90 हजार वसूलते थे। यानी चीन की तरफ से इस बार सड़क मार्ग से होने वाली इस यात्रा के लिए लगने वाली फीस में 95 हजार का इज़ाफा कर दिया है.
चीन लगाएगा ग्रास डैमेजिंग फी
इसके अलावा कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर जाने वाला कोई भी तीर्थयात्री अगर किसी सहायक या हेल्पर को अपने साथ रखता है, तो 'ग्रास डैमेजिंग फी' के नाम पर उसे अलग से 300 डॉलर करीब 24 हजार रुपए भी देने होंगे. इस अजीबोगरीब फीस के पीछे चीन का तर्क है कि कैलाश-मानसरोवर यात्रा के दौरान कैलाश पर्वत तक जाने वाले मार्ग के आसपास घास को नुकसान पहुंचता है. उस नुकसान की भरपाई के लिए ही 300 डॉलर यानी भारतीय करेंसी में 24 हजार रुपए वसूले जाएंगे. यही नहीं किसी हेल्पर को साथ रखने पर 15 दिनों के लिए प्रवास फीस नाम की रकम को भी 4,200 रुपए से बढ़ाकर 13 हजार रुपये कर दिया गया है.
इन नियमों का करना होगा पालन
जिन नियमों की वजह से कैलाश-मानसरोवर यात्रा और कठिन हो गई है. उनमें तीर्थयात्रियों को चीन से वीजा लेने के लिए शारीरिक रूप से खुद मौजूद रहना होगा. यानी वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन से काम नहीं चलेगा. कैलाश पर्वत हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में मौजूद है और तिब्बत चीन के अधीन है. इसलिए कैलाश भी चीन में आता है.
इसके अलावा वीजा पाने के लिए अब कम से कम 5 लोगों का ग्रुप होना जरूरी है. इसमें से चार लोगों को हर हाल में वीजा के लिए खुद पहुंचना होगा. तब ही 5 लोगों के समूह को मानसरोवर यात्रा करने की इजाजत मिलेगी.
उसके बाद यात्रियों को काठमांडू या दूसरे बेस कैंप पर बायोमीट्रिक पहचान से जुड़ी प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ेगा। डेटाबेस के लिए तीर्थयात्रियों को फिंगर मार्क्स और आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग भी करवानी होगी.