Karnataka Elections 2023: वोट के बाद इन कमरों में रखी जाती है EVM और VVPAT मशीनें, बड़ी टाइट होती है इनकी सिक्योरिटी 

Karnataka Elections: मतदान के बाद स्ट्रॉन्ग रूम कम EVM और VVPAT जमा होते हैं. इनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न हो इसके लिए सबसे पहले इन्हें चुनाव आयोग के आब्जर्वर की मौजूदगी में डबल लॉक सिस्टम में सील कर दिया जाता है.

EVM MACHINE
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2023,
  • अपडेटेड 9:12 AM IST
  • 24 घंटे होनी चाहिए निगरानी 
  • किसी मंत्री को जाने की नहीं होती अनुमति 

कर्नाटक का किंग कौन? इसके लिए वोटों की गिनती शुरू हो गई है. राज्य में 224 सीटों के लिए वोट डाले गए हैं. कर्नाटक में इस वक्त मुख्य मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच कहा जा रहा है. हालांकि, ये पूरा प्रोसेस इतना आसान नहीं होता है. बेहद कम लोग जानते हैं कि वोट के बाद ईवीएम (Electronic Voting Machine) मशीनों को सुरक्षित जगहों पर रखा जाता है. इनकी सिक्योरिटी काफी टाइट होती है. EVM और VVPAT मशीनें स्ट्रॉन्ग रूम में रखी जाती हैं. इनमें एक तरह का थ्री-लेयर सिस्टम बनाया जाता है जो चुनाव आयोग के कंट्रोल में रहता है. 

सिक्योरिटी होती है टाइट 

मतदान के बाद स्ट्रॉन्ग रूम कम ईवीएम और वीवीपीएटी जमा होते हैं. इनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न हो इसके लिए सबसे पहले इन्हें चुनाव आयोग के आब्जर्वर की मौजूदगी में डबल लॉक सिस्टम में सील कर दिया जाता है. इतना ही नहीं बल्कि इनकी निगरानी भी सीसीटीवी से की जाती है. 
उम्मीदवारों के अपने एजेंट होते हैं जिनकी उपस्थिति में ही इन्हें सील किया जाता है. इसके साथ सील पर पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर भी होते हैं. जिसके बाद ईवीएम और वीवीपैट को उम्मीदवारों/उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रॉन्ग रूम में ले जाया जाता है.

स्ट्रॉन्ग रूम को लेकर क्या हैं नियम?

जिस दिन वोटों की गिनती होती है उस दिन उम्मीदवारों, रिटर्निंग ऑफिसर और एक चुनाव आयोग के आब्जर्वर की मौजूदगी में इन स्ट्रांग रूम को खोला जाता है. इस दौरान लगातार सीसीटीवी कवरेज चलती रहती है. इसी की निगरानी में स्ट्रॉन्ग रूम से राउंड-वाइज काउंटिंग यूनिट को काउंटिंग टेबल पर लाया जाता है. 

हालांकि, स्ट्रॉन्ग रूम के लिए कुछ जरूरी नियम भी हैं. इसके लिए -चुनाव आयोग की गाइडलाइन है. जिसके मुताबिक, स्ट्रॉन्ग रूम में केवल एक ही दरवाजा होना चाहिए. अगर वहां दूसरा कमरा है तो उसे सील कर दिया जाना चाहिए.  साथ ही एक डबल लॉक सिस्टम भी स्ट्रॉन्ग रूम में होना चाहिए. इसकी एक चाबी कमरे के इंचार्ज पर होनी चाहिए और दूसरी चाबी किसी एडीएम रैंक से ऊपर के अधिकारी के पास. 

24 घंटे होनी चाहिए निगरानी 

आगे चुनाव आयोग की गाइडलाइन कहती है कि इन स्ट्रॉन्ग रूम के सामने 24 घंटे सीएपीएफ गार्ड होना चाहिए. इनकी निगरानी भी 24 घंटे सीसीटीवी से होनी चाहिए. ताकि बाद में किसी भी तरह की गड़बड़ी से निपटा जा सके. अगर सिक्योरिटी मैनेजमेंट की बात करें तो इनकी निगरानी के लिए पुलिस ऑफिसर के साथ एक गैजेटेड ऑफिसर होने चाहिए. इनका काम है कि ये बीच-बीच में आकर उस कमरे की निगरानी करते हैं.

किसी मंत्री को जाने की नहीं होती अनुमति 

सिक्योरिटी में किसी भी तरह की चूक न हो इसके लिए इन कमरों को थ्री-टियर सिस्टम से सिक्योर किया जाता है. जिसमें पहले टियर में सीएपीएफ गार्ड होते हैं, दूसरे में राज्य की पुलिस फोर्स होती है और तीसरे टियर में डिस्ट्रिक्ट एग्जीक्यूटिव फोर्स.  इन स्ट्रॉन्ग रूम में मंत्री या दूसरे अधिकारी को जाने तक की अनुमति भी नहीं होती है. अंदरूनी घेरे में वे अपनी गाड़ी में नहीं जा सकते हैं बल्कि इसके लिए उन्हें पैदल ही जाना होता है.
 


 

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