Kangana Ranaut Interview: दो सुरक्षागार्डों ने बरसाई थीं इंदिरा गांधी पर 30 गोलियां... कब, कहां, कैसे और किसने रची थी ये साजिश? 31 अक्टूबर 1984 की पूरी कहानी

ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद, इंदिरा गांधी की सुरक्षा में कई बदलाव किए गए. हालांकि, ये निर्णय बाद में घातक साबित हुआ. उन्होंने अपने पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड से सिखों को हटाने से इनकार कर दिया था.

Indira Gandhi
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST
  • पूरा देश डूबा था शोक में 
  • हत्यारों को हुई थीं फांसी

कंगना रनौत अपनी फिल्म इमरजेंसी (Emergency) के प्रमोशन में लगी हैं. हाल ही में दिए अपने इंटरव्यू में कंगना रनौत ने बताया कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर 35 राउंड फायर की गई थी. इसके बाद से ही एक बार फिर लोग पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को याद कर रहे हैं. दरअसल, इंदिरा गांधी को कड़े फैसले लेने के लिए जानी जाती थीं. वे कड़े फैसले लेने में कभी नहीं हिचकती थीं. ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) भी इन कई फैसलों में से एक था.   

30 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी ने अपनी भुवनेश्वर की रैली में कहा था कि जब उनकी जान जाएगी तो खून का एक-एक कतरा भारत को जिंदा रखेगा. 30 अक्टूबर को जब वे दिल्ली वापस लौंटी तो उन्होंने अपने स्पेशल असिस्टेंट आर के धवन को अगले दिन की सुबह के सभी एप्वाइंटमेंट कैंसिल करने के लिए कहा. उन्होंने केवल एक टीवी इंटरव्यू छोड़ा, जो उन्हें अगले दिन करना था. 

31 अक्टूबर, 1984 की सुबह, भारत के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक था. देश उस समय सदमे में आ गया जब खबर फैली कि भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई है. हत्या उनके ही सिक्योरिटी गार्ड बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने की थी.  सुरक्षागार्डों ने उनपर 30 से ज़्यादा गोलियां चलाई थीं. 

त्रासदी की शुरुआत: ऑपरेशन ब्लू स्टार
इंदिरा गांधी की हत्या के पीछे की मंशा को समझने के लिए, उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन तक की घटनाओं पर नजर डालना ज़रूरी है. इसका सबसे प्रमुख कारण था- ऑपरेशन ब्लू स्टार. जून 1984 में इंदिरा गांधी ने एक सैन्य अभियान (Army Operation) का आदेश दिया. इसका उद्देश्य जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में सशस्त्र सिख उग्रवादियों को हटाना था. इन सभी ने सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थल अमृतसर में स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के अंदर शरण ली थी.

ऑपरेशन ब्लू स्टार सफल रहा, लेकिन इस अभियान ने स्वर्ण मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया और सैकड़ों लोगों की जान चली गई. इनमें कई निर्दोष नागरिक भी शामिल थे. ऑपरेशन ब्लू स्टार ने भारत और विदेशों में सिखों के बीच व्यापक आक्रोश पैदा किया. उनका मानना था कि ये उनके विश्वास और सबसे पवित्र स्थल की पवित्रता पर सीधा हमला है.

(फोटो- इंडिया टुडे)

हालांकि, इंदिरा गांधी, सिख समुदाय के बीच पनप रहे गुस्से और आक्रोश को समझती थीं, समझती थीं कि उनकी जान खतरे में है. इसके बावजूद, उन्होंने अपने निर्णयों पर अडिग रहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना जारी रखा. उन्होंने अपने करीबी दोस्तों और परिवार के साथ अपने डर और अपनी असामयिक मृत्यु की संभावना के बारे में खुलकर बात भी की, लेकिन वे दृढ़ निश्चयी रहीं. 

ऑपरेशन के बाद सुरक्षा में बदलाव 
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद, इंदिरा गांधी की सुरक्षा में कई बदलाव किए गए. हालांकि, ये निर्णय बाद में घातक साबित हुआ. उन्होंने अपने पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड से सिखों को हटाने से इनकार कर दिया था. खुफिया एजेंसियों ने बढ़ते तनाव के मद्देनजर उनकी सुरक्षा में किसी भी सिख गार्ड को नियुक्त न करने की सिफारिश की गई थी. लेकिन इंदिरा गांधी ने इस सुझाव को अस्वीकार कर दिया था. उन्होंने कहा था,  "क्या हम धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं?" 

उस सुबह, इंदिरा गांधी हर दिन की तरह अपने नई दिल्ली स्थित आधिकारिक निवास से निकलीं और बगल के बंगले में स्थित अपने ऑफिस की ओर चलने लगीं. उनके साथ उनके स्टाफ के कुछ सदस्य थे, जिनमें उनके पर्सनल सेक्रटरी और कुछ सिक्योरिटी गार्ड शामिल थे.

जब इंदिरा गांधी बगीचे के रास्ते से नीचे जा रही थीं, तो उनकी मुलाकात बेअंत सिंह से हुई, जो एक सब-इंस्पेक्टर और उनके सिक्योरिटी का लंबे समय से सदस्य था. कुछ कदम दूर सतवंत सिंह नामक कांस्टेबल खड़ा था, जो उनकी सिक्योरिटी टीम में नया था. 

(फोटो- इंडिया टुडे)

30 से ज्यादा गोलियां चलाई गईं 
इंदिरा गांधी ने बेअंत सिंह का मुस्कुराकर अभिवादन किया. लेकिन बेअंत सिंह ने जब उन्हें सलामी देने के लिए हाथ उठाया उसने अपनी एक रिवॉल्वर निकाली और मात्र तीन फीट की दूरी से उनके पेट में गोली मार दी. जैसे ही इंदिरा गांधी लड़खड़ाकर गिरने लगीं, बेअंत सिंह बिल्कुल नजदीक आया और चार और गोलियां चलाईं. लगभग उसी समय, सतवंत सिंह ने अपनी 30 राउंड की स्टेन गन क्लिप भी इंदिरा गांधी पर चलाई. 

पूरी घटना बमुश्किल 25 सेकंड तक चली. इंदिरा गांधी ज़मीन पर गिर पड़ीं, और बुरी तरह घायल हो गईं. उनके स्टाफ इस वक्त पूरी तरह से सदमे में था. कांस्टेबल रामेश्वर दयाल ने जब बीच में आने का प्रयास किया तो उनकी जांघ में गोली लग गई. 

इस घटना के बाद इंदिरा गांधी को तुरंत एक सफेद एंबेसडर कार में एम्स ले जाया गया, उनका सिर उनकी बहू सोनिया गांधी की गोद में रखा हुआ था. इंदिरा गांधी को बचाने के लिए चार घंटे की सर्जरी की गई. लेकिन मेडिकल टीम के प्रयासों के बावजूद दोपहर 2:23 बजे उनकी मृत्यु हो गई. 

(फोटो- इंडिया टुडे)

पूरा देश डूबा था शोक में 
इंदिरा गांधी की हत्या ने पूरे भारत और दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. राष्ट्र की नेता की मृत्यु ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया, लेकिन यह दुख जल्द ही गुस्से में बदल गया और जल्द ही यह गुस्सा हिंसा में बदल गया.

दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में, भीड़ ने हत्या के प्रतिशोध में सिखों को निशाना बनाया. इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद के दिनों में भड़की हिंसा भारत में अब तक देखी गई सबसे बड़ी सांप्रदायिक हिंसा थी. निर्दोष सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया, उनके घरों का नामोनिशान मिटा दिया गया और कई लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई. सरकारी अनुमान बताते हैं कि लगभग 3,350 सिखों का नरसंहार किया गया, जिनमें से 2,800 मौतें अकेले दिल्ली में हुईं. 

इस दौरान कई लोगों ने सरकार पर अत्याचारों पर आंखें मूंद लेने का आरोप लगाया, और यहां तक ​​कि कुछ राजनीतिक नेताओं पर भी मिलीभगत के आरोप लगे. हिंसा के कारण जो जख्म हुए, वे बहुत गहरे थे और सिख समुदाय को जो जख्म लगे, उन्हें भरने में सालों लग गए.

हत्यारों को हुइ फांसी
हत्या के बाद, बेअंत सिंह की जेल में हत्या कर दी गई. सतवंत सिंह, एक दूसरा साजिशकर्ता केहर सिंह हिस्सा होने का दोषी पाया गया. इन दोनों पर मुकदमा चलाया गया और मौत की सजा सुनाई गई. सतवंत सिंह और केहर सिंह को 1989 में फांसी पर लटका दिया गया था.


 

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