काशी विश्वनाथ धाम देगा पर्यावरण संरक्षण का संदेश, लगाए जाएंगे भगवान शिव के प्रिय पौधे

काशी विश्वनाथ धाम की खूबसूरती और आध्यात्मिकता में वो पेड़ इजाफा करेंगे जो महादेव के प्रिय हैं. इन पेड़ों में रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, आंवला और अशोक जैसे पेड़ हैं जिन्हें हमेशा भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है.

काशी विश्वनाथ धाम देगा पर्यावरण संरक्षण का संदेश
शिल्पी सेन
  • वाराणसी ,
  • 12 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST
  • भगवान शिव के ‘वैद्यनाथ’ रूप का अनुभव कराने की कोशिश.
  • रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, आंवला और अशोक के पेड़ लगाए गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे. ऐसे में दुनियाभर की नजर इस समय काशी पर है.  करीब सवा 5 लाख स्क्वायर फीट में बने  काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 और 14 दिसंबर को कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए काशी में होंगे.  

भव्य काशी विश्वनाथ धाम की खूबसूरती और आध्यात्मिकता में वो पेड़ भी इजाफा करेंगे जो महादेव के प्रिय हैं. इन पेड़ों में रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, आंवला और अशोक जैसे पेड़ हैं जिन्हें हमेशा भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है. काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण में इस बात जा खास ख्याल रखा गया है कि ये सिर्फ़ देखने में ही भव्य न हों बल्कि इसकी दिव्यता भी सालों तक महादेव के भक्त महसूस करें.  इसके लिए शिव के ‘वैद्यनाथ’ रूप का अनुभव यहां कराने की कोशिश की गयी है.

 वैद्यनाथ यानि औषधियों के देव. महादेव का जो रूप है उसमें वो जंगल के उन फूल, पत्ती, पेड़ों, जड़ी बूटियों के संरक्षक और समवर्धक के रूप में नजर आते हैं.  ऐसे में काशी धाम में पेड़ पौधों के लिए खास जगह चिह्नित की गयी है. मंदिर के प्रांगण से मंदिर चौक तक हर जगह महादेव के प्रिय पौधे लगाए जाएंगे. 

महादेव के धाम की पौराणिकता में वृद्धि 

पौराणिक कथाओं में काशी को आनंद वन भी कहा गया है. स्कंदपुराण में काशी खंड में ये वर्णन मिलता है. वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल कहते हैं, ‘काशी धाम के निर्माण के हरियाली के लिए विशेष प्रबंध किया गया है. पर खास बात ये है कि महादेव के प्रिय पौधे और पेड़ यहां लगाए जा रहे हैं. महादेव का रूप प्रकृति के संरक्षक का रूप भी है. ऐसे में करीब 25 तरह के पेड़-पौधे लगाए जाएंगे जो गुलाबी पत्थरों के बीच न सिर्फ धाम की शोभा को बढ़ाएंगे बल्कि यहां आने वालों को सुखद अहसास भी होगा.’ 

रुद्राक्ष और बेल का है महादेव से अटूट संबंध 

रुद्राक्ष को शिव से अलग नहीं किया का सकता. इसको रूद्र(शिव) का अक्ष(नेत्र) भी कहा गया है. जहां शिव के नेत्र से आंसू गिरे वो रुद्राक्ष है. वहीं बेल का पेड़ भी लगाया जा रहा है. इतिहासकार राणा पी वी सिंह इस बारे में अहम जानकारी देते हुए कहते हैं,‘ बेल सिर्फ महादेव को ही प्रिय नहीं बल्कि बेल पत्र पर राम-राम लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने की भी परंपरा रही है. राम विष्णु के रूप हैं तो ऐसे में शिव और विष्णु के एक साथ होने की बात भी दिखती है. काशी के इसी पौराणिक संतुलन का संदेश भी मिलेगा.’ 

पारिजात का पेड़ हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है. इसके अलावा आंवला और अशोक भी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में लगाया जाएगा.  इन सभी पेड़ों का अपना धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व है. श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अनुसार कोशिश ये है कि इससे आध्यात्मिक टूरिजम को बढ़ावा मिले. पर्यावरण संरक्षण के संदेश के लिए खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार अपनी समीक्षा बैठकों के दौरान कह चुके हैं.  

 

 

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