KCR Birthday: 15 साल में देखा था तेलंगाना आंदोलन, 45 साल बाद बने CM... फिल्मों के शौकीन केसीआर की कहानी जानिए

K Chandrashekar Rao Birthday: तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव 69 साल के हो गए हैं. साल 2014 में केसीआर तेलंगाना से मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद से अब तक इस पद पर बने हुए हैं. केसीआर ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है.

69 साल के हो गए के चंद्रशेखर राव (फाइल फोटो)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

तेलंगाना राज्य का सपना पूरा करने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में नई भूमिका की तलाश में जुटे केसीआर 69 साल के हो गए हैं. उनका पूरा नाम कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव है. लेकिन वो केसीआर के नाम से ही जाने जाते हैं. 1980 के दशक में कांग्रेस से सियासी पारी शुरू करने वाले केसीआर तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया है. चलिए आपको तेलंगाना के सबसे बडे़ नेता केसीआर की जिंदगी के कुछ पहलुओं के बारे में बताते हैं.

केसीआर का बचपन और पढ़ाई-
तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव का जन्म 17 फरवरी 1954 को तेलंगाना के चंतामदका में हुआ था. उनके पिता का ना राघवार राव और माता का नाम वेंकटम्मा है. केसीआर की 9 बहनें और एक बड़े भाई हैं. केसीआर ने उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद से एमए की पढ़ाई की है. उन्होंने सिद्धिपेट डिग्री कॉलेज से वैकल्पिक विषयों इतिहास, तेलुगू साहित्य और राजनीति विज्ञान में स्नातक किया है. चंद्रशेखर राव की शादी कल्वाकुंतला शोभा से हुई है. उनके दो बच्चे हैं. केसीआर के बेटे केटी राम राव तेलंगाना सरकार में मंत्री हैं, जबकि उनकी बेटी कविता एमएलसी हैं.

नौकरी से इनकार, छात्र राजनीति में आगाज-
केसीआर ने अपना सियासी पारी छात्र राजनीति से शुरू की. उन्होंने सिद्धिपेट डिग्री कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा था. लेकिन इस चुनाव में उनको हार मिली थी. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक डिग्री कॉलेज में केसीआर की सहपाठी रहे नंदिनी सिद्ध रेड्डी ने बताया कि एक बार कांग्रेस नेता अनंतु मदन मोहन ने उनको नौकरी दिलाने की पेशकश की. लेकिन केसीआर ने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि वो नौकरी नहीं, राजनीति करना चाहते हैं.

दिल्ली गए, फिर वापस लौटे-
डिग्री कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद केसीआर दिल्ली की सियासत करना चाहते थे. इसके लिए वो दिल्ली भी गए. ये साल 1975 का था, देश में आपातकाल लग गया. केसीआर ने संजय विचार मंच में शामिल हो गए. लेकिन संजय गांधी की मौत के बाद केसीआर सिद्धिपेट लौट गए.
बताया जाता है कि एक बार सीएम मैरी चेन्ना रेड्डी किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सिद्धिपेट गए थे. उस दौरान कार्यक्रम में मंच से केसीआर भाषण दे रहे थे, लेकिन जब उनका भाषण खत्म होने लगा तो सीएम रेड्डी ने कहा कि ये युवक अच्छा भाषण दे रहा है, उसे मंच से बोलने दो. इसके बाद चेन्ना रेड्डी केसीआर के घर जाने लगे. केसीआर फिल्मों के शौकीन हैं. उन दिनों वो एनटीआर की पौराणिक फिल्में देखना पंसद करते थे.

केसीआर की सियासी पारी-
साल 1980 में संजय गांधी के मार्गदर्शन में केसीआर ने आंद्र प्रदेश युवा कांग्रेस में शामिल हो गए. साल 1982 में उनको राघवपुर प्राथमिक कृषि सहकारी समिति, सिद्धिपेट के अध्यक्ष के तौर पर चुने गए. इसके साथ ही केसीआर युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी बने. लेकिन जल्द ही कांग्रेस से उनका नाता टूट गया. साल 1985 में केसीआर ने तेलुगुदेशम पार्टी में शामिल हो गए. इसी साल वो सिद्धिपेट से विधायक चुने गए. इसके बाद 1987 में उनको राज्य मंत्री बनाया गया. साल 1989 में फिर से सिद्धिपेट से विधायक चुने गए. 1989 से 1993 तक केसीआर टीडीपी के जिला अध्यक्ष भी रहे. साल 1993 में उनको टीडीपी का राज्य सचिव बनाया गया. केसीआर लगातार सियासत में ऊंचा मुकाम हासिल करते रहे. साल 1997 में आंध्र प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री बनाए गए. साल 1999 में उनको विधानसभा का उपसभापति बनाया गया. साल 2001 में केसीआर ने विधायक और उपसभापति पद से इस्तीफा दे दिया.

केसीआर ने टीआरएस की स्थापना की-
केसीआर ने अलग तेलंगाान राज्य की मांग को फिर से शुरू करने का फैसला किया. उन्होंने टीडीपी से इस्तीफा दे दिया और नई पार्टी बनाने का फैसला किया. साल 2001 में केसीआर ने तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन किया. साल 2004 चुनाव में टीआरएस ने कांग्रेस से गठबंधन किया और लोकसभा की 5 और विधानसभा की 26 सीटें जीतने में कामयाब रही. साल 2004 में केसीआर ने खुद करीमनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा और संसद पहुंच गए. केसीआर को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया गया. लेकिन 2006 में उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद हुए उपचुनाव में फिर से भारी मतों से जीत हासिल की.
साल 2008 में केसीआर ने पार्टी के 3 सांसदों और 16 विधायकों के साथ फिर से इस्तीफा दे दिया और अगली बार फिर से सांसद चुने गए. जून 2009 तक वो यूपीए सरकार में थे. लेकिन तेलंगाना राज्य बनाने को लेकर यूपीए की उदासीनता को देखते हुए उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया. 

तेलंगाना के लिए केसीआर की भूख हड़ताल-
तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर आंदोलन तेज होने लगा. केसीआर ने आमरण अनशन पर बैठने का फैसला किया. अक्टूबर 2009 में केसीआर ने आमरण अनशन शुरू किया. 9 दिसंबर को केंद्र सरकार ने तेलंगाना राज्य के गठन की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की. रायलसीमा और सीमांध्र के सांसदों और विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद केंद्र सरकार ने श्रीकृष्ण समिति गठित की. इसके बाद तेलंगाना राज्य बनाने का फैसला लिया गया. 18 फरवरी 2014 को लोकसभा से तेलंगाना विधायक पास हो गया. कई प्रक्रियाओं के बाद 2 जून 2014 को तेलंगाना राज्य बना.

तेलंगाना के सीएम बने केसीआर-
2014 में तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आ गया. 2 जून को चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना के पहले सीएम के तौर पर शपथ ली. उसके बाद से अब तक केसीआर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने हुए हैं. 

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED